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हिंदुत्व विचार : एकमसत् विप्राः बहुधा वधंती……..

sach ka aaina
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हिंदुत्व विचार : एकमसत् विप्राः बहुधा वधंती.…….

बॉक्स….. राजनीति के धुरन्धर खिलाड़ी मोदी को भी पता है कि हिन्दुत्व के सहारे इस देश की सत्ता हासिल नही की जा सकती है लेकिन हिंदुत्व कि विचारधारा क्या है ये अवश्य समझ लेना चाहिए सबको. हिंदुत्व कहता है एकमसत् विप्राः बहुधा वधंती यानी सत्य एक है बस उसको जानने ,जताने ,कहने के रास्ते अलग-२ हो सकते हैं.

मोदी की अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति केवल इसलिये नहीं है कि उन्होंने लगातार तीन तीन बार चुनाव जीत कर दिखाया क्योंकि उनसे पहले भी बंगाल में ज्योति बासु, ओडिसा में नवीन पटनायक, दिल्ली में शीला दीक्षित ने भी हैट-ट्रिक करके दिखाई है, बल्कि इसलिये है कि उन्होंने गुजरात की जनता को एक भयमुक्त, प्रभावशाली, व्यवहारिक व सक्षम शासन प्रदान किया और जनता की मूलभूत जरूरतों बिजली, सड़क, पानी, कृषि व ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिये उद्योग-धंधों पर ध्यान लगाया जिससे उनकी ख्याति अखिल स्तर पर एक कुशल प्रशासक तथा दमदार नेता के रूप में हुई है. अब देखिये विपक्षी पार्टियों के कॉंग्रेस के घोटालो पर बोल नही निकलते है लेकिन जिसे जनता ने तीन बार चुना था और जो विकास कर रहा है निशाना उसी पर लगाया जा रहा है. एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने एक बार फिर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे एक लेख के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की रणनीति बुरी तरह फेल हो गई.
शिवसेना की सीनियर नेता संजय राउत ने लेख में कहा है कि प्रचार के दौरान मोदी ने सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी को निशाने पर रखा, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ. उनका मानना है कि अगर मोदी ने हिन्दुत्व पर फोकस रखा होता, तो इसका सीधा फायदा हो सकता था. लेख में यहां तक कहा गया है कि अगर मोदी ने हिन्दुत्व का सम्मान नहीं किया तो उनमें और दिग्विजय सिंह में कोई फर्क नहीं रहेगा. कर्नाटक विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने जिन-जिन सीटों पर प्रचार किया था, वहां पर बीजेपी अच्छा नहीं कर पाई. इसी बात का ध्यान में रखते हुए लिखे गए लेख में कहा गया है कि कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के प्रचार के बावजूद बीजेपी को हार का स्वाद चखना पड़ा, क्योंकि उनकी रणनीती सही नहीं थी.
देखने से ‘साफ होता है कि गुजरात के विकास का फॉर्म्युला कर्नाटक में नहीं चला. मोदी ने प्रचार के दौरान सिर्फ राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर निशाना साधा, लेकिन मोदी को इसका नुकसान ही हुआ. मोदी ने अपनी सेक्युलर इमेज पेश करने की कोशिश की. लेकिन अगर हर कोई सेक्युलर बनने की सोचेगा तो देश के 80 करोड़ हिन्दुओं की सुध कौन लेगा ? हिन्दुओं का नेतृत्व कौन करेगा ? चुनाव आते ही कट्टर हिन्दूवादी नेता भी अपनी इमेज सेक्युलर पेश करने की कोशिश करते हैं. बहुत से नेता सेक्युलर बनकर लोगों को ठग रहे है. ये सच है कि मोदी को अपना रंग नहीं बदलना चाहिए. अगर उन्होंने हिन्दुत्व का सम्मान नहीं किया तो उनमें और दिग्विजय सिंह में कोई फर्क नहीं.
देखा जाये तो मिशन 2014 में जुटी बीजेपी अपने ही सहयोगियों के निशाने पर है. एनडीए के घटक दल जेडीयू और शिवसेना खुलकर बीजेपी की आलोचना करती रही है. पिछले दिनों से शिवसेना खुलकर बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर बोल रही है. उद्धव ठाकरे पहले ही कर्नाटक में बीजेपी की हार पर खुशी जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कुछ दिन पहले ही सामना में लिखे लेख में एनडीए की तरफ से पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी की दावेदारी पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाया था.
क्या आपको पता है ? दुनिया में चार मौसम एक साथ भारत में रहते हैं. दुनिया में सबसे अधिक एवं सभी तरह के मसाले, फल, सब्जिया, अनाज, खनिज पदार्थ, भारत में होते है. इन सबको देखते हुए भारत को आज सुपर पावर होना चाहिए हमें यहाँ पर ये कहने में कतई संकोच नही कि भारत देश का ये सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि भारत में सबसे अधिक और सभी तरह के देशद्रोही, गद्दार तथा भ्रष्टाचार से लिप्त लोग भी पाए जाते हैँ. जिसने देश की नैया डुबो रखी है. देखा जाये तो भाजपा का एक सबसे बड़ा दुर्गुण और इस देश का सबसे बड़ा सौभाग्य यह है कि भाजपा मे भाजपा को ही खत्म करने वाले कई भस्मासुर मौजूद है. अभी हाल फिलहाल इस भस्मासुर का प्रतिनिधित्व भाजपा मे मोदी के कारनामे कर रहे है. यह बिल्कुल सत्य है.  इसकी एक बानगी हम अभी हाल मे हुए कर्नाटक चुनाव मे देख चुके है. इसके बचाव मे भाजपा कर्नाटक की हार का ठीकरा येदुरप्पा पर फोड़ रही है भाजपा के अन्दर इस देश के किसी अन्य राजनीतिक दल की तुलना में सबसे ज्यादा आपसी फूट है जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर-प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में भाजपा को सबसे पहले केन्द्रीय सत्ता का सुख नसीब करवाने वाले कल्याण सिंह को पार्टी ने इसी हिन्दुत्व की वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. मध्य-प्रदेश मे पहली बार सत्ता हासिल करने वाली उमा भारती को किस पायदान पर बिठा रखा है वो किसी से छुपा नही है.  तीसरा अब कर्नाटक मे इनके लिये दक्षिण का द्वार खोलने वाले येदुरापा को किस प्रकार बेइज्जत किया गया है यह भाजपा से अच्छा कोई नही जानता है. अब रही बात शिवसेना की तो शिव सेना जो कि एक क्षेत्रीय पार्टी है उसे इतने बड़े बोल नही बोलने चाहिये. क्योंकि वो भी सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित है और जो दिल्ली तक आने मे घबराती है. इसके अलावा राजनीति के धुरन्धर खिलाड़ी मोदी को भी पता है कि हिन्दुत्व के सहारे इस देश की सत्ता हासिल नही की जा सकती है. इसका परिणाम भाजपा ने कर्नाटक के चुनाव मे भुगत लिया है और कर्नाटक में अपने नाकाम होने के नाम पर मुहर लगवा ली है. देखा जाये तो ये मोदी की अग्नि परीक्षा थी जिसमे मोदी पूरी तरह से फेल हो चुके है.. मोदी की छवि एक प्रखर हिन्दुत्ववादी एवं मुस्लिम विरोधी की स्थापित है जिसको परिवर्तित करना कठिन है. उनकी लोकप्रियता उनके इसी चरित्र से है. उन्हें राजनीति को धर्म से अलग करने का प्रयास विफल होगा. और देखा जाये तो राजनीति में सब एक जैसे होते हैं. साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग करते हुए सत्ता को प्राप्त करते हैं…
सुनीता दोहरे …….

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