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एक सत्य ऐसा भी जो विचारणीय है…………

sach ka aaina
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एक सत्य ऐसा भी जो विचारणीय है…..

मेरे दिल से जवानो की शहादत को नमन…….हमारी सरकार की कायरता की वजह से आज सीमा पर लगातार हमारे जवान शहीद हो रहे है और शहादत के बाद भी कोई नेता उनको लाश कह रहा है तो किसी को शहीद जवानो की अंतिम यात्रा के सम्मान के लिये भी टाइम नही है. लानत है हमारे इन नेताओ पर. जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तानी सेना के हमले में बिहार ने चार सपूतों को गंवा दिया, लेकिन राज्य सरकार ने इन शहीदों के प्रति जबर्दस्त बेरुखी दिखाई. चारों जवानों के पार्थिव शरीर बुधवार की रात विशेष विमान से पटना लाए गए थे लेकिन आश्चर्यजनक रूप से नीतीश सरकार का कोई भी मंत्री एयरपोर्ट नहीं पहुंचा। इसके बाद सुबह छपरा में शहीद प्रेमनाथ सिंह के अंतिम संस्कार में भी राज्य सरकार का कोई मंत्री या जेडीयू का बड़ा नेता नहीं पहुंचा.
सुनने में आया था कि मंत्री जी सो गए हैं. जबकि उनके घर से एयरपोर्ट महज एक किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट के पास ही रहने वाले शिक्षा मंत्री पीके शाही, छपरा जिले से ही मंत्री गौतम सिंह और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एयरपोर्ट जाने के बजाय आराम फरमाना बेहतर समझा. बिहार सरकार को इस मसले को संवेदनशील होकर सोचना चाहिये.
मैं तो कहती हूँ जिन अल्पसंख्यक वोटों के लिये नीतीश ने 17 साल पुराना गठबंधन मोदी की आड़ लेकर तोड दिया वो कैसे उन शहीदों को सम्मान देने के लिये अपनी हाज़िरी लगाते , समझने की बात है राजनीति झूठे-वादों के दांव-पेंच खेलकर की जाती है और वही बिहार सरकार कर रही है. जो इंसान अपनी ओर अपने देश की जनता की सुरक्षा ना करना चाहे उसे फॉज के जांवीर सिपाहियों से क्या लेना देना.
हमे शर्म आती है इन भ्रष्ट नेताओं को देश का रक्षक कहते हुए क्योंकि आज हमारे नेता कहलाने वाले इन पाखंडियों मे ना तो देशभक्ति बची है और ना ही ये शहीदों का सम्मान करना चाहते हैं. इन भ्रष्टाचारियों को तो सिर्फ कुर्सी और सत्ता चाहिये फिर चाहें भले ही देश के साथ और जनता के साथ गद्दारी करके कुर्सी मिले. हद तो इतनी है कि इन कुर्सी के लालचियों को गरीबों की आहें भी दुआएं लगतीं है क्योंकि ये इतने नास्तिक हो चुके हैं इसलिए इन्हें ऊपर वाले के खौफ का डर भी नही रहा.
ये जनता के लिये और पूरे देश के लिये शर्म की बात है की ऐसे स्वार्थी लोग देश और देश की सरकार चला रहे है.
बिहार सरकार को ये समझना होगा कि भारत की जनता नेताओ के सारे ज़ुल्म भूलकर माफ कर सकती है लेकिन शहीदो से आपकी बेरुखी कभी नहीं माफ करेगी और ना भूलेगी क्योंकि भारतीय सेनिक ही है जो देश की एकता और अखंडता के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर देते है और इनकी बेकदरी भारत की जनता कभी भी भूल नही सकती.
ये नेता यह भूल गयें हैं कि इन जवानो की वजह से ही इस देश का हर व्यक्ति और नेता खुद अपने सर को फ़ख्र से उठाकर चलते हैं जिस दिन सेना के सैनिकों ने जवाब दे दिया उस दिन क्या हालत होगी इन भ्रष्टाचारियों की.
इस देश के निवासियों आपको एक बात समझनी होगी कि जब पटना एयरपोर्ट पर अमर शहीदों के पार्थिव देह को सलामी दी गयी. तो प्रोटोकॉल के अनुसार यदि किसी सैनिक का शव जो अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुआ हो तो उसके राज्य में उसका पार्थिव शरीर पहुचने पर राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि जो एक मंत्री होता है उसकी उपस्थिति अनिवार्य होती है. आज जब एक दो नही बल्कि चार-चार बिहारी सपूतो के शव जब पटना एयरपोर्ट पहुंचे और उन्हें सलामी दी गयी तो बिहार सरकार का एक भी मंत्री तो दूर कोई संतरी भी नही पहुंचा. इतना सब होने पर थप्पड़ खाने के बाद थप्पड़ मारने वाले को ही सहलाना यानि की वोट देना ये आप लोगों की मूर्खता नहीं तो और क्या है ?
सुनीता दोहरे ……

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