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तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगें…

sach ka aaina
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“तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगें”

महबूब की आँखों में एक बार जिसने झाँक लिया उसके लिए दुनियां के सारे सुख बेकार हैं लोग यूँ ही नही दीवाने होते हैं, यूँ ही नही आँखों पर इतनी सारी फ़िल्में बन गई, महबूब की आँखों के पीछे छुपे उस संसार के रहस्य को जिसने देख लिया और समझ लिया उसके आगे सारे भौतिक सुख-संसाधन फीके पड़ जाते हैं, वहीँ आँखों की महत्ता को जिसने समझ लिया वो सारे संसार की खुशियों पर राज कर सकता है क्यूंकि इंसान की आँखें ख़ुदा की दी हुई वो अनमोल हसीं दौलत है विरले ही इसका सही अर्थ समझ पाते हैं, इस संसार में व्यक्ति का पहला साक्षात्कार इन आँखों के ज़रिए ही होता है।
वैसे दोस्तों आँखों पर लिखने का मन इस गाने की बजह से हुआ सारा कुसूर इस गाने का है साथियों मुझे दोष देने से कुछ नहीं होगा आज शाम अचानक किसी की आँखों ने चुपके से दस्तक दी जिससे मन का समुन्दर उथल पुथल मचाने लगा फिर मन किया वो गान सुना जाये इस इच्छा के साथ ही फ़िल्म चिराग का एक गीत जो मुझे बेहद पसंद है उसके बोल हैं कि “तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है”,आज कई बार सुनने का मन किया फिर क्या था लगा दिया और काफी देर तक सुनते रहे हम ! जब खूब उथल पुथल हुई तो बैठ गए लिखने और फिर जो भी लिखा वो आपके सामने हाजिर है !
सचमुच महबूबा की आँखें के आगे व्यक्ति अपने सारे भौतिक सुख-संसाधनों को भूल जाता है उसकी आँखों के आगे सब कुछ फीका लगता है ! वैसे शायरों ने आँखों की तारीफ़ में ऐसे ऐसे गीत लिखे हैं जिन्हें सुनकर आदमी तो क्या ये कायनात भी झुक जाती है क्यूंकि आँखों की सुन्दरता पर कसीदे पढ़ने वालों ने और उन पर गीत, गजल आदि लिखने वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है ! अगर मेरी ना मानों तो जरा गौर से देखो आपके आस-पास कुछ ऐसे इंसान अवश्य मिल जायेंगे जिन्हें आँखों की मार ने घायल ना किया हो तो जनाब एक प्रेमी के दिल से पूछिए कि उसके महबूब में सबसे ख़ास बात क्या है। जवाब मिलेगा कि उसकी कमल की पंखुड़ी के समान जादुई आँखें मुझे अपनी ओर खींचतीं है ना जाने क्या है उन आँखों में कि दिल का हर राज बयाँ कर देती है ये जुबान ! बड़ी ही कातिल आँखें, अनगिनत ख़्वाबों में डूबती उतराती आँखें, दुःख में उदास होती आँखें, प्रिय के बिछोह में दर्द से कराहतीं आँखें, दुआ को उठतीं आँखें, शर्म से झुकतीं हुई आँखें, मासूम आँखे, महबूब की याद में रोती आँखें, राह निहारतीं आँखें, वो बड़ी ही ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर आपको ये बता देंगे कि यकीनन...“इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं” …!
वैसे इन आँखों के कई रूप हैं बस नजर है आपकी ! कि किस नजर से आप उनकी आँखों को पढ़ते हैं वो कहते नहीं है कि “अंखियों को रहने दे अंखियों के आस पास, दूर से दिल की बुझती रहे प्यास” कवि की कल्पना का कोई जवाब नहीं !
मैं ये नहीं कहती कि आँखों की जादूगरी पर कसीदे सिर्फ प्रेमी युगुलों की आँखों पर ही पढ़े जाते रहे हैं ऐसा नही है आपने आराधना फिल्म का ये गाना तो सुना ही होगा गाने के बोल थे “चंदा है तू, मेरा सूरज है तू….ओ मेरी आँखों का तारा है तू”यहाँ पर मेरे ये कहने का मतलब है कि आँखें हर रिश्ते को बयाँ करती हैं और इस गाने के जरिये कवि ने इन आँखों का संबंध मातृत्व भाव से व्यक्त किया है।
कवि की कल्पनायें इन आँखों पर ना जाने क्या-क्या ख्वाहिशें लिख देती है लेकिन वक्त तो बदलता ही है जनाब, इसलिए समय ने जैसे ही करवट बदली आँखों की परिभाषा ही बदल गई फिल्मों ने आँखों का इश्क नहीं छोड़ा बस कवि की नजर बदल गई आपको “दूल्हे राजा”नामक फिल्म का वो गाना तो याद होगा कि“अंखियों से गोली मारे, लड़का कमाल का” धीरे धीरे ये भी दौर गुजर गया आँखें गोली मारती रहीं लोग घायल होते रहे और सिनेमा जगत मालामाल होता रहा, लेकिन आँखों ने वही किया जो महबूब ने चाहा ! फिर थोडा और वक्त आगे बढ़ा सोचा कुछ तो दूरी होगी सिने जगत और आँखों की आंखमिचौली में, लेकिन इन अंखियों का इश्क कहाँ कम होने वाला था अब तो आँखों ने क़त्ल करना भी सीख लिया ! सच कहूँ तो आजकल इस गाने का खुमार जनाब ! कुछ हम पर भी छाया हुआ है आप भी सुनिए खुदा कसम आप भी उस गाने के फैन हो जायेंगे बोल है कि “तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगें” ….. अब आप सोच लीजिये ये आँखें जब किसी का क़त्ल करती हैं तो इन्हें सजा दिलाने के लिए दुनिया में कोई अदालत नहीं बनाई गई हैं और अगर ये आँखें खुद ही गिरफ्तार हो जाएँ तो कोई बेल नहीं होती ! अंत में हम बस इतना ही कहेंगे जनाब, कि आँखों की आँख मिचौली में बड़े-बड़े सूरमा घायल हुए है इसलिए इनको झुका कर ही रखिये ! सिनेमा जगत का क्या है ये तो कुछ भी परोसता है !
सुनीता दोहरे

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