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चढ़ गई दुर्गा सियासत की भेंट ……..

sach ka aaina
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चढ़ गई दुर्गा सियासत की भेंट ……..

रेत माफिया की नाक में नकेल डालने वालीं एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के सस्पेंशन के केस में डीएम की रिपोर्ट और गांव वालों के बयान के बाद नया मोड़ आया तो लेकिन
सुनाने में आया कि दीवार उन्होंने गिराई ही नही. गौतमबुद्धनगर के डीएम ने कहा है कि यह दीवार गांव वालों ने खुद गिराई है. गौरतलब है कि इसी दीवार को गिराने के ऑर्डर के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा होने के खतरे का हवाला देकर उन्हें सस्पेंड किया गया. डीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ग्रेटर नोएडा के कादलपुर गांव में अवैध निर्माण की गतिविधियों के मद्देनजर नागपाल पहुंची जरूरी थीं, लेकिन उन्होंने मामला बातचीत से सुलझा लिया था। वहां जो कंस्ट्रक्शन शुरू ही हुआ था उसके बारे में यह क्लियर नहीं है कि वह धार्मिक स्थल था या नहीं. नागपाल ने गांव वालों से कहा कि वे या तो सरकारी नियमों के अनुसार धार्मिक स्थल बनाएं या फिर गैर कानूनी ढांचा गिरा दें। तब गांव वालों ने खुद ही यह ढांचा गिरा दिया था। कोई सरकारी मशीनरी इस काम में उपयोग नहीं लाई गई.
यूपी की अखिलेश सरकार के पक्ष के उलट कादलपुर गांव के कुछ लोगों और जिला पुलिस ने धार्मिक सद्भाव बिगड़ने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। यहां के लोगों का कहना है कि इस धार्मिक स्थल का निर्माण गांव के सभी धर्मों के लोगों की सहमति से हो रहा था और इसलिए दंगा भड़कने के हालत थे ही नहीं. तब क्या वजह थी कि नोएडा की 28 साल की आईएएस ऑफिसर दुर्गा शक्ति को रविवार सुबह आनन्-फानन में निलम्बित कर दिया गया.
सूत्रों के मुताबिक़ गौतम बुद्ध नगर में रेत खनन की गतिविधियों से समाजवादी पार्टी के एक सीनियर नेता सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। नागपाल के रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से उसके खुद के हितों पर चोट पहुंची और उन्होंने नागपाल के ट्रांसफर की कई कोशिशें कीं लेकिन, जब उनका ट्रांसफर वह नहीं करवा सके तो निर्माणाधीन धार्मिक स्थल के गिराए जाने की घटना को उन्होंने अपने फेवर में भुना लिया.
कहा जा रहा है कि रमजान के पवित्र महीने में एक धार्मिक ढांचे को ढहा कर उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डाल दिया। लेकिन यह बात सरासर झूठ साबित हुई.
पूरी बात को गौर से
देखा
जाये तो बात बिल्कुल साफ़  है. मामला अवैध खनन से है क्योंकि जब निर्माण सबकी मर्ज़ी से हो रहा था फिर दंगा फसाद होने की बात ही नही. दुर्गा जी खनन माफियाओ के पीछे पड़ी हुई थी जिससे उन्हे हटाया गया. बात कुछ और है सरकार कुछ और बता रही है क्योंकि खनन माफिया भी तो सरकार की शय पर काम करते हैं.
खुद किये हुये काम के लिये किसी और को सजा क्यो दे रही है सपा सरकार. जब डीएम् साहब भी बोल रहे हैं की दुर्गा नागपाल ने नही गिरवाई वह दीवार तो उसकी सजा उन्हें क्यो दी गयी. इससे एक बात और पुख्ता होती है कि एक निडर अफसर को ताकतवर खनन माफिया से टक्कर लेने की कीमत चुकानी पड़ी. सभी जानते हैं कि राज्य की दो राजनीतिक ताकतों की शह पर खनन माफिया फलता-फूलता रहा है. जब जो सत्ता में होता है, उसकी तरफ का माफिया ज्यादा ताकतवर हो जाता है और अब यह इतना शक्तिशाली हो चुका है कि जब चाहे, जहां चाहे नियम-कानून की और सुप्रीम कोर्ट तक की भी धज्जियां उड़ा सकता है.
ये सरकार की चाल है जो दो सम्प्रदाय को आपस मे लड़वाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं. क्योंकि उन्हे रेत माफियाओं से मोटी रकम मिलती है जो नही मिल रही थी दूसरे सारे रेत माफिया कोई ना कोई नेता के संपर्क मे है चाहे वा नेता का भाई हो या दोस्त. किसी की ईमानदारी से काम करना इनको अच्छा नही लगता सब बेईमान और भ्रष्टाचारी जो हैं.
अब सरकार की अच्छाई इसमे है की दुर्गा को तुरंत बहाल करके मसले को सुलझाया जाये और भविष्या मे ऐसी गलती ना करे सपा सरकार. वोट बैंक के लिये विपक्षी पार्टियाँ कुछ भी कर सकती हैं लेकिन हमे सोचना होगा समझना होगा अपने देश हित के लिए.
एक बात और गौर से मेरी समझिये कि बिना झाड़ू के गंदगी तो फैलेगी ही और झाड़ू चलाने वाला स्वतंत्र होना चाहिए जो कचरे को हटाकर साफ़सुथरी जमीन दिखा सके क्योंकि झाड़ू चलाने वाले का सफाई में योगदान अहम होता है.
जुर्म करते हैं सियासत के खिलाड़ी और इल्जाम रखवालों पर लगाकर खुद तमाशा देखते हैं. मैं तो सिर्फ इतना कहूँगी कि अगर दुर्गा ने ये किया है तो क्या गलत किया है. जो चीज अवैध है उसे नही होने दिया चाहे वो हिन्दू का मंदिर हो या मुस्लिम की मस्जिद. इस देश का गलत नीतियों और प्रावधानो से बहुत नुकसान हो चुका है संविधान में सभी को सामान अधिकार या सम्प्रदाय के समानता का हक है
एक जमाना था जब इस देश को ब्यूरोक्रैट्स चलाया करते थे ? नेताओं को सलाह देना और उन्हें गलत काम करने से रोकना उनका काम हुआ करता था धीरे-धीरे हालात बदल गए अब ऐसा नहीं होता. खनन के द्वारा भरपूर रुपया कैसे प्राप्त किया जाए इसके लिए ये अपनी इमानदारी अपन पद सब भूल जाते हैं ये ये भी भूल जाते हैं कि देश के प्रति बफादारी के लिए जो शपथ ग्रहण करते समय जुमले कहे थे उनका मतलाब क्या था ?
कल इसी न्यूज़ पर बहुत लोगों ने मुस्लिमों के खिलाफ ज़हर उगला बिना सच्चाई जाने. यही तो यह नेता लोग चाहते हैं कि बेवकूफ जनता आपस में लड मरे और इनको वोट मिले धर्म के नाम पर हिन्दू मुस्लिम को लड़ा कर अपना फायदा कमाते हैं और सीधी सादी जनता इन के बेहकावे में आकर एक दूसरे का खून बहाते हैं भारत में रहने वालों कब समझोगे तुम इन भ्रष्ट नेताओं की राजनीति को. चाहे भाजपा हो या कांग्रेस सबको वोट की पड़ी है. भारत में रहने वाली उस तमाम आवाम की किसी को नही पड़ी जब सारे भारतीय आपस में लड़ कर खून खाराबा कर रहे होंगे तब यह नेता सिंगपुर या स्विट्ज़र्लॅंड में बैठ कर इंडिया के जनता से वसूले हुए टॅक्स के पैसे का घोटाला करके ऐयाशी कर रहे होंगे.
नेताओं का संगठित गिरोह होने के साथ-साथ बड़े-बड़े उधोगपति इसमें शामिल होते हैं. वक्त के साथ-साथ ब्यूरोक्रेसी (निश्चित रूप से उसका बड़ा हिस्सा) भी इस चंगुल में फंस चुकी है. इन सभी का मिलकर एक गिरोह तैयार हो चुका है. यह गिरोह इतना ताकतवर है कि अगर कोई अफसर आजाद होकर इमानदारी के रास्ते पर चलना चाहे तो उसकी खैर नहीं. इसलिए ईमानदार अफसर भी चुप ही रहते हैं.वैसे दुर्गा इस मामले में किस्मत वालीं हैं कि आज वह ज़िंदा हैं वरना उत्तर-प्रदेश में किसी की जान लेना आज बहुत मुश्किल नहीं है. मामला चाहे खनन का हो या अवैध निर्माण का, दोनों ही स्थितियों में दुर्गा सही हैं और अखिलेश सरकार पूरी तरह से गलत.
…..सुनीता दोहरे …

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