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हम से का भूल हुई, जो ये सजा हमका मिली……

sach ka aaina
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हम से का भूल हुई, जो ये सजा हमका मिली……

बॉक्स…. हम पे इलजाम ये है, सच को क्यों सच कहा, क्यो सही बात कही काहे ना कुछ और कहा…..

देखा जाए तो आज तमाम राजनीतिक दल सेक्युलरिज्म के नाम पर भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबी मनमोहन सरकार की पालकी ख़ुशी-ख़ुशी ढो रहे हैं. वे बीच-बीच में ये नारा लगाते रहते हैं कि साम्प्रदायिक शक्तियों को दूर रखने के लिए हम साथ-साथ हैं. आश्चर्य नहीं कि कुर्सी पाने के लिए ये गिने-चुने नामी गिरामी दल ऐसे दलों में शामिल हो जाएँ.
देखा जाए तो अपने देश में सेक्युलरिज्म एक ऐसे छाते की तरह है जिसे कोई भी लगाकर हर किस्म के अनैतिक कर्म करते रह सकता है. अब देखिये भाई अभी कुछ दिन पहले की बात है कि मुंडे ने जो ब्यान दिया उससे राजनीति के धुरंदरों की इमानदारी की शाख पर बट्टा जरुर लग गया. मुंडे ने सच ही तो बोला है क्या गलत बोला है. वैसे देखा जाए तो ये एक तरह से सच ही है जनता जानती है आज के समय में करोड़ों खर्च किये बगैर कोई चुनाव नहीं जीत सकता और ये बात तो सभी दलों के नेता समझते हैं. मुंडे से गलती ये हो गई कि उसने ये सच सबके सामने स्वीकार कर लिया. और वैसे भी आदमी जब झूठ बोलता है तो आवेश में कभी ना कभी सच मुंह से निकल ही जाता है.
मुंडे की इस बेबाक स्वीकारोक्ति से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ और सही मायने में मुंडे की इसमे कोई गलती नहीं है, यह तो इस राष्ट्र का दुर्भाग्य है कि दुनिया के सबसे बड़े डेमॉक्रेटिक देश की चुनाव प्रणाली मे बाह्त्तर छेद है, इसमे मुंडे का कोई दोष नहीं सामंती, माफिया, दबंग गुंडे ही चुनाव लड सकते है. हर राष्ट्रीीय क्षेत्रीय राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनाव मे हुये खर्च का ब्योरा फर्ज़ी होता है. ये तो ठीक है मुंडे ने 8 करोड़ खर्च किये, मैं ऐसे नेताओ को बखूबी जानती हूँ जो चुनाव मे गन्दी से गन्दी मानसिकता का उपयोग करते हैं. चुनावी खर्च के ब्योरो मे उस गंदगी भरी कार्यगुजारियों का खर्चा जुड़ा हुआ नहीं रहता. जब तक चुनाव प्रणाली नहीं सुधरेगी तब तक भ्रष्ट और माफिया गरीब जनता का खून चूसते रहेंगे. सारे के सारे नेता किसी न किसी रूप से चोर, भ्रष्टाचारी, देश द्रोही हैं और हम सब महामूर्ख हैं जो इन गद्दारो को वोट देते है .हम अगर अभी सचेत नही हुए तो हम अपनी आने वाली पीढी को एक महाविनाश वाला देश देंगे. क्या हाल के भ्रष्टाचारी नेता भारत मे रहने के काबिल भी है. एक ईमानदार के विपक्ष मे सभी बेईमान एक हो जाते है, किसी ने सच ही कहा है कि………..

धधकती आग से धरती फटी,
अधर्मी के अधर्म से आसमान,
निर्दोष पे किये अत्याचार से टूटी इंसानीयत,
और जनता की खुद की गलती से राज कर रहे है हैवान……..
सुनीता दोहरे…….

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