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जब सइयां भये कोतवाल तो हम क्यों न हों गद्दार ….

sach ka aaina
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जब सइयां भये कोतवाल तो हम क्यों न हों गद्दार ….

बॉक्स…. अगर घोटालों को लेकर हर कॉंग्रेसी ईमानदारी से अपनी सूरत  आईने में देखे तो उसके चेहरे पर सिर्फ दो शब्द लिखे होंगे. गद्दार और भ्रष्टाचार की मूरत हो तुम…………..

जब हो ख्वाहिश कि भारत देश के 19 बिलियन डॉलर लूटकर हमें पूरी दुनिया मे चौथे नंबर पर अपना नाम लाना है तो आदमी रुपयों की चकाचौंध से अँधा हो जाता है. हर वक्क्त एक ही धुन रहती है कि जब तक खजाने की चाभी है पूरा निकाल कर खाली कर दो क्या पता ये चाभी फिर जनता किसी और को दे दे तो जितना वक्त बचा है लूटने में ही भलाई है. अभी इन दिनों रेलवे में प्रमोशन के लिए घूस का मामला काफी उछल मार रहा है. सीबीआई ने रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला को रेलवे में प्रमोशन दिलाने के नाम पर रेलवे बोर्ड के मेंबर से 90 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि सिंगला ने पहले महेश कुमार से प्रमोशन के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की थी, जो बाद में 2 करोड़ रुपये पर तय हुई। पहली किस्त 90 लाख रुपये की थी। हालांकि, रेल मंत्री का कहना है कि उनका इस मामले से लेना-देना नहीं है। यूपीए सरकार घोटालों की सरकार बन गई है.
कांग्रेस पार्टी रेलवे घूसकांड में फंसे रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के खुलकर बचाव में उतर आई है. कांग्रेस ने बंसल के इस्तीफे की मांग यह कहते हुए खारिज कर दी कि विपक्ष को इस्तीफा मांगने की ‘बीमारी’ हो गई है. आरोपी रेलवे बोर्ड के मेंबर महेश कुमार को सस्पेंड कर दिया गया लेकिन, सबसे अहम सवाल है कि इसके पीछे का असली खिलाड़ी कौन है? ऐसी खबरें आ रही हैं कि 10 करोड़ रुपये की इस डील के पीछे अरबों रुपये की ठेकेदारी का असली खेल छिपा है. इस बीच सीबीआई ने इस मामले में एक और शख्स को गिरफ्तार किया अब तक 8 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. बेंगलुरु की एक इलेक्ट्रिक कंपनी ने रेलवे में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए रेल मंत्री के भांजे को 10 करोड़ रुपए की पेशकश की थी. कंपनी ने रेल अधिकारी महेश कुमार को अपना मोहरा बनाया और रेल मंत्री पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला के साथ मिलकर साजिश रची. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मंजूनाथ कई बार दिल्ली आए और उनकी कई बार बातचीत विजय सिंगला से हुई. इस पूरी डील के बदले में कंपनी को मिलने थे अरबों रुपए के ठेके. रेल मंत्री और उनके भांजे के लिए दुर्भाग्य की सबसे बड़ी बात यह थी कि सारी डीलिंग फोन पर हो रही थी. और सब कुछ सीबीआई की नजरों में था. सीबीआई की टीम दिल्ली से ही कैश वैन का पीछा कर रही थी और गाड़ी जैसे ही विजय सिंगला के पास पहुंची सीबीआई ने रेल के इस काले खेल पर से पर्दा हटा दिया.  रेल घूसकांड में पवन बंसल का पूरा परिवार शामिल है. उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य हो रहा है कि बंसल अब तक रेल मंत्री क्यों बने हुए हैं ? उन्होंने कहा कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और बंसल को तुरंत मंत्री पद से बर्खास्त करना चाहिए.
सबसे शर्मनाक बात तो ये है कि इतना सब होने पर कांग्रेस का कहना है कि बंसल के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता है. कांग्रेस के प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी भी यही कह रहे हैं कि इस मामले में रेल मंत्री की सफाई आ चुकी है. लेकिन इस मामले में पूरी जांच होनी चाहिए. अब समझने की बात ये है कि इससे ज्यादा आप रेल मंत्री से अपेक्षा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इस्तीफा मांगने का रोग हो गया है. अभी हाल ही में हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में भी इस बारे में कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई. मगर सूत्रों के मुताबिक अनौपचारिक विचार-विमर्श के बाद ही इस मामले में फिलहाल चुप्पी बनाये रखने का फैसला लिया गया है.
कांग्रेस कहती है की विवक्ष को इस्तीफा मांगने की आदत पड गयी है.
लेकिन यहाँ देखने वाली बात ये है कि कांग्रेस सरकार द्वारा किये हुए कारनामे उन्हें खुद नहीं दिखाई देते हर रोज कोई ना कोई नया घोटला उनके दरवाजे पर दस्तक देता है. अब सोचने का विषय ये है कि कॉंग्रेस ने बेशर्मी के साथ ये कह दिया है की पवन कुमार बंसल और आश्विनी कुमार इस्तीफा नही देंगे, वो तो सबको पता था, इसमे कुछ भी नया नही है, आप बेशर्मो की उस नस्ल से ताल्लुक रखते हैं जिसका नैतिकता से कोई लेना देना नही है, पहले कभी कुछ हुआ करता होगा पर सोनिया जी के नेत्रत्व मे वो भी खतम हो गया होना भी चाहिये था, इटली की सारी सरकारें भारी भ्रष्टाचार से लबरेज़ रही हैं वौर वैसे भी इटली दुनियाँ के भ्रष्टतम देशो मे से एक है, अपराधों मे भी अव्वल होने के साथ-साथ “माफिया” शब्द की उत्पत्ति भी यहीं से हुई, इसलिये वहां से भारत को भी “भ्रष्टाचार माफिया” के कब्जे का तौहफा मिला है. सच कहूँ तो अब में व्यक्तिगत रूप से ये चाहती भी नही हूँ की पवन कुमार बंसल और आश्विनी कुमार इस्तीफा दें, क्योंकि चुनाव वैसे भी अब आने ही वाले हैं, ये दोनो रॉबर्ट वाड्रा के साथ भारत की जनता को कांग्रेस के भ्रष्टाचार, लूट की छूट, नक्कारेपन, बेशर्मी को याद दिलाते रहेंगे, और ऊपर वाले से यही दुआ करती हूँ कि कांग्रेस को और भ्रष्टाचार फैलाने की ताकत दे, ताकि जनता को सबक मिले और जनता अपने राष्ट्र के विकास के लिए और भ्रष्टाचार से मुक्त भारत को बनाने में अपने मस्तिक का सही इस्तेमाल करते हुए वोट देकर सही पार्टी को चुने .
अगर घोटालों को लेकर हर कॉंग्रेसी ईमानदारी से अपनी सूरत  आईने में देखे तो उसके चेहरे पर सिर्फ दो शब्द लिखे होंगे. गद्दार और भ्रष्टाचार की मूरत हो तुम. जनाब अगर चोर को ही जज बना दिया जाए तो फैसला क्या होगा ? मनमोहन सिंह साफ सुथरी सरकार नहीं चाहते अगर चाहते होते तो अपने मंत्रियों पर कार्रवाई करते . मनमोहन सिंह पर एक मुसीबत सामने खड़ी अगर मनमोहन सिंह अपने मंत्रियों के खिलाफ कुछ करेंगे तो ये समझने की बात है कि वर्तमान मंत्रीमंडल की बैठक तिहाड़ या आर्थेर रोड जेल में होगी.  और अगर मनमोहन नए मंत्री बना भी लें तो इस बात की पूरी गॅरेंटी है कि वह वर्तमान दल से दो कदम आगे ही होंगे.  आखिर ऐसे ही तो हमारे पीएम ने नहीं कहा – हमारी चुप्पी बेहतर है क्योंकि कईयों की इज़्ज़त ढँकी है उससे.
सरकार के इस नए रिश्वतखोर कारनामे से जनता अब भी चुप बैठी है. सरकारी नुमाइंदे आंखे मूंद कर के जीवित मक्खी को निगल जाते है. सबकी जानी हुई बात है की 90 लाख रुपये किसी को प्रमोशन देने के लिये गये थे और साफ़तौर पर जाहिर है कि प्रमोशन भतीजा नही देता, वो तो मामाजी ही देते. फिर क्यो कॉंग्रेस कौर ग्रूप ने आंखे बंद क ? . क्यो नही रेलवे मिनिस्टर से इस्तीफा मांगा गया. ? कांग्रेस ने भ्रष्टाचार की हदे पार कर दी. क्यो हमारे देश के प्रधानमंत्री धृतरास्ट्र की तरह आंखो पर पट्टी बांधे बैठे हुये है और क्यों ये जनता नहीं समझती ? क्यों बार-बार ऐसी भ्रष्ट सरकार को वोट देकर अपने लिए मुसीबतों को आमंत्रित करती है……..
सुनीता दोहरे…….

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