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“आप” के जूनून ने क्या-क्या न दिया ….

sach ka aaina
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“आप” के जूनून ने क्या-क्या न दिया …..

संतोष कोली ने अपनी इमानदारी के चलते अपने लिए एक ख़ास जगह बनाई.  संतोष कोली “आम आदमी पार्टी” से दिल्ली के सीमापुरी क्षेत्र से प्रत्याशी हैं.
रविवार शाम कौशांबी मेट्रो स्टेशन के पास तेज रफ्तार “एसयू” की टक्कर से “आम आदमी पार्टी” की विधान सभा चुनाव प्रत्याशी संतोष कोली गंभीर रूप से घायल हो गईं. संतोष कोली अपने एक सहयोगी कुलदीप के साथ बुलेट से दिल्ली से कौशांबी आ रही थीं. कुलदीप भी इंदिरापुरम क्षेत्र में “आप के कार्यकर्ता हैं.
सुना है कि ये भी किसी साजिश के तहत हुआ है. क्योंकि संतोष कोली को सीमापुरी क्षेत्र के एक नेता की ओर से पिछले 15 दिनों से धमकियां मिल रही थीं. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने कहा कि संतोष ने इसके बारे में अपनी मां को भी बताया था। विश्वास ने आरोप लगाया कि यह एक्सिडेंट नहीं, जानलेवा हमले का ही मामला है. उन्होंने कहा कि एसयूवी से जानबूझकर टक्कर मारी गई है. एसयूवी सवार ने बाईं तरफ से बाइक में टक्कर मारी है. विश्वास ने बताया कि संतोष के सिर में गंभीर चोट लगी है और डॉक्टरों ने कहा है कि अगले 72 घंटे संतोष के लिए काफी अहम हैं.
देखा जाये तो संतोष कोली निस्वार्थ समाज सेवा की एक मिसाल हैं. 2002 से समाज सेवा में कार्यरत रत रही “संतोष” किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं. “अरविन्द केजरीवाल” के साथ समाज सेवा में अपना योगदान देने वाली एक छोटी सी लड़की, सांवला रंग, सामान्य सा चेहरा और बोलचाल में भी कोई ख़ास विशिष्टता नहीं परन्तु इन के द्वारा किये गए कार्यों की सूची इन के कद से कई गुणा बड़ी है. शुरूआती सालो में बिजली पानी की समस्या से जूझते लोगों की सहायता, उस के बाद सफाई कर्मचारियों की काम ना करने की आदत का बहिष्कार, शिक्षा में इ.डब्लू.एस. के दाखिलों को ले कर संघर्ष, राशन वालों के खिलाफ खुला आन्दोलन और जनलोकपाल की लड़ाई से लेकर आज तक के सारे कार्य इन की मात्र विशेषताएं हैं। हर क्षण गरीब और लाचार लोगों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहने वाली “संतोष” के उपर 2005 में दो बार जान लेवा हमले भी हुए और एक बार के हमले में ब्लेड से इन की गर्दन तक काट दी गयी. परन्तु इस छोटी सी साधारण सी दिखने वाली लड़की ने अपना देश बदलने का बड़ा सा सपना नहीं टूटने दिया और इस देश बदलने की लड़ाई में सदेव अग्रिम भूमिका निभाती रही। और अब दिल्ली की सीमापुरी विधानसभा से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी हैं.
देखिए कैसे समाज के कुछ आम से चेहरे आरटीआई को हथियार बनाकर संघर्ष कर रहे हैं जरूरतमंदों को उनका हक दिलाने के लिए. इस संघर्ष में किसी पर जानलेवा हमला हुआ तो कोई जेल गया फिर भी इन लोगों ने अपनी हिम्मत नहीं हारी. और आज उस हिम्मत को चूर-चूर करने के लिए अपनी घटिया राजनीति के चलते कुछ चंद लोगों ने सत्ता के लिए इस मासूम को जान से मारने के लिए ये घटिया कदम उठाया. कहाँ गयी इनकी मानवता इनकी जितनी भी भर्त्सना की जाये कम है अगर ये वाकई हमला है तो .इस देश का अंत क्या होगा आप ये बखूबी समझ सकते हैं.
मुझे इनके साथ हुए हादसे की दो ही ब्जहें नजर आती हैं पहली तो ये कि ये एक महिला हैं और वो भी राजनीति में एक महिला को टक्कर देने चली हैं सुनने मैं आता है कि  हमारे देश मे इन तीन प्रजातियों से अकारण ही नफरत की जाती है: 1. दलित 2. गरीब 3. औरत.
और औरत जब किसी बड़े पद पर पहुचने वाली होती है तो फिर दाए बाएं से कुछ न कुछ कर करा कर पुरुष मानसिकता वादी व्यक्ति उसकी हिम्मत उसके जज्बे को तोड़ने की जुगाड़ भिडाने लगते हैं कारण कि पुरुष का दम्भी मन कभी भी ये नही चाहता कि एक महिला उससे आगे निकल जाए. देखा जाये तो अपने प्रभुत्व को बचाए रखने के लिए औरत को दबंग तो होना ही पड़ता है. और इसी दबंगई का किरदार निभाते-निभाते , ईमानदारी से समाज सेवा करते-करते आज संतोष कोली दिल्ली की सीमापुरी छेत्र की प्रत्याशी से हॉस्पिटल पहुँच गई.
और दूसरी सबसे अहम् बजह रही है इस देश की गन्दी राजनीति जिसमें सत्ता की लालसा वश हर घ्रणित कार्य बखूबी निभाया जाता है.

सच पूछो तो मुझे तो बड़ी ही कोफ़्त होती है ऐसे राजनीतिक नेताओं पर जिनमें सामान्य शिष्टाचार तो दूर इंसानियत नाम की चीज ही नहीं रह गई है. इतना बड़ा हादसा किया उस मासूम के साथ वो भी ऐसे मौके पर जब देश के हर नागरिक को उत्तराखंड त्रासदी ने झकझोर कर रख दिया है. ऐसे मौके पर देश के हर नागरिक को इन नेताओं से ये उम्मीद रहती है कि ये देश के लिए शायद कुछ कर पायेंगे लेकिन ये इतने भ्रष्ट हैं कि लाशों पर भी राजनीति कर लेते हैं. जिन्दा को दफ़न करने की इनकी पुरानी आदत है.
देश के लिए ये बहुत ही शर्मनाक पूर्ण हरकत है किसी भी पार्टी के किसी भी प्रत्याशी पर इस प्रकार हमला करवाना कहाँ तक उचित है. चुनावों में जनता के भावी फैसले का इन्तजार एवं सम्मान करना चाहिए.
देखा जाये तो अभी तो चुनाव बहुत दूर हैं. अभी से इस तरह के हथकंडे शुरू हो गये अगर ऐसा ही रहा तो चुनाओं में क्या होगा ?………
सुनीता दोहरे ……

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