ना जाने मुझे क्या सूझी एक दिन मैंने यूँ ही तुम्हारी सुरमई अखियों पर कसीदे लिख डाले. उन दिनों दीवाने भी तो थे हम तुम्हारी उन सुरमई अखियों के और तुम मेरे घने केशों के. मेरी उड़ती जुल्फों को देखकर तुम अक्सर ये गाना गया करते “ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखें, इन्हें देखकर जी रहे हैं सभी” मेरा मूड खरान हो जाता और मैं अक्सर यही कहती जब इन जुल्फों को देखकर सभी जी रहे हैं तो फिर तुम इन जुल्फों के लिए कसीदे क्यों पढ़ रहे हो. क्योंकि तब मुझे इस गाने के बोल का मतलब नही पता था और सच पूछो तो पता तो आज भी नही है. वैसे अक्सर लोग कहते हैं कि महिलाओं की आदत होती है अपने प्रेमी या पति से ये पूछने कि तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे तो ये उन लोगों को बताना चाहूंगी कि महिलायें अपने प्रेमी या पति से ये तब ही पूछती हैं जब उन्हें दाल में कुछ काला लगता है वे जान जातीं हैं कि कुछ अलग हो रहा है उन दिनों मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था तो मैं भी एक दिन यूँ ही तुम्हारे नजदीक आकर बहुत कुछ सुनाने को बेताब थी. मुझे याद है वो शाम जब मैंने तुम्हारी उन सुरमई अखियों में झांककर तुमसे पूछा था कि क्या तुम मुझे भूल जाओगे ? तुम निरुत्तर सा मुझे देखते रहे कोई जवाब नही दिया तुमने. अपने भविष्य को लेकर मेरे मन में सवालों के सैलाब उमड़ते रहते और मैं उन्हें तुमसे जानने की कोशिश में रोज छली जाती रहती. मन बगावत के लिए कुलांचे मारता पर तुम्हारी उन सुरमई अखियों को देखकर दिल ऐसे साफ़ सुथरा होकर तुम्हारे पहलू में बैठ जाता जैसे तुमसे कोई शिकायत ही ना हो. दिन बीतते रहे मेरे दिमाग में ये बात कौंधती रहती क्योंकि तुम कुछ बदल से रहे थे दिनों-दिन तुम्हारी प्रतिक्रियाएं बदल रहीं थी तुम में बादलाव आया था हाँ बहुत आया था फिर एक दिन शाम को मैंने वही सवाल कर दिया कि क्या तुम मुझे भूल जाओगे ? एक फीकी सी हँसी तुम्हारे चेहरे पर नजर आई थी फिर तुम अचानक बोले कितने घिसे-पिटे कपडे पहन रखे हैं तुमने इन्हें लगता है धोती भी नहीं हो. वही कपड़े में रोज नजर आती हो तुम्हारी ये बात कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह गयी थी मुझे समझ आ गया था कि तुम्हे बदलाव चाहिए मेरे कपड़ों का नहीं अपने लिए नये साथी का क्योंकि तुम मुझसे बोर हो चुके थे लेकिन न जाने क्यों तुम मेरे साथ हुए रिश्ते को ढो रहे हो कारण कुछ साफ़ नजर नहीं आ रहा था और दिन ब दिन मुझे तुम पर शक होता जा रहा था सोचती थी कोई तो ऐसा है जो धरती से बादलों का घुमडना-बरसना छीनना चाहता है……ऐसा क्या है अब जो अचानक मेरे कपड़े पुराने दिखने लगे खैर दिन बीत रहे थे और मैं बैचेन थी ये जानने के लिए कि मेरा भविष्य क्या होगा दिल में बेतहाशा दर्द उठता था एक कसक होती थी कि अंजाम क्या होगा और एक दिन फिर मैंने फोन से पूछा कि क्या तुम मुझे भूल जाओगे ? उनके चेहरे के भाव तो नही दिखे लेकिन दिल को चीरती हुई दो लाइन सुनाई दी कि “सुनी परिवर्तन अटल होता है” या यूँ कहें कि परिवर्तन सत्य होता है. इन दो लाइनों ने मेरी जिन्दगी बदल दी, सत्य तो सामने आ चुका था सीधी तरह नही पर घुमा-फिरा कर ये बात तो सामने आ ही गयी कि तुम्हारे लिए अब मैं महत्वपूर्ण
नहीं रहीं. क्या तुमने कभी ये सोचा कि तुम पर अपना सब कुछ न्योछावर करने के बाद मेरे पास बचा ही क्या है जो मैं सुकून से रहूँ. कभी-कभी तो दिल बैचैन हो उठता कि कह दूँ कि चले जाओ….. क्यों हो उदास ? अब जाओ भी… जाओ ले जाओ मेरे हांथो की लकीरों को अपना मुक्द्दर मैं खुद सवांर लूंगी जीना है मुझे इतना हौंसला तो रखती हूँ ….. तुम जब भी मुझसे बात करते हमेशा यही कहते कि रुपया कैसे कमाया जाये, मुझे बहुत ऊँचे उठाना है, मेरा ये काम जरुर होना चाहिए इन बातों के अलावा तुम्हारे पास मेरे लिए एक बात और होती वो ये कि अपनी पसंद के दो गाने लगातार ५ घंटे सुनना और मुझे भी सुनाना कारन ये कि वो गाने मुझे बेहद पसंद थे. तुम ये क्यों नहीं समझते कि अब इतने भी पसंद नहीं हैं कि तुम्हारी आवाज की जगह मुझे सिर्फ वो गाने सुनाई दे वो भी लगातार ५ से ६ घंटे. जिन्दगी नीरस सी होने लगी. हाँ कभी-कभी तुम्हारी आवाज में भी गाना सुनाने को मिल जाता तो उस दिन ऐसा लगता कि जिन्दगी कितनी हसीन है. इन्ही धोखे और भुलावे में रहकर धीरे-धीरे जिन्दगी तन्हा होने लगी. आत्मा द्रवित होकर दिल को तसल्ली देती कि आज तू भी सुन ले इश्क की हकीक़त तू कहती है कि इश्क इबादत होती है इसलिए तो तेरा इश्क अपनी मोहब्बत की इबादत करता है तू अपनी मोहब्बत की इबादत कर वो अपनी मोहब्बत की इबादत करेगा. और दिल आत्मा के प्रवचन सुनकर धन्य हो जाता….. इश्क की राहों में जज्बात बदल जाते हैं बुरे वक्त की आंधी मैं हालात बदल जाते हैं सोचती हूँ सब भूल के तुझे मांफ कर दूँ पर तेरी बेबफाई देख मेरे ख्यालात बदल जाते हैं ……. सुनीता दोहरे….
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