सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ! शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते !!
माँ तेरे द्वार एक दुखियारी आई है
कहते हैं हिन्दुओं में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है ! हमारी संस्कृति में दुर्गा माँ अनेक शक्तियों के संचय की प्रतीकमानी जाती हैं इसीलिए प्रतिवर्ष पूजा के समय हर ओर आस्था का एक वैभवशाली रूप देखने को मिलता है इसके साथ ही दुर्गापूजा हर किसी के लिए अनूठे उल्लास, असीम उत्साह और तरंगित उमंगों का पर्व होता है लेकिन मेरे लिए हर दिन माँ का दिया हुआ है मेरी आस्था, मेरी इबादत, मेरी पूजा, मेरा विश्वास, मेरी पालनहार मेरी माँ वैष्णो माँ है हर सुख दुःख में मेरा साथ देने वाली मेरी माँ हर पल मेरे साथ रहतीं हैं मेरी माँ का ये संसार दीवाना है वो चाहें बच्चा हो या बूढा ! मेरी शेरों वाली माँ इस संसार को खेने वाली वो शक्ती हैं जिनका पूरे संसार में कोई सानी नहीं है ! मेरी माँ के भक्तगण माँ के दरबार में अपनी अपार श्रद्धा के चलते उनके भव्य रूप के दर्शन करने भारी तादाद में आते हैंमाँ के भक्त कहते है कि जब माँ भगवती के वो नौ दिन आते हैं तो इस पावन पर्व पर मन में एक अलग उल्लास पूर्ण वतावरण होता है नवरात्रों के नजदीक आने पर जगह-जगह मां दुर्गा की प्रतिमा को रख कर उनकी पूजा अर्चना करते हुए भव्य जागरणों का आयोजन किया जाता है मुझे अभी से इन्तजार है माँ के उन दिनों का, अब होली के बाद नवरात्रि आने वाली है लेकिन होली की कम मैं नवरात्रि की तैयारी करने में लगी हुई हूँ ! अपनी बीती यादों को आपके साथ साझा करना चाहती हूँ जब मैं अपनी माँ शेरों वाली के घर गई थी यूँ लग रहा था कि मुझसे ज्यादा शक्तिशाली कोई नही है क्यों, क्योंकि माँ का हाँथ मेरे सर पर जो था !
जब जब मुझे कोई कष्ट सताए, काँटों से दामन भर जाए ! माँ मेरी मंद मंद मुस्काती आये, कष्ट हर के मुझे गले लगाए !! मेरे सिरहाने खड़ीं होके मैया, मेरे सर पर हाँथ फिराए !!!!!!!
हम अब आपको कुछ ऐसे ही पवित्र स्थलों के दर्शन करवाएंगे जहाँ मां निवास करतीं है तो चलते है माँ के चरणों में, जहाँ सुख और शान्ती का अपार भंडार है माँ के द्वार हम सब के लिए हमेशा खुले रहते हैं सबके मन की मुरादे माँ पूरी करतीं है जब मैंने माँ के भव्य रूप के दर्शन किये तो पल भर को अपने सारे दुःख भूल गई आप भी माँ कुशहरी देवी के दर्शन व पूजा अर्चना कर मनोकामना पूर्ति का वरदान मांगिये !!!
उन्नाव में माँ कुशहरी देवी का भव्य मंदिर है आइये अब हम आपको उन्नाव के माँ कुशहरी देवी के मंदिर में विराजमान माँ कुशहरी देवी के दर्शन करवाते हैं कहते हैं माँ कुशहरी देवी की कृपा जिस व्यक्ति को कठोर साधना करने पर मिल जाय, उसे अपने जीवन को धन्य समझना चाहिए. समूचे भारत में यही एक कुशहरी देवी का मन्दिर है जिसमें आज भी मन्दिर के पीछे कसौटी पत्थर पर एक ही छत्रधारी घोड़ी पर सवार लव कुश की मूर्ति भी बनी है.माता कुशहरी का मन्दिर विशाल प्रांगण में बना है. मन्दिर के ठीक सामने पक्का सरोवर बना है जो गमघाट झील में मिलता है.माता कुशहरी देवी के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि हर तरफ माँ के भक्त रमकर देवी माँ दुर्गा को प्रसन्न करने की आस में पूरी तन्मयता से भक्ति में लीन है. मंदिर के पुजारी राजू सिंह जी कहते है कि मंदिर की मुख्य मूर्ति माता कुशहरी देवी की स्थापना भगवान राम चन्द्र जी के दोनों पुत्रों लव कुश के द्वारा हुई थी ऐसी मान्यता है कि यहाँ हर व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है. ——————————
माँ के एक और रूप के दर्शन करने मैं भी गई थी आपको भी करुणामयी माँ के भव्य रूप के दर्शन करवाती हूँ तो आइये अब हम आपको उत्तर-प्रदेश के आजमगढ़ जिले में ले चलते हैं जहाँ उन दिनों शारदीय नवरात्र में चल रहे दुर्गा पूजा मेले में भक्तों की भीड़ को देखकर यूँ महसूस हो रहा था कि हर तरफ सिर्फ मां ही माँ के भक्त हैं चारों तरफ भक्तिमय माहौल है !
मैं पड़ी हूँ तेरे चरणों में,हे मात् लगा लो सीने से ! मुझमें-तुझमें बस भेद यही,मैं अबला हूँ,तुम जग-जननी हो !! मुझ पर कर बस दो कृपा यही,रहूँ सदा तुम्हारे चरणों में ! मैं हूँ संसार के हाथों में,संसार तुम्हारे हाथों में !! भक्तों की भर दे झोली माँ, सब भक्त खड़े हैं कतारों में ! ये जीवन तो मोह-माया है,इस नरक से मुझे बचा लो माँ !! मैं बेबस और लाचार खड़ी,मुझे अपने पास बुला लो माँ ! तन-मन तो मैंनें सौंप दिया,अब बचा नही कुछ पास में माँ !! एक आँसूं हैं मेरे अपने,अब इनको मुझसे दूर करो ! सब कुछ तो मैंनें देख लिया, अब और ना जीना चाहूँ मैं !! ये तेरा है,ये मेरा है,संसार में इसकी धूम मची ! मैं चलते-चलते थक गई माँ,आँचल की छाया कर दो माँ !!
देखा जाए तो उन दिनों पूरा आजमगढ़ जनपद देवी आराधना में लीन सा हो गया था शहर के मुख्य चौक पर स्थित सिद्ध स्थल दक्षिणमुखी देवी मंदिर, कोलघाट गांव के रमायन मार्केट स्थित दुर्गा शिव साई मंदिर, बड़ादेव, रैदोपुर स्थित दुर्गा मंदिर, पल्हना क्षेत्र के पाल्हमेश्वरी धाम, निजामाबाद क्षेत्र के शीतला माता मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही थी देवी स्थानों पर उन दिनों मेले जैसा दृश्य दिखाई दे रहा था पूरा जनपद देवीमय हो गया था नौ दिन व्रत रखने वाले नियमित मंदिरों में पहुंच रहे थे ! माँ का ऐसा गरिमामय रूप देखकर आँखें धन्य हो गई !
——————————————- आइये अब आपको ले चलते हैं कानपुर नगर में स्थित माँ बारादेवी के मंदिर में जहाँ माँ के दर्शनों को लाखों की संख्या में भक्त अपनी हाजिरी लगाने आते हैं माँ के भक्तों का उमड़ा अपार जन सैलाब माँ की महिमा का गुणगान करते हुए माँ के आगे झुक झुक जाता है ! माँ बारादेवी की महिमा चारों ओर फैली हुईहै कानपुर नगर के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाने वाला बारादेवी मंदिर जो शहर के दक्षिण किनारे पर स्थित है. माँ के द्वार के पट खुलते ही पूरा मंदिर मां भवानी के जयकारों से गूंज उठता है. आस्था और भक्ति से लवरेज माँ के भक्त दर्जनों गाँवों और शहरों से दर्शन के लिए आते हैं. यहाँ आने वाले भक्तों को मंदिर में माँ की बारह शक्तियों के दर्शन होते हैं. और यही बजह है कि नगर में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. मंदिर के प्रबंधक शिवबिहारी शर्मा माँ के आगमन की कथा की जानकारी देते हुए कहते हैं कि ठाकुर परिवार में जन्म लेने वाली बारह बहिनें जो आगे चलकर नगर के इस मंदिर में आकर रुकीं और यहीं कि होकर रह गई जिसके कारण इस मंदिर का नाम बारह देवी पड़ा ! ————————————-
और अब पिछले साल जब में माँ वैष्णों देवी के चरणों में गई थी उस समय के पावन दिनों को भी आपके साथ साझा कर रही हूँ तो आइये चलते है माँ वैष्णों के दरबार….. माँ वैष्णों देवी की महिमा देश विदेश में फैली हुई है ! समुद्रतल से 500 फुट की ऊंचाई पर पहाड़ की कंद्रा में देखने को तो वहां पत्थर की तीन पिंडियां हैं उन पिंडियों में कुछ ऐसा सम्मोहन है कि बड़े से बड़ा नास्तिक भी वहां शीश नवाने को विवश हो जाता है। अनेक धर्मों, जातियों, मतों और सम्प्रदायों के लोग इस धाम की यात्रा करते हैं, क्योंकि माता वैष्णों देवी इन सभी विभाजनों से दूर हैं। दुनियां के किसी भी कोने से आए हुए श्रद्धालु हों या भारत के किसी अन्य शहर से। यहां आने वाले सभी एक दूसरे को जय माता दी कहकर अभिवादन करते हैं. श्रद्धा और विश्वास का ऐसा संगम शायद ही कहीं अन्यत्र देखने को मिले !
पूरे वर्ष हर दिन असंख्य लोग, पहाड़ों को काट कर बनाए गए ऊंचे रास्तों पर मीलों की यात्रा करके इस पवित्र एवं पौराणिक स्थान पर पहुंचते हैं जो श्रद्धालु अपनी सच्ची श्रद्धा से हिमालय पर्वत श्रृंखला की इस त्रिकुटा पर्वतमाला में स्थित, माँ वैष्णों देवी के इस धाम की यात्रा करता है, उसका विवाह, संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य, व्यापार या परीक्षा में सफलता आदि के संबंधित सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और वह निराश नहीं लौटता है ! मन बरबस ही झूम कर गाने लगता है …..
दिल रहा तुझे पुकार,कि मेरे घर आओ अम्बे ! तेरी चारों तरफ पुकार,कि मेरे घर आओ अम्बे !! तेरी हो रही जय-जयकार,कि मेरे घर आओ अम्बे ! मेरा सूना पड़ा घर दॄार कि मेरे घर आओ अम्बे !! तेरे हो गये भक्त,निहाल कि मेरे घर आओ अम्बे ! भक्तों का कर दे बेड़ा पार,कि मेरे घर आओअम्बे !! सबके बना दे बिगड़े,काम कि मेरे घर आओ अम्बे ! सबकी भर दे झोलियाँ आज, कि मेरे घर आओ अम्बे !!.
यहाँ मैं अपने अनुभवों को बताना चाहूंगी कि मैंने आज तक जो भी माँ से माँगा है वो मुझे मिला है मेरे कुछ ऐसे अनुभव हैं जिन्हें मैं अगले ब्लॉग में पोष्ट करुँगी !!!!!
मुझे इन्तजार है अप्रैल माह में आने वाले नवरात्रों का ….
नवरात्रि पूरे भारत मे बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है, यह नौ दिनो तक चलता है महाकाली,महालक्ष्मी और महासरस्वती,ये तीनों देवियाँ महादेव, ब्रह्मा और विष्णु की शक्तियों के रूप में संसार में जानी जाती है!इन तीन देवियों के भी तीन-तीन स्वरूप हैं अतः कुल मिलाकर नौ देवियाँ होती हैं. नवरात्रि के पहले तीन दिन मां दुर्गा के तीन स्वरूपों की आराधना की जाती है ! इसके अगले तीन दिन तक देवी महालक्ष्मी के तीन स्वरूपों और अंतिम तीन दिनों में महासरस्वती के तीन स्वरूपों की आराधना की जाती है !महाकाली के रूप में मां दुर्गा की आराधना समस्त कष्टों और पापों से मुक्ति प्रदान कराती है. महालक्ष्मी के रूप में माँ दुर्गा की आराधना धन,ऐश्वर्य और कीर्ति प्रदान कराती है और महासरस्वती के रूप में मां दुर्गा की आराधना भक्ति,ज्ञान,एवं मुक्ति प्रदान कराती है ! देवी दुर्गा के उदय की कथा हमें यही बताती है कि सभी प्रकार की शक्तियां एकरूप होकर किसी भी विनाशकारी ताकत को मिटा सकती हैं ! सुनीता दोहरे …..
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