ये मुहीम अवश्य समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी “मुर्तजा अली” ….
sach ka aaina
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“मुर्तजा अली” की मुहीम अवश्य समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी….
उत्तर प्रदेश से संघर्ष समिती के अध्यक्ष “मुर्तजा अली” आजकल सुर्ख़ियों में हैं l कल शाम मेरी मुलाक़ात उनसे हुई, काफी देर तक उनसे विचार विमर्श हुआ l उनके इस अथक प्रयास को देखते हुए मुझे उनकी उत्तर प्रदेश शराबबंदी मुहीम पर कुछ लिखने का विचार आया l उनके विचारों में एक आग है, एक ऐसा जूनून है, एक ऐसा दर्द है l जो अवश्य समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा l
उनका कहना है, “कि शराबबंदी एक बहुत ही जटिल मसला है इसके पक्ष और विपक्ष में तर्कों की कोई कमी नहीं है l मैं और मेरी समिती सदैव ही उन लोगों के खिलाफ रही है, जो लोग किसी भी मुद्दे को लेकर अवसरवाद का इस्तेमाल करके राजनीतिक फायदा उठाते हैं l इसमें कोई दोराय नही, कि उत्तर प्रदेश मुल्क के सभी राज्यों का मुखिया है, और यहाँ पर अगर शराबबंदी होती है तो अपने आप में एक बहुत बड़ी मिसाल होगी l
मेरी पहल अवश्य ही ये प्रदेश की प्रगति को नई दिशा प्रदान करेगी l शराबबंदी लागू होने से दबे कुचले लोगों को लाभ मिलेगा l और साथ ही शराब की तरफ भागने वाले युवा रोजगार की तरफ बढ़ेंगे l और प्रदेश में एक सभ्य समाज का निर्माण होगा l”
मुर्तजा साहेब ! आप एक नेक कार्य कर रहे है l समाज के हर वर्ग से लोग आपका साथ देंगे l आपके अथक प्रयासों से समाज से ये बुराई जल्दी ही दूर होगी l दृढ़ संकल्प से समाज में व्याप्त बुराई दूर की जा सकती है। क्यूंकि दृढ़ संकल्प सुधार व बदलाव की जड़ है। शराबबंदी के लिए आप जो पहल कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है l इसके लिए जरूरी है कि सभी आगे आयें और दबाव बनाएं, ताकि बुराई को ख़तम किया जा सके lक्यूंकि यह एक सामाजिक बुराई हैं, प्रत्येक शराब पीने वाला व्यक्ति, शराब बनाने वाला व्यक्ति और शराब बेचने वाला व्यक्ति अपने देश और अपने परिवार की भलाई के लिए अगर सोचे तो ये संभव है l मैं ये जानती हूँ, कि मेरे शब्द उन लोगों को कडुवे अवश्य लगेंगे, जो गरीबों की आँहों तले अपनी सरकार बनाते हैं, ये सदियों की परंपरा है. राजतंत्र हो या प्रजातंत्र, जिसकी लाठी, उसकी भैंस l मेरा सोचना है, कि सरकार को जनहित में शराब बंदी लागू करनी चाहिए, अगर सरकार ये कदम नहीं उठा सकती है, तो शराब पीने वालो का और शराब पिलाने वाली सरकार का हमे बहिष्कार करना चाहिए” क्यूंकि शराब बंदी गरीबी की मौत और समर्धि की जननी है” l ये सत्य है, कि कर, बल और छल से चुनाव जीतने के बढ़ते ट्रेंड का दुष्परिणाम आज हमारे सामने है अब शराब वोटों का जुगाड़ करने में बड़ी भूमिका अदा करने लगी है। गांव और बस्ती में मतदान के महीनों पहले से दावतें शुरू हो जाती है। इन दावतों में मुफ्त की शराब पिलाकर सहानुभूति बटोरने के साथ साथ शराब और कबाब से शुरू होने वाला दौर वोटिंग की तारीख नजदीक आते ही नोटों के खेल में तब्दील हो जाता है l क्या कहेंगे आप इस पर l क्या ये सरकार की आवाम की भावनाओं के प्रति मक्कारी नहीं है ? ये सरकार बखूबी जानती है, कि शराब पीने के बाद शराबी माँ, बहन ,बेटी और पत्नी में भी भेद नही कर पाता, क्यूंकि मन पर आत्मा के नियन्त्रण को शराब खत्म कर देती है, उसके बाद शराबी नशे में कोई भी अपराध कर सकता है l यहाँ तक कि अपने बच्चों, पत्नी, माँ बाप की हत्यायें तक शराबी आये दिन करते रहते हैं l शराब अपराधों की आग में घी डालने का काम करती है l शराब शरीर के लगभग सभी अंगो पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ती है, यानि कि शरीर का शायद ही कोई अंग इसके दुष्प्रभाव से वंचित रह पाता है। फिर भी इस देश में संतरी से लेकर मंत्री तक सब शराब नामक जहर के गुलाम है, इसलिये बजार में शराब बिक रही है और मतदाताओं को लुभा रही है. आज हमें ये अच्छे से समझना होगा कि जो भ्रष्ट है, वो शराब का धंधा करता है, सरकारी योजनाओं, परियोजनाओं को अपनी या अपने परिजनों की मुट्ठी में रखता है; जातीय या सांप्रदायिक नारे के बल पर अपनी राजनीतिक दुकानदारी चलाता है, गुंडों का आतंक फैला कर हमारा वोट हड़पना चाहता है, ऐसा व्यक्ति किसी भी पार्टी से टिकट लेकर क्यों न सामने आ जाए, उसे हमारा वोट नहीं मिलना चाहिए, ऐसे लोगों को वोट देकर लोकसभा में भेजना हम जनता के लिए देश के साथ गद्दारी होगी l… सुनीता दोहरे प्रबंध सम्पादक इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
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