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क्या ये बेशर्मी की पराकाष्ठा नहीं है ?

sach ka aaina
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क्या ये बेशर्मी की पराकाष्ठा नहीं है ?

बॉक्स .. हमारे देश के कानून की विधिवत परम्परा रही है निष्प्रभावी कानून और उसमें बाह्त्तर छेद ही तो गली से लेकर सत्ता के गलियारों तक अपराधियों को खुले में घूमने देते हैं……..

देखा जाये तो जो लोग बड़े बड़े बड़े दुष्कर्म करने के बाद कानून को धोखा देकर आनंदित हो रहे हैं उन्हे यह नहीं भूलना चाहिये की एक अदालत उपरवाले की भी है,जहां के फैसले की कोई अपील वकील या दलील से कट नहीं होती.
भारत में सरकारी कानून का राज्य हें 5 रुपये से 1000 की चोरी पाकेटमारी करोगे, मारपीट होगी, जेल जाओगे और सजा जरुर मिलेगी, क्युकि तुम गरीब हो ?.. बड़े-बड़े घोटाले करो कोई जेल नहीं, रिपोर्ट बदल दो कोई गिरफ़्तारी नहीं, घूस लो कोई FIR नहीं और तो और अवैध तरीकों से अकूत संपत्ति इकट्ठी कर लो 50 बर्ष तक जाँच चलेगी, फिर 30 बर्ष तक कोर्ट का फैसला नहीं आयेगा ?
मगर सोशल साइट्स पर सरकार, मंत्री या भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कुछ लिखा तो बस तैयार रहो गिरफ़्तारी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज ये आदेश दिया की IT अधिनियम की धारा 66A के तहत किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की अनुमति लेनी आवश्यक होगी लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट बता सकती है कि सरकार, मंत्री और भ्रष्ट अधिकारी जब भी किसी को गिरफ्तार करवाना चाह्वेंगे तो ये अनुमति भी तुरंत हो जाएगी
और ये भी सत्य है कि इस भ्रस्ट तंत्र की वजह से आज तक देश में कोई वर्ल्ड क्लास की यूनिवर्सिटी नही खुल पाई हैं ओर नही कोई वर्ल्ड क्लास का कोई हॉस्पिटल यह सोचने की बात है आजादी के 66 साल में हम प्रवेश कर चुके हैं.
पहले सियासत में राजनीति होती थी अब क्रिकेट में भी सियासत होने लगी. अब क्रिकेट का भी नाम जुड़ गया जैसे बॉम्बे में दाउद की सरकार पुलिस और नेताओं के साथ मिलकर चलती है वैसे ही क्रिकेट को भी अब दाउद का गुलाम बना दिया है इन भ्रष्ट नेताओं और खिलाड़ियों ने. वोटरों की मति मारी जाती है जो ऐसी भ्रष्ट सरकार को चुनते है ओर भूखे मरते हैं. बाकी सबको दोष देने के साथ-साथ हमें खुद को भी ज़िम्मेदार मानना चाहिए क्योंकि हमारे हिन्दुस्तानी बोलीवुड और क्रिकेट को ही अपना धरम-करम मानते हैं और इस बात का सब फायदा उठाते हैं. सबसे पहले तो हमें इस मायानगरी के जाल से निकल कर अपने आस-पास फैली सच्चाई को खुली आँखों से देखना होगा और उसको संभालना होगा. सच तो ये है कि मनोरंजन की दुनिया की मृग-मरीचिका हमें सच्चाई से कोसों दूर ले जाकर हमें कल्पना की दुनिया में गोल-गोल घुमाती रहती है. बहरहाल जो भी हो आप और हम खुद ही अपनी बर्बादी करते हुए और बेईमानों को सपोर्ट कर रहे हैं. भ्रष्टाचारियों की खुले हांथों से मदद कर रहे हैं. और सबसे बड़ी बात है कि अब तो नैतिक जिम्मेदारी का अहसास भारतीय लोकतंत्र में खत्म होता जा रहा है, बहरहाल श्रीनिवासन का कुर्सी पर बने रहना क्या बेशर्मी की पराकाष्ठा नहीं है.
अगर विंदू के दावों में सच्चाई मिली तो आईपीएल टीम के उस बॉस का यह कहकर बचना मुश्किल होगा कि उसका सट्टेबाजी या फिक्सिंग से कोई लेना देना नहीं है. पुलिस इस वक्त दो हालात पर विचार कर रही है. पहला तो यह कि क्या आईपीएल टीम के बॉस ने विंदू के जरिए आईपीएल में सट्टा तो लगाया, लेकिन अपनी टीम पर लगाया कि नहीं। दूसरा यह कि क्या उन्होंने विंदू से अपनी टीम की इन्फर्मेशन शेयर की, जिसके आधार पर विंदू ने सटोरियों से मिलकर सट्टा लगाया। इन हालात में भी टीम के मालिक को फायदा होने की गारंटी नहीं है, क्योंकि रिजल्ट हमेशा उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहता। इन दोनों ही हालात को सट्टेबाजी कहा जाएगा, न कि फिक्सिंग। ऐसे में इस केस में फिक्सिंग भी हुई थी या नहीं, यह बात साफ नहीं हो पाई है. विंदू दारा सिंह ने मुंबई पुलिस को बताया है कि वह वैसे तो कई खिलाड़ियों को जानते हैं, लेकिन विराट कोहली, हरभजन सिंह और मनप्रीत गोनी के काफी करीब थे। गोनी अभी किंग्स इलेवन पंजाब में हैं और 2008 में चेन्नै सुपर किंग्स में थे। विंदू ने उन बॉलिवुड सिलेब्स के नामों का भी खुलासा किया है, जो आईपीएल मैचों में सट्टा लगाते हैं। विंदू ने इन सिलेब्स के लिए मिडलमैन का काम किया, और उनकी तरफ से सटोरियों से मिलकर सट्टा लगाया। विंदू ने बताया कि वह आनंद सक्सेना नाम के दोस्त के जरिए सट्टेबाजी से जुड़ा थे। आनंद ने ही उन्हें रमेश व्यास और शोभन मेहता नाम के सटोरियों से मिलाया था. स्पॉट फिक्सिंग मामले में फंसे BCCI प्रमुख एन. श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को मुंबई क्राइम ब्रांच ने एयरपोर्ट से हिरासत में ले लिया था इस बीच मयप्पन से उनके ससुर की कंपनी इंडिया सीमेंट्स ने हाथ झाड़ लिए हैं। स्पॉट फिक्सिंग में गिरफ्तार विंदू ने पूछताछ में मयप्पन का नाम लिया था.. बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन इंडिया सीमेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं मयप्पन उनके दामाद हैं. और ठीक इसी तरह श्रीनिवासन के बेटे ने अपने पिता पर ही गंभीर आरोप लगाये हैं इसका मतलब श्रीनिवासन भी उतना ही दोषी है जितना दामाद है अगर श्रीनिवासन दोषी नही है तो दामाद भी निर्दोष है ऐसा नही हो सकता कि दामाद के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते हो और श्रीनिवासन इसमे शामिल नही हो.
वहीँ एक तरफ श्रीशांत के वकील दीपक प्रकाश भी उन्हें बेकसूर बता रहे थे. 30 साल के मीडियम पेसर का बचाव करते हुए उनके वकील ने कहा, ‘स्पॉट फिक्सिंग में श्रीशांत की कथित भूमिका से जुड़े जो भी सबूत दिल्ली पुलिस ने पेश किए हैं, वे कुछ भी साबित नहीं करते. श्रीनिवासन साहब आप कहने को बचाव के लिए कुछ भी कह लीजिये इस देश मे कई गुनाहगार भी है ? अदालत मे सभी कहते है कि मैं बेगुनाह हूँ, मुझे फंसाया जा रहा है. आप जैसे प्रश्रयदाता मुखिया हो तो क्या कहने ? भारत का कोई ऐसा शहर नही जहां आइपीएल पर सट्टा न लगा हो. जरा सोचिये वकालत का पेशा कानून पालन के लिये कम धज्जियाँ उड़ाने के लिये ज्यादा ही अख़्तियार होता है. और ये बात तो आप भी बखूबी जानते होंगे कि अपराधियो से बेहतर पैसा भला कौन देगा ? तफ्शीस मे नुक़्श छोड़ना और उसी के आधार पर बाइज्ज़त बरी होना, हमारे देश की कानूनी और विधिवत परम्परा रही है निष्प्रभावी कानून और उसमें बाह्त्तर छेद ही तो गली से लेकर सत्ता के गलियारों तक अपराधियों को खुले में घुमने देते हैं. पर गुनाहों को साबित करने की पहल कोई नहीं करता और वर्चस्व कायम करने का रास्ता इसी से प्रशस्त होता है. यही अपराध की सफलता का रहस्य है और सही मायने में ऐसे हुजूम के आप भी हिस्से हैं तो इसमें कोई नई या आश्चर्यजनक बात नहीं.
अब और क्या कहें सच्चाई सामने है कि पैसे के पीछे पूरा देश अंधा हो चुका है और इस अंधेपन को भावनाओ से मत जोड़े. अगर पैसे के इस अंधेपन को भावनाओ से जोड़ा गया तो देश के इतने टुकड़े होंगे की गिनना मुश्किल हो जायेगा. बिना भावनाओ में बहे, जो भी अपराधी है उनकी सारी की सारी दौलत जब्त की जाय और इन लोगो की ऐसी सजा दी जाय की आने वाली पीढी और लोग सबक सीख सके की ईमानदारी ही सबसे अच्छी नीति है. क्रिकेट को साफ़ सुथरा करने की सिर्फ बातें ही की जाती हैं लेकिन कहीं ऐसा न हो कि ये इमानदार कवायद हमारे देश से कहीं क्रिकेट को साफ़ ही न कर दे. में इस बात को मान सकती हूँ कि धोनी और फ्लेमिंग ने सारी बातें मायप्पन से शेयर की होंगी आखिर वह टीम का सीईओ था मगर उन्हें इस बात का भान भी नहीं रहा होगा कि इन जानकारियों का इस तरह इस्तेमाल किया जायेगा. धोनी ने कुछ भयंकर गलतियाँ की हैं जिनका परिणाम अब सामने आ रहा है जैसे कि …
1. इंडियन सीमेंट में वीपी की नौकरी स्वीकार कर ली. 2. पत्नी को साथ लेकर मैच खेलने जाते रहे, जबकि भारतीय खिलाडी पत्नियों को साथ नहीं ले जाते हैं (सामान्य तौर पर),. 3. धोनी ने अपने चारो तरफ एक ऐसा वातावरण बना लिया जिस से उसकी पब्लिक इमेज खराब होती गई, और अब लोग उनसे सहानुभूति नहीं रखते. 4. जब मौका मिला तब धोनी फिक्सिंग के सवालों का जवाब नहीं दिया, लिहाजा संदेह के दायरे में आ गये. जिसका दूरगामी परिणाम बहुत ही खतरनाक हुए है. अगर यह खबर सच है तो भारतीय खेलों के लिए बहुत ही शर्मनाक दिन है. अब देखिये गवर्नमेंट है वो घोटालों की सरकार है, क्रिकेटर्स हैं जो फिक्सिंग में लगे हैं, डॉक्टर्स जो मरीज़ का खून तक चूस लेते हैं, वकील जो आम इंसान की मजबूरी का पूरा फायदा उठाते हैं जिसको देखो लालची, झूठा नजर आता है. और जो खुद बुरे है उन्हें बुराई नजर ही नहीं आती है. और जो बुरे नहीं है वो भी बुराई देख कर चुप रहते हैं इसलिए वो भी उतने ही जिम्मेदार हैं.
चाहे कुछ न दिया हो जनता को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पर एक सीख तो मनमोहन सिंह ने अपनी जनता को विरासत में दे ही दी वो ये कि मन मोहन सिंह यही कहते है की चुप रहने मे ही सबकि भलाई है, जब भारत के प्रधानमंत्री यह मांन कर चलते है तो अगर धोनो या कोई और इस का अनुसरण करता है तो क्या गलत है.
वैसे सब फालतू का कुछ दिनों का ड्रामा है कुछ नही होने वाला, इतने बड़े-बड़े लोग इसमें शामिल है कि पुलिस और सरकार की हिम्मत ही नहीं है कि कोई ठोस कार्यवाही करे कुछ दिन और हो हल्ला मचेगा फिर एक सुन्योजित ढंग से बनाया गया बड़ा नया घोटाला आयेगा और पूरा मीडिया नये को फोकस करता फिरेगा और पुराना घोटाला दब जायेगा.
देखा जाये तो आइप़ीएल का मतलब ही सट्टा है–हर साल 10000 करोड़ का सट्टा होता है एह पैसा ऊपर तक जाता है. जब कभी पुलिस और ऊपर तक पैसा नहीं पंहुचता तो वहां छापा मार दिया जाता है. क्योंकि पुलिस भी इस धंधे में बराबर की हिस्सेदार होती है. पुलिस की नाक के नीचे सब धंधे होते रहते है पहले सब अंजान बने रहते है शायद इस फ़िक्सिंग मे चढावा नही मिला इसीलिये खिलाड़ियो को पकड़ा. नही तो पता भी नही चलता……….
सुनीता दोहरे

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