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कभी “अमित शाह” का रोल अदा करने वाले “अमर सिंह” क्या फिर से सपा में वो मुकाम पा सकेंगे … ?

sach ka aaina
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सुनीता दोहरे प्रबंध सम्पादक

कभी “अमित शाह” का रोल अदा करने वाले “अमर सिंह” क्या फिर से सपा में वो मुकाम पा सकेंगे … ?

कभी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह अक्सर चर्चा में रहते थे जब तक अमर सिंह मुलायम सिंह के करीब रहे मीडिया  की हर चौथी खबर अमर सिंह से जुड़ती थी सपा सुप्रीमो की राजनीति को  हवा देने वाले अमर सिंह अपनी सामाजिक, राजनीतिक यात्रा में हमेशा ही  मिथक की भांति देखे जाते रहे हैं अमर को अपनी राजनैतिक निष्ठा बदले अभी कुछ ही समय बीता था कि अमर सिंह इसी मुगालते में रहेते थे कि उनके बगैर समाजवादी पार्टी का अस्तित्व ही नहीं रहेगा  और जिससे मुलायम सिंह यादव उनसे किनारा नहीं कर पाएंगे अपने इसी अंध भक्ति के कारण एवं पार्टी में अपनी अहमियत बनाए रखनें के कारण अमर सिंह नें तीन बार इस्तीफे का नाटक रचा था लेकिन सच्ची मित्रता को अंत समय तक निभानें वाले मुलायम सिंह ने तीनों बार ही उसे खारिज कर दिया था जिसे मुलायम के परिवार वालों और संगठन के लोगों ने भारी मन से स्वीकार किया था परिवार की मंशा को पूरी तरह समझकर ही मुलायम सिंह कुछ दिन अपनी दोस्ती को संभाले रखना चाहते थे पर किसी चीज की अति बहुत बुरी होती है और इसी अति ने अमर सिंह को कहीं का न रखा तीन बार की तरह चौथी बार 6 जनवरी 2010 को अमर सिंह ने पार्टी के सभी पदों से मुक्त होने का  इस्तीफा लिख मारा जिसका परिणाम ये हुआ कि पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव बौखला गये और उन्होंने 17 जनवरी 2010 को अमर सिंह को एक पत्र भेजा जिसका मजमून कुछ इस तरह है- ‘‘प्रिय अमर सिंह जी, 6 जनवरी 2010 को आपने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्ताफा दे दिया है जिसे मैं भारी मन से स्वीकार करता हूँ आपने सपा को मजबूत करने का अथक प्रयास किया है, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ आपका मुलायम सिंह यादव.’’
इतने बड़ी बात हो जाएगी इस बात का अंदाजा नही था अमर सिंह को !
एक वक्त था जब अमर सिंह सपा के माने हुए दिग्गज नेताओं की श्रेणी में आते थे मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अमर सिंह ने कई वित्तीय अनियिमतताएं कीं थी दस्तावेजी सबूतों में बताया गया था कि अमर सिंह ने कोलकाता, दिल्ली और कई अन्य जगहों के फर्जी पतों वाली कम्पनियों के माध्यम से धन की हेराफेरी की थी और तमाम छोटी छोटी कम्पनियों के सस्ते शेयरों को ऊँचे दामों पर खरीदा, फिर फर्जी तरीके से उन्हें बेच दिया गया था वर्ष 2003 से वर्ष 2007 तक सपा सरकार में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष रहे अमर सिंह को उस समय कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था अमर सिंह और उनकी पत्नी पर आरोप था कि उन्होंने 500 करोड़ रुपये के काले धन को सफेद करने के मकसद से कुल 55 कंपनियां रजिस्टर्ड करा ली थीं इनमें ज्यादातर कंपनियां कोलकाता में रजिस्टर्ड हुई थीं जिनको बाद में अमर सिंह ने अपनी कंपनी “पंकजा आर्ट प्राइवेट लिमिटेड” में मर्ज करा लिया था इससे उनकी कंपनी को एक माह में 500 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था इस मामले की तीन साल तक चली जांच के बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी ! बताया जाता है कि जांच में बाबूपुरवा के डिप्टी एसपी पवित्र मोहन त्रिपाठी ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि उनके पास मुकदमा चलाए जाने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं इस तरह के कई मुकदमें अमर सिंह पर लगाये गए जिसकी जद्दोजहद ने अमर सिंह को बीमार कर दिया साल 2009 के आम चुनाव में रामपुर की सीट पर प्रत्याशी को लेकर आजम खां और अमर सिंह के बीच झगड़ा हुआ था आजम खां इस सीट से अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाना चाहते थे लेकिन अमर सिंह ने यहां से जयाप्रदा को टिकट दिलवा दिया था  जिससे नाराज होकर आजम खां ने सपा की पार्टी छोड़ दी थी
सपा से निष्कासित किये गये अमर सिंह ने कभी मुलायम सिंह पर निशाना  साधते हुए कहा था कि मैंने सपा को अपना परिवार समझकर कार्य किया था लेकिन मेरे खराब वक्त में जब मेरा शरीर, मेरा भाग्य और मेरे सितारे साथ नहीं दे रहे थे उस संकट की घडी में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है जिसे में अभी तक भुला नहीं पा रहा हूँ ! अब अमर सिंह कहें चाहे जो भी, लेकिन ये तो साफ़तौर पर जाहिर है कि भले ही इंसान पार्टी से दूर चला जाये लेकिन मन की कड़वाहट सालों-साल जिंदा रहती है ! कभी उन सुनहरे दिनों में भारतीय राजनीति में सितारे की तरह चमक रहे अमर सिंह के सितारे कितनी बुरी तरह गर्दिश में पहुंचे कि अमर सिंह के सारे दोस्त, रिश्ते नाते विमुख हो गये ! अनिल अंबानी, अमिताभ बच्चन और मुलायम के बहुत करीबी रहे अमर सिंह न जाने किस अंधेरी गलियों में खो गये ! पार्टी से रुखसत हो जाने के बाद भी अमर सिंह की बेबुनियादी बातें गूंजती रहीं कि सपा को मिट्टी में मिला दूंगा अपनी इन सब हरकतों के चलते अमर सिंह राजनैतिक गलियारे में अपने कर्मों-कुकर्मों के कारण कुछ इस तरह कुख्यात हो गए है कि कोई इनके लिए अपने घर का दरवाजा खोल ही नहीं रहा है देखा जाये तो सपा सुप्रीमो न तो कभी किसी के अच्‍छे दोस्‍त हुए और न ही दुश्‍मन ! उनकी यही खासियत उन्‍हें राजनीति के उस मुकाम पर ले आयी है, जहां वो सचिन के उस छक्के के समान है जो एक बाल पर मैदान की सत्ता को हिला सकते हैं !
एक बात और कहना चाहूंगी कि सपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह ने रालोद के टिकट पर इस बार आगरा के फतेहपुर सीकरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें अमर सिंह की हार हुई थी। राज्यसभा सदस्य के रूप में अमर सिंह का कार्यकाल इसी साल खत्म होने वाला है। मुझे लगता है कि इसी कारण वश कुछ दिन से उन्होंने ‘मुलायम चालीसा’ का जाप शुरू कर दिया है कभी सपा सुप्रीमो के खासमखास रहे अपने आपको मुलायम सिंह के अमित शाह कहने वाले अमर सिंह को समाजवाद की संस्कृति बिगाड़ने का आरोप लगाकर सपा से बाहर कर दिया गया था लेकिन अब अमर सिंह की करीब चार साल बाद समाजवादी पार्टी में वापसी तय मानी जा रही है क्योंकि सपा सुप्रीमो “मुलायम सिंह” ने लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क के उद्घाटन के मौके पर उन्हें आमंत्रित किया था जिसके चलते ठीक चार साल बाद सपा सुप्रीमो और अमर सिंह लखनऊ में सपा के दिवंगत नेता जनेश्वर मिश्र के नाम पर बने पार्क के उद्घाटन समारोह में एक साथ दिखाई दिए। इस मुलाकात को समाजवादी पार्टी की राजनीति में नई करवट के रूप में देखा जा रहा है। आज अमर सिंह अपने आपको मुलायमवादी कहते घूम रहे हैं बदलती सियासी परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी को अमर सिंह के ‘प्रबंधन’ की जरूरत महसूस हो रही है। सच ही कहा गया है कि वर्तमान राजनीति में अब निष्ठा का कोई महत्व नहीं रह गया है “अवसरवादिता” नेताओं की आदत बनती जा रही है जातिवादी और देशद्रोही सम्प्रदायिक ताकत का इस्तेमाल कर यूपी भारत का सबसे पिछड़ा राज्य बन चुका है, बिहार और यूपी में अब अंतर नहीं रहा ! वैसे देखा जाए तो दलालो की, आज की राजनीति को और नेताओ को हमेशा जरूरत होती है ! आज की राजनीति के हालातों को देखते हुए अब लग रहा है कि सपा सुप्रीमो की भी नाव डूबती जा रही है इसलिए सांप सीढ़ी के खेल में माहिर रहे सपा सुप्रीमो फिर से कोबरामयी आँख मिचौली खेलना चाहते हैं और शायद अमर सिंह के पास भी सत्ता में रहने का यह आखरी मौका है इसी चक्कर में सीढ़ी चढ़ने की पुरजोर कोशिश लगातार जारी है………
सुनीता दोहरे …


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