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सच पूछो तो मुझे तो बड़ी ही कोफ़्त होती है ऐसे राजनीतिक नेताओं पर जिनमें सामान्य शिष्टाचार तो दूर इंसानियत नाम की चीज ही नहीं रह गई है. इतना बड़ा हादसा किया उस मासूम के साथ वो भी ऐसे मौके पर जब देश के हर नागरिक को उत्तराखंड त्रासदी ने झकझोर कर रख दिया है. ऐसे मौके पर देश के हर नागरिक को इन नेताओं से ये उम्मीद रहती है कि ये देश के लिए शायद कुछ कर पायेंगे लेकिन ये इतने भ्रष्ट हैं कि लाशों पर भी राजनीति कर लेते हैं. जिन्दा को दफ़न करने की इनकी पुरानी आदत है.
देश के लिए ये बहुत ही शर्मनाक पूर्ण हरकत है किसी भी पार्टी के किसी भी प्रत्याशी पर इस प्रकार हमला करवाना कहाँ तक उचित है. चुनावों में जनता के भावी फैसले का इन्तजार एवं सम्मान करना चाहिए.
देखा जाये तो अभी तो चुनाव बहुत दूर हैं. अभी से इस तरह के हथकंडे शुरू हो गये अगर ऐसा ही रहा तो चुनाओं में क्या होगा ?………
सुनीता दोहरे ……
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