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समाजवादी पार्टी के पाले साँप अब बड़े हो गये

sach ka aaina
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sunita dohaare

समाजवादी पार्टी के पाले साँप अब बड़े हो गये

इस मुल्क़ मे जितना हक हिन्दुओं का है उतना ही हक मुस्लिमों का भी है इस बात को नजर अंदाज करते हुए इस तरह का घटिया बयान किसी का भी खून खौला सकता है ! मुझे भी बेहद गुस्सा है इस धर्म गुरु की इतनी हिम्मत कि खुलेआम चुनौती दे डाली !
चाहे पश्चिमी यूपी के दंगे हों या आगरा में कथित धर्म परिवर्तन का मामला, हर मुद्दा संसद से सड़क तक गूंज रहा है ! उत्तर प्रदेश में मुस्लिम राजनीति अपने घटिया स्तर तक पहुंच चुकी है और इसको इस स्तर तक पहुंचाने का घृणित कार्य राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के कारिंदे बखूबी निभाते हैं मुस्लिमों से रिश्ते दरकने के कारण वोट बैंक लुढ़क सकता है  इस डर से सपा नेतृत्व का खासा जोर लोगों को यह यकीन दिलाने पर होता है कि सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने की कुब्बत सिर्फ सपा में है। इसलिए आप खुलकर खेल खेलिए, पुलिस मेरे बाप की है ! सपा सुप्रीमों के भाषणों में मुसलमानों को रिझाने-लुभाने के लिए शब्दों की बाजीगरी और राजनीतिक जादूगरी भी बेइन्तहां होती है उन्हें जो कहना होता है वो कह ही देते हैं ल्रेकिन कभी कभी वो ऐसा कुछ कह जाते हैं जो व्यवस्था पर तो सवाल खड़ा करता ही है साथ ही उनकी धर्म वाली राजनीति को भी दर्शाता है मुझे याद है यही कोई ३१ दिसंबर २०१३ की बात है जब मुलायम सिंह ने अपने भाषण में कहा था कि बीजेपी मुसलमानों के खिलाफ है। गुजरात के अंदर मोदी ने मुसलमानों का कत्लेआम कराया। वह मानवता का हत्यारा है।  यहाँ पर मेरे ये कहने का तात्पर्य है कि एक प्रदेश का जो शासक रह चुका हो उसके इस तरह के बयानों से क्या उम्मीद की जा सकती है! इसलिए यह साफ़ जाहिर होता है कि सपा के पाले सांप अब सपोले नहीं रहे वे अब बड़े हो चुके हैं ! चलिए अब आते हैं मुद्दे पर …….
मुझे बेहद ताज़्ज़ुब हो रहा है कि पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में बीएमएसी के अध्यक्ष सलीम नामक इस धर्मगुरु ने इस तरह का भडकाऊ भाषण दे डाला और उसे मौके पर गिरफ्तार भी नहीं किया गया ! क्या आपको इन सब बातों से ये ज़ाहिर नहीं होता कि उत्तर-प्रदेश की पुलिस पांचाली राज में नमक हरामी करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने से डरती है|
क्या किसी मुस्लिम का धर्मांतरण का मुद्दा इतना गंभीर है कि कोई उसके लिये मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जान से मारने की धमकी दे डाले, देश के खिलाफ बगावत करने का अंजाम तब पता चलता यदि किसी मुस्लिम देश मे होते ! अब तक खाल खिंचवा ली गई होती !
गौरतलब हो कि बीएमएसी के अध्यक्ष सलीम अपने  इस भड़काऊ भाषण  में कहता है कि  “हम मुसलमान लोग किसी से डरते नहीं हैं। अपनी सुरक्षा के लिए हथियार उठाने से भी नहीं कतराएंगे। अगर ऐसा होता रहा है तो हम सेना बनाकर सांसदों और विधायकों को सबक सिखाने के लिए विधानसभा और संसद पर हमला करने पर मजबूर हो जाएंगे। हम हर तरह के हथियार जमा कर सकते हैं। हम देश का चेहरा बदल सकते हैं, हमें हथियार उठाने के लिए मजबूर ना करें।’ उसने ये भी कहा कि पीएम और यूपी के सीएम ‘गंभीर परिणामों’ के लिए तैयार रहें। अगर इसे रोका नहीं गया, तो पूरे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा जाएगा !
देखा जाए तो यहाँ पर ये बात विचारणीय है कि माननीय मोदी जी और ,माननीय अखिलेश जी संवैधानिक पदों पर आसीन हैं उनके खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग करना देशद्रोह हैं ! बीएमएसी के अध्यक्ष सलीम अहमद  पर इस मामले को लेकर तुरंत केस दर्ज होना चाहिए ऐसे लोगों की जगह समाज में नहीं जेल में होनी चाहिये क्या कानून में इतनी हिम्मत है कि ऐसे देशद्रोहियों को जेल में सड़ा सके, अगर ऐसा नहीं किया गया तो अंजाम खतरनाक हो सकते हैं ! जहाँ तक मुझे लगता है कि धर्मगुरु समाज़ के पथ प्रदर्शक होते लेकिन ये इस तरह की भाषा व सोच द्वारा समाज़ के मार्गदर्शक बनने का तमगा लिए बैठा हैं….. हाँ मैं मानती हूँ धर्मांतरण करना गलत है पर देश के लिए ऐसी भाषा भी बर्दस्त नही होगी.. क्या धर्मगुरु और धर्मगुरु की भाषा ऐसी होनी चाहिये ? इन धर्म गुरुओं और नेताओं ने देश का महौल बिगाड़ दिया है जो मन मे आता है बोल देते हैं परंतु उसका बुरा फल बेकसूर जनता को झेलना पड़ता है ! मेरी नजर में देश के किसी भी नागरिक के लिये देश सबसे ऊँचा होता है ! देश के विरोध में जो आवाज तथाकतिथ मुस्लिम धर्म गुरु ने उठाई  है वह तो सीधा सी भाषा में देशद्रोह दर्शाती है यह कहना क्या चाहता है कि देश का नक्शा बदल देगा, क्या आशय है इसके कहने का, भारत का नक्शा बदलने की बात तो सपने में भी सोचना यह छौड दे, जहां तक रही बात श्री मोदी और अखिलेश जी को समझाने की तो ये क्या समझायेगा, इसकी इतनी विसात नहीं है, विधान सभा और संसद पर धावा बोलने का ख्याल भी दिमाग से निकाल दे वो जमाना लद गया जब भारत का एक हिस्सा उससे अलग हो गया था, रही धर्मांतरण की बात तो इस तरह की अफवाहों से नुकसान उनका होगा जिन्हें इस तरह की बातों और काम से कुछ लेना देना नहीं है जो बेचारे दो जून की रोटी की जद्दोजहद में दिन रात एक किये रहते हैं, हर लड़ाई में गरीब को नुकसान ही होता है ! इस धर्म गुरु का धमकी भरे अंदाज में ये कहना कि अगर इसे रोका नहीं गया, तो “पूरे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा जाएगा”  देश यानी भारत, तो क्या ये भारत को अपना देश ही नही मानता ?  मेरी अपनी नजर में ऐसे लोगो को ही आतंकवादी कहते है जो हथियार उठाने की बात करता है वो आतंकी ही होता है| ये कैसे-कैसे धर्म गुरु पैदा हो गये जिन्हें बोलने की भी तमीज नही, ये धर्मगुरु एक सच्चे मुसलमान होने का दावा करते हैं लेकिन अल्लाह और उसके रसूल (सल अल्लाह अलैहे वसललम) के बताये रास्ते, “सब्र और हिकमत” को छोड़ कर जज़्बाती हो कर वही काम, एक झटके में कर जाते हैं जो इस्लाम विरोधी वर्षों कोशिश करने के बाद भी नहीं कर पाते ! मोमिन भाइयों राह-ए-रास्त पर आइये और सच्ची तबलीग के तरफ बढिये, सच्ची तबलीग सबसे पहले हमारे चरित्र और हमारे व्यवहार से होती है, क़ौल और फेल में समानता लाने की कोशिश करिये ! वो कहते हैं कि संयम जो हमारी विशेषता थी उसको सब क्यों भूलते जा रहे हैं ? मेरा यह मानना है कि इस समय देश में जैसा वातावरण पैदा किया जा रहा है वो ना तो देश के हित में है और ना ही हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए अच्छा है, कभी सिंघल 800 साल बाद हिन्दुओं की सरकार बनने की बात करते हैं, रामज़ादे और हरामज़ादे बोला जाता है, कभी राजा साहिब के जन्म दिन का शोशा छोड़ा जाता है, कभी धर्मांतरण या घर वापसी का राग अलापा जाता है सिन्घल, साध्वी, चिन्माये आनंद और दूसरे तथाकथित लोग देश में नफरत का माहौल पैदा नहीं कर रहे हैं लेकिन सलीम ने जो बोला क्या वो देश के या मुसलमानों के हित में है ? क्या यह ज़हर उगल कर इसने माहौल में नफरत नहीं घोली ? क्या इस्लाम बुराई का जवाब बुराई से देंना सिखाता है ?
देखा जाए तो ऐसे हालातों में ये जरूरी हो गया है कि सरकार इन असामाजिक तत्वो से कठोरता से पेश आये ! फिर चाहे धर्म परिवर्तन करावाने वाले किसी भी धर्म के क्यों न हो ! सिर्फ मीडिया व संसद मे बहस करने से कुछ नही होगा ! आम आदमी को अपने अधिकार भारत के नागरिक होने के नाते मिलनी चाहिये ! इसके लिये धर्म परिवर्तन करावाना गलत है जिसके दुष्परिणाम हो रहे है और आगे भयानक हो सकते हैं !
सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक
इण्डियन हेल्पलाइन

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