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ऐसा प्रतीत होता है जैसे गज़नवी और बाबर का समय वापस लौट आया है………

sach ka aaina
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ऐसा प्रतीत होता है जैसे गज़नवी और बाबर का समय वापस लौट आया है………

रविवार सुबह अयोध्या से जैसे ही यात्रा शुरू हुई, वीएचपी के बड़े नेताओं अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया, महंत नृत्यगोपाल दास, पूर्व सांसद राम विलास वेदांती समेत 1696 लोगों को हिरासत में ले लिया गया और सभी को 14 दिन तक हिरासत में रखने का निर्णय भी लिया गया. गौरतलब हो कि यह परिक्रमा धार्मिक भावनाओं से जुड़ी थी इसे उत्तर-प्रदेश की समाजवादी पार्टी ने राजनैतिक रंग देकर माहौल को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
इतना सब करने के पीछे आखिर क्या मंशा है उत्तर-प्रदेश सरकार की ये अवाम बखूबी जान चुकी है. उत्तर-प्रदेश सरकार के इस सियासी खेल को देखते हुए इस बात की तो दाद देनी पड़ेगी कि 84 कोस परिक्रमा रोकने के लिये इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था कर दी पर एक बार ये भी नही सोचा कि इसी सुरक्षा व्यवस्था का उपयोग इस परिक्रमा को शांतिपूर्वक संपन्न करवाने में करते लेकिन उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया गया क्योंकि वोट बैंक की राजनीति इन सबके लिए अवाम की मुश्किलों से ज्यादा अहमियत रखती है और जाति-धर्म के बल पर ही राजनीतिक दांव-पेंच खेलकर जनता की धार्मिक भावनाओं का उपहास उड़ाना ही इन नेताओं की पहली प्राथमिकता है. अभी कुछ दिनों पहले की ही बात ले लीजिये लखनऊ के चौक इलाके में एक जुलूस को लेकर मुसलमानों के सिया और सुन्नी समुदायों के बीच दंगा हुआ, कई लोग मारे गए और साथ ही कई हफ्तों तक कर्फ्यू लगा रहा. देखा जाये तो लखनऊ में पचासों साल से सिया और सुन्नी समुदायों मे जुलूस निकालने को लेकर दंगा फसाद होता रहा है. उत्तर-प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी तो भाजपा नेता लाल जी टन्डन ने दोनो समुदायों के बीच समझौता करवा दिया था. तब से लेकर अभी तक वहां कोई दंगा नहीं हुआ. और अभी जब उत्तर-प्रदेश में सपा की सरकार आई तो सिया और सुन्नी के बीच फिर दंगा हुआ.  मैं पूछती हूँ कि सपा सरकार से कि जब आपकी सरकार में आजम ख़ाँ साहब जैसे नेता हों तो क्या फिर ये दंगा होना चाहिए ? या फिर आप बताएंगे की अब ऐसा क्या हुआ कि आप की सरकार आते ही मुसलमानों के दो समुदायों के बीच भी आप इतने दिनों का बना बनाया सौहार्द कायम नहीं रख सके आखिर क्यों ? और सबसे बड़ी बात कि आपकी सरकार के अनुसार अब जब यह भी साबित हो चुका है कि दोनो समुदायों के बीच जुलूस को लेकर सौहार्द बिगड़ सकता है. तो क्या अब अगले साल यह जुलूस नहीं निकाले जाएंगे ? क्या आप अगले साल इन जुलूसों को निकलने की इजाजत नहीं देंगे ? क्योंकि आपके हिसाब से सौहार्द बिगड़ सकता है तो फिर आजम खान साहेब यह दोहरी नीति कैसी ? क्यों हिन्दू धर्म की मान्यताओं को सौहाद्पूर्वक करने नहीं दिया जा रहा है.
ये सब देखकर ऐसा लगता है कि
उत्तर- प्रदेश को तालिबान बनाया जा रहा है, क्योंकि हमारे साधु संत अपने ही देश में पूजा-पाठ अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकते आखिर क्यों ? वहीँ दूसरी तरफ आप उस मुद्दे पर नजर डालिए जो कि ज्यादा पुराना नहीं है नमाज अदा करने को लेकर सड़कों पर खूब उत्पात मचाया गया इसके बावजूद पुलिस सुरक्षा मिली आखिर क्यों ? कितनी घटिया राजनीति हो रही है वोट बैंक बढ़ाने के लिए.
देखा जाये तो राम मन्दिर निर्माण का रास्ता राजनेतिक गलियारे से होकर गुजर रहा है कारण सपष्ट है.
सब कहते है मुस्लिम शान्तिप्रिय मजहब वाले होते हैं तो ये कैसा मजहब है आपका जिसमें हम अपने धर्म कि पूजा नहीं कर सकते. क्या इस देश में हिंदू होना, राम भक्त होना या अपनी तीर्थ यात्रा पर जाना एक अपराध है ? बिना किसी अपराध के गिरफ्तारी का वारंट इशु हो जाये ये कहाँ तक उचित है.
आपके धर्म में 5 वक्त अजान लगाना, सड़कों पर नमाज़ पड़ना और सब्सिडी लेकर अरब मे हज़ को जाकर अरब को आर्थिक फायदा कराना और ऊपर से अगर भारत से बहार के मुस्लिम के साथ कोई घटना हो जाए तो तोड-फोड़-आगजनी भारत मे होती है क्या इन सबसे साम्प्रदायिकता नही फैलती ? और वहीँ दूसरी तरफ अगर हिन्दू कावंड़ लाये, अमरनाथ यात्रा पर जाये, वेष्णो देवी की यात्रा पर जाएं, अयोध्या जाये, मंदिर पर आरती गाये, घंटे बजाएं तो साम्प्रदायिकता हो जाती है ये बात विचारणीय है.
इन नाजुक हालातों में हिन्दुओं के सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार हो रहे हैं फिर भी भारत शांत कैसे ? कोई बाजार बंद नहीं हो रहे, शहर बंद नहीं हो रहे क्यों ?
और ऊपर से अलग-अलग चैनल्स अपने भद्दे कमेंट्स दे कर 84 कोसी परिक्रमा सहित हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाते नजर आ  रहे हैं. मुझे हैरानी होती है मीडिया के इन दलाओं पर…..अगर आपने टीवी चैनल्स देखें हैं तो देखिये क्या कहते है ये कुछ चैनल्स जैसे इंडिया न्यूज़ ने कहा: “फिक्स परिक्रमा थी, फुस्स तो होना ही था” “अयोध्या का बवंडर उठने से पहले ही शांत” “दिल्ली आएगा अयोध्या अध्याय” “आज अयोध्या कूच नाकाम, कल मचेगा देश में कोहराम”…………
जी न्यूज़ ने कहा : “84 कोस का चक्रव्यूह” ” वोट यात्रा” ” परिक्रमा फ्लॉप, प्लान हिट”
एबीपी न्यूज़ ने कहा : “चलना था 84 कोस, चले 84 कदम भी नहीं” “परिक्रमा पर पॉलिटिक्स कौन कर रहा है”
ये सब कमेंट्स इन चैनल्स के खुद के हैं जो परिक्रमा के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का काम कर रहे हैं. देखा जाए तो सबसे बड़ी “राजनीति” परिक्रमा पर तो ये चैनल कर रहे हैं जो अपने कमेंट्स में भी पक्षपात करते हुए नजर आ रहे हैं. अगर हिम्मत होती इन चैनल्स के किरदारों में तो अवाम को परिक्रमा की सही तस्वीर दिखाते हुए ये भी ब्यान करते कि उत्तर-प्रदेश एक पांचाली राज्य है जिसके पांच मुख्यमंत्री है जिसमें सबसे अहम् आजम खान हैं जो जैसा चाहते हैं वैसा करते हैं खैर फिलहाल तो सपा सरकार के इस सियासी खेल में कुछ अहम् खिलाड़ी अपने मंसूबों में कामयाब हुए हैं और 84 कोस परिक्रमा के प्रति आस्था रखने वाले बेबस और लाचार……….
सुनीता दोहरे…….


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