बॉक्स… मोदी उत्तर-प्रदेश से चुनाव लड़कर एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में नजर आते हैं………
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जिस तरह से मोदी को लेकर देश भर में चर्चा है, उसे देखते हुए पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि उन्हें गुजरात से बाहर लाकर उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में चुनाव लड़वाया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो इससे पार्टी सहित मोदी की भी राष्ट्रीय छवि बनेगी. इस रणनीति को बनाने वाले बीजेपी नेताओं का ये भी मानना है कि अगर ऐसा होता है तो भले ही ‘हिंदुत्व’ का नाम न लिया जाए, लेकिन ‘हिंदुत्व’ की ऐसी लहर आ सकती है, जिससे बीजेपी को इस राज्य में बड़ा फायदा मिल सकता है. यही नहीं, पार्टी इस बात पर भी विचार कर रही है कि कुछ नेताओं को चुनाव न लड़ाया जाए, ताकि वे चुनावी मैनेजमेंट पर फोकस कर सकें. भाजपा मानती है कि उत्तर-प्रदेश ही देश की सत्ता की चाबी है. हालांकि, युवा चेहरे के रूप में वह वरुण गांधी को सुलतानपुर से उतारने की कोशिश में है. उसे लगता है कि मोदी को लाकर इस राज्य में वह न सिर्फ अपने कैडर को मजबूत करने में कामयाब रहेगी, बल्कि वोटरों को भी पहले की तरह रिझा सकेगी. उत्तर-प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं लेकिन इनमें से कुछ को छोड़कर बाकी में बीजेपी उतनी ताकतवर नहीं है, जितनी किसी जमाने में हुआ करती थी. एसपी और बीएसपी के सामने फिलहाल वह कमजोर है, लेकिन अगर मोदी आते हैं तो एक बार फिर राज्य में बिना कहे ‘हिंदुत्व’ की लहर आ सकती है, जिससे बीजेपी को फायदा होगा. बीजेपी के कई उत्साही नेताओं का तो यहां तक दावा है कि अगर मोदी आते हैं तो यूपी से ही 50 सीटें बीजेपी को मिल सकती हैं. बीजेपी के कुछ नेताओं का ये भी मानना है कि अगर मोदी लखनऊ से लड़ते हैं तो पार्टी इससे कई संदेश दे पाएगी. बीजेपी से अब तक बने एकमात्र प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी लखनऊ से ही चुनाव लड़ते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी इशारों में ही कह सकती है कि मोदी लखनऊ के जरिए वाजपेयी की राह पर हैं. हालांकि लालकृष्ण आडवाणी ने खुद ही गुजरात से चुनाव लड़ने की बात कह दी है लेकिन पार्टी में यह भी सुगबुगाहट है कि मोदी के साथ संबंधों को देखते हुए हो सकता है कि आडवाणी, गुजरात की जगह भोपाल या किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ें. अब तक मोदी को लेकर देशभर में उत्साह है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि वह गुजरात के नेता हैं और उनकी राष्ट्रीय छवि पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में अगर उन्हें लखनऊ से चुनाव लड़वाया जाता है तो न सिर्फ वह राष्ट्रीय नेता की तरह सामने आएंगे बल्कि पार्टी को भी इसका लाभ मिलेगा. लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि मोदी जी के लिए यह एक अच्छा कदम है. क्योंकि अगर मोदी जी देश का प्रधानमंत्री बनाना है तो उन्हे गुजरात से निकलना होगा और अपने आपको देश का नेता साबित करना होगा . और उन्हे भी एक अच्छा मौका मिलेंगा देश के पिछड़े राज्यो की दशा समझने को. और उनके बारे मे सोचने के लिये क्यूंकि हर राज्य गुजरात की तरह विकसित नही है. मुख्यमंत्री मोदी की 92 साल की मां हीरा बा ने मोदी के लिए दुआएं करते हुए कहा है कि `मेरा आशीर्वाद हमेशा मेरे बेटे के साथ है, वह जल्द ही देश का अगला प्रधानमंत्री बनेगा।` हीरा बा गांधीनगर में अपने छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ रहती हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद कहा था, `वे नरेंद्र की जीत की कामना करती हैं। मेरा आशीर्वाद हमेशा उसके साथ है और उम्मीद है कि वह जल्द देश का अगला प्रधानमंत्री बने. भाजपा सूत्रों का कहना है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी अपना उत्तराधिकार राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल, वित्त मंत्री नितिन पटेल और उद्योग मंत्री सौरभ पटेल को सौंप सकते हैं. मोदी अमित शाह के बाद इन तीनों पर काफी भरोसा करते हैं. देखा जाए तो यदि मोदी को भाजपा उत्तर-प्रदेश की किसी भी सीट से (लखनऊ) लोकसभा चुनाव लड़वाने का फैसला करती है तो इसमें कतई आश्चर्य नही होगा. मोदी हिंदुत्व विचारधारा के प्रबल समर्थक होने के कारण आरएसएस की कसौटी पर खरे उतरते हैं. मोदी का उत्तर-प्रदेश से चुनाव लड़ना और अयोध्या में रामलला का मंदिर निर्माण भाजपा के राजनीतिक इतिहास में चली गई चालों को देखते हुए अलग-अलग नहीं देखा जा सकता है. मोदी उत्तर-प्रदेश से चुनाव लड़कर एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में नजर आते हैं. मोदी को प्रधानमंत्री के प्रत्यासी के रूप में गुजरात से अपार जन-समर्थन मिलेगा इसमें जरा सा भी शकओसुबह नहीं है. अगर मध्य-प्रदेश से समर्थन की बात की जाए तो वहाँ भी शिवराज होने के कारण मोदी को भारी लाभ मिलने का आंकलन लगाया जा सकता है. और जहाँ तक बात उत्तर-प्रदेश की है तो एक तो प्रदेश में लोकसभा सीटें ज्यादा हैं दूसरे उत्तर-प्रदेश ने देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए हैं. तीसरे मोदी उत्तर-प्रदेश में रहकर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को भी उन्ही के अंदाज में जवाब दे सकते हैं. इसमें कोई दोराह नहीं है कि कांग्रेस आज उत्तर-प्रदेश में हाशिये पर है और बजूद कायम रखना तो छोड़ो बचाने तक की आस तोड़ चुकी है. जागरूक मतदाता सपा- बसपा के गुंडा-गुंडी की राजनितिक बयानबाजी से थक चुका है. ऐसे में मोदी का उत्तर-प्रदेश से चुनाव लड़ना शायद मतदाताओं को लुभाने का कारण बन सकता है. भाजपा बेहद शातिर अंदाज से मोदी को रामलाला की भूमि से जोड़कर हिंदूवादी ताकतों को एक मंच पर लाकर सपा-बसपा को उन्ही के घर में मात देने की तैयारी में है. यदि मोदी उत्तर-प्रदेश से चुनाव लड़ते है तो सपा-बसपा के सामने बड़ी चुनौती होगी कि वो अपनी परम्परागत सीटों पर अपनी पकड़ बनाये रखे ऐसे में सपा-बसपा का अन्य प्रदेशों में चुनाव लड़ना दूभर हो जायेगा. जहाँ एक तरफ सपा-बसपा कमजोर होते हैं वहीँ दूसरी तरफ तीसरे मोर्चे के गठन की सम्भावना भी धूमिल हो जाती हैं………. सुनीता दोहरे …..
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