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माया और अखिलेश कहाँ गया प्रदेश ?…..

sach ka aaina
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माया और अखिलेश कहाँ गया प्रदेश ?…….

बॉक्स … आज भले ही मायावती इन हालातों के लिए सपा सरकार को कितना भी भला बुरा कह लें लेकिन जागरूक मतदाताओं का मत है कि प्रदेश में बनी सपा सरकार अखिलेश के संघर्ष या मुलायम के दांव पेचों का नतीजा नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी का परिणाम है……..
अपने हाथों से यूपी की सत्ता छीनने के बाद आजकल आये दिन बसपा सुप्रीमो मायावती सूबे की सरकार को निशाना बनाकर यूपी की बिगड़ी कानून-व्यवस्था  और केन्द्र की सरकार को भी आडे हाथों लेतीं नजर आतीं हैं. बसपा सुप्रीमो हर जगह ये कहती नजर आती है कि उत्तर-प्रदेश में कानून-व्यवस्था बेहद खराब है. सपा के राज में चारों ओर गुंडों तथा माफियाओं का राज है. पुलिस भी कुछ करने में नाकाम है. सपा सुप्रीमो को उत्तर-प्रदेश में हो रहे अपराधों का जिम्मेदार ठहराते हुए उनका कहना है कि हमसे बड़ी भूल हुई कि हमने प्रदेश में बसपा सरकार बनाने के बाद मुलायम सिंह यादव को जेल नही भेजा. पीड़ित बच्चियों और महिलाओं के प्रति उदासीनता दिखाती ये सरकार इतनी बदतर हो चुकी है कि पुलिस आरोपी को पकड़ने के बजाए पीड़ित को ही जेल में डाल देती है. माता वहने व बेटियां तक सुरक्षित नहीं हैं. यहाँ माफियाओं का राज चलता है। यूपी का ये हाल प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण है. और ये भी सच है कि सरकार की नीतियों के कारण विकास कार्य ठप हैं और जनता बेहाल। प्रदेश में अराजकता चरम पर है.  प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ-साथ सपा सरकार में सौ से ज्यादा दंगे हो चुके हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता गरीबों और दलितो की जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे हैं। सपा कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए वो कहतीं हैं कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर उनको ऐसा तोड़ा जायेगा कि दोबारा वे ये काम करने की हिम्मत नहीं करेंगे. मेरी सरकार के सत्ता मे आने पर ऐसे अधिकारियो के खिलाफ जांच होगी और दोषी पाये जाने पर सख्त कार्यवाही होगी. केंद्र सरकार को भी आड़े हांथों लेते हुए मायावती कहती हैं कि केंद्र सरकार किसान, दलित, पिछड़े व आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही है। उसने सभी भूमिहीनों को जमीन मुहैया न करा कर वादाखिलाफी की है. बाबा साहब ने इन दबे कुचले और गरीब लोगो को कानूनी अधिकार तो दिलवा दिया लेकिन मुझे अभी भी इनके लिये बहुत कुछ करना है. यह तभी होगा जब उनके पास राजनीति सत्ता की मास्टर चाभी होगी। आजादी के बाद से उत्तर-प्रदेश को छोड़कर दूसरे राज्यों या केन्द्र में ऐसी सरकार नहीं बनी जो इनके हितो का ध्यान रख सके. जब मेरी सरकार थी तब आयोध्या का फैसला आने के बाद भी प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रही थी. हालांकि केन्द्र सरकार ने तब उनकी मदद नहीं की थी. लेकिन वर्तमान सपा मे इस सरकार को बने लगभग एक साल से ज्यादा समय हो गया है। एक साल के अंदर यूपी मे 100 से ज्यादा साप्रदायिक दंगे हुये है 3 दर्जन काफी गंभीर दंगे हुये हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार के अधिकारियों पर भी समाजवादी पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुये कहा है कि बसपा की सरकार आने पर इनकी जांच करायी जायेगी। जिन सपा के कार्यकर्ताओ ने गरीब व दलितो की जमीन हड़पी है उनकी सरकार आने पर उन्हे बख्शा नही जायेगा. बसपा सरकार में गुंडे, माफिया, बदमाश जो आपराधिक चरित्र के लोग थे, जेल के अंदर आपको नजर आते थे। विरोधी पार्टी के खिलाफ बदले की भावना से काम किया जा रहा है। खासतौर पर बीएसपी ने सरकार के इस तरह के मामलों को नंबर वन पर रखा गया है। यूपी मे वर्तमान सपा सरकार के अभी तक के रवैये को देखकर बसपा के लोगों ने नगर निगम से बाबा साहेब की होर्डिंग्स लगाने की लिखित परमिशन ली थी. सरकार यह भली भांति जानती हैं कि बाबा साहब  की जयंती पर लाखों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने यहां आते हैं  इस
मौके पर पूरे देश में समारोह आयोजित किए जा रहे थे कहीं भी पोस्टर और बैनर लगाने के लिए किसी अनुमति की
जरूरत नहीं है. बाबा साहेब के स्थल पर बडे पैमाने पर होर्डिग्स लगी थी,  उसे एक रात में ड्रामा करके और 2-3 किमी की होर्डिंग्स सपा सरकार के कर्मचारियो ने उतार दी.  इसकी कड़े शब्दो मे जितनी निंदा की जाये कम है. अखिलेश सरकार ने एक साल के कार्यकाल में राजनैतिक बदले की भावना से काम किया है. बुलंदशहर में जिस 10 साल की बच्ची के साथ रेप हुआ, पुलिस ने इंसाफ दिलाने की जगह उसे ही जेल में बंद कर दिया. ये कैसा न्याय है. बीएसपी के राज में जितनी जनहितकारी योजनाओं को शुरू किया गया था. राजनैतिक दुर्भावना के चलते उन्हें एक
एक कर बंद कर दिया गया. अब इन योजनाओं की आड़ में धन उगाही का काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीएसपी राज
में निर्मित भव्य स्थलों , स्मारकों , पार्कों आदि को ठीक ढंग से रख रखाव न करके एसपी ने जातिवादी मानसिकता का
परिचय दिया है एसपी राज में हुए दंगों से प्रदेश में सर्व धर्म समभाव की स्थिति बिगड़ती जा रही है…..
आज भले ही मायावती इन हालातों के लिए सपा सरकार को कितना भी भला बुरा कह लें लेकिन जागरूक मतदाताओं का मत है कि प्रदेश में बनी सपा सरकार अखिलेश के संघर्ष या मुलायम के दांव पेचों का नतीजा नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी का परिणाम है. देखा जाए तो महारानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारीबाई, ऊदा देवी, सावित्री बाई फुले, इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा जैसी महान नारियां तीन-चार सदियों में एक बार पैदा होती हैं. लेकिन क्या मायावती में इन देवियों के रूप की झलक कहीं दिखाई देती है. मुझे तो ऐसा नही लगता. लेकिन उनकी चहेती आवाम उनेह अपना मसीहा मानकर पूजती है. इन्हीं में जनशक्ति सम्‍पन्‍न और अद्भुत प्रचंड राजयोग लेकर मामूली से दलित परिवार में जन्मी मायावती भी एक हैं. इसे भारतीय लोकतंत्र या खुद का ही दुर्भाग्य कहें या कुछ और कि सब कुछ होते हुए मायावती इन महान नारियों की छाया भी नहीं छू सकी है. ईश्वर से प्राप्त ये वरदान कुछ ही लोगों को मिलता है और ये वरदान मायावती को मिला है पर कुछ विशेष लोगों को मिलने वाले इस शानदार वरदान की मायावती ने धज्जियां पर धज्जियां उड़ा कर रख दीं हैं. ये सच है कि उनके प्रचंड शासन और अदम्य राजनीतिक ताकत का आज कोई मुकाबला न होता, अगर मायावती खुले आम भ्रष्टाचार, भेदभाव और रागद्वेष में लिप्त न होकर सबको एक समान समझकर हर कार्य देश और प्रदेश के हित में करतीं. पर उन्होंने तो हद कर दी अपने शासन काल में खुले हांथों से धन बटोरकर आम जनता के सामने अपनी छवि खराब कर ली. और सबसे ज्यादा दुर्भाग्य का विषय ये है कि मायावती ने अपने समाज के लोगों से हमेशा कहा कि मनुवादी प्रवत्ति के लोगों से हमेशा दूर रहें लेकिन सत्ता के लालच में बहन जी ने उन्ही मनुवादियों को राखी बांधकर सत्ता के सिंहासन पर बगल में बैठा लिया. इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि उन्ही मनुवादी प्रवत्ति रखने वाले लोगों ने कई दलित महिलाओं का योंन शोषण किया.
अपने द्वारा लिखीं इन लाइनों पर कायम रहते हुए मैं विस्तार से बताना चाहती हूँ कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर-प्रदेश में पूर्ण बहुमत से बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनाने के बावजूद मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश का राज-पाट चलाया तो, पर विफल साबित हुई. उनके राजनीतिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक दांव उल्टे पड़े, उनके द्वारा किये विवादास्पद फैसलों, उनके ज़िद्दीपन और विकास के नाम पर अपनी मूर्तियों को लगाने जैसी बदतर छवि के कारण, मायावती अपना प्रशासनिक नियंत्रण खोती चलीं गयी. अपने शासन काल में  जिसे वे अपना सख्त शासन कहतीं थीं वो लोगों की नज़र में वास्तव में उसकी असली परिभाषा ‘दहशत’ही थी. मायावती ने अपने शासन काल में एक अत्यंत अविश्वसनीय राजनेता, अपनी भ्रष्ट और घोर पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली, पैंतरेबाज़, अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी समझौता करने एवं केवल पैसे के पीछे भागने वाली जैसी बदतर छवि से कांशीराम की उम्मीदों और उनके दिये अवसरों पर पानी फेरने का काम किया था और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ‘नज़रबंद’ कराकर भारतीय लोकतंत्र को काफी निराश किया था. सोचने की बात है कि राजनेताओं की कार्यप्रणाली, छवि और व्यक्तित्व पर नज़र रखने वालों ने मायावती की महत्वाकांक्षाओं और उनके दावों पर कई तुलनात्मक सवाल खड़े कर दिए थे क्यों ? क्योंकि  आय से अधिक संपत्ति के मामले में आयकर विभाग का शिकंजा कसते देख मायावती का यह तर्क देना कानून के सामने बेमानी सा लगा कि ‘मैं अपने समाज से पैसा लेती हूं तो इससे किसी को क्या मतलब ?’
पर कुछ मामलों में बसपा सुप्रीमों कि कार्यप्रणाली बहुत ही दमदार थी जैसे…….
मायावती सरकार में नेता और मंत्रियों पर भी फौरन कार्रवाई होती थी. मायावती राज में सांसद उमाकांत यादव को मायावती ने अपने घर बुलाया और पुलिस को बुलाकर गिरफ्तार कराया। उन पर दबंगई और जबरन जमीन कब्जा करने का आरोप था। आरोप लगने के 24 घंटे के भीतर कार्रवाई हुई थी. फैजाबाद यूनिवर्सिटी की दलित छात्रा शशिराज लापता हुई थी तो पिता ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की थी खाद्यमंत्री आनंद सेन पर अगवा करने का आरोप लगाया था 4 घंटे में आनंद सेन को मंत्री पद से हटा दिया गया था.  आनंद सेन उम्रकैद की सजा काट रहे हैं खास बात ये है कि सरकार ने खुद ये मुकदमा लड़ा था. औरैया में मनोज गुप्ता इंजीनियर को चंदा मांगने के लिए पीडब्लूडी मंत्री शेखर तिवारी ने पीट-पीट कर मार डाला. महज 8 घंटे के अंदर विधायक को गिरफ्तार करबा कर जेल भिजवा दिया था और ये केस भी सरकार ने केस लड़ा था. मत्स्य विकास राज्य मंत्री यमुना निशाद के द्वारा थाने में फायरिंग और फायरिंग में सिपाही की मौत के मामले में निशाद को अपने घर बुला कर गिरफ्तार कराया था. बांदा के विधायक पुरुषोत्तम नरेंद्र द्विवेदी को दलित लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में पहले पार्टी से निलंबित किया फिर जेल भेज दिया.  बुलंदशहर के विधायक रहे गुड्डू पंडित पर यौन शोषन का आरोप था जिसे गिरफ्तार कराया और जेल भेजा दिया. इसके अलावा मायावती ने अपने 12 मंत्रियों को लोकायुक्त की शिकायत पर मंत्री पद से हटाया और टिकट भी नहीं दिया था.
और देखा जाए तो वहीं अखिलेश के राज में जो गुल खिल रहे हैं उनको जनता बखूबी जानती है. 8 अक्टूबर को गोंडा में मंत्री पंडित सिंह ने सीएमओ को धमकाया और अगवा कर उनसे जबरन बहाली की लिस्ट बनवाई, सीएमओ अभी भी घर नहीं लौटे हैं.  8 अक्टूबर को औरैया जिले के एसपी विधायक मदन सिंह गौतम पर एक महिला ने बंधक बनाने और चार महीने तक बलात्कार करने का संगीन आरोप लगाया. लेकिन कुछ नही हुआ विधायक मदन सिंह गौतम आज भी आजाद घूम रहा है.  23 अप्रैल को बदायूं में एसपी विधायक आबिद रजा और उनके आधा दर्जन गुर्गों पर एक शख्स से जबरन जमीन लिखवाने का मामला दर्ज कराया. 26 मार्च को झांसी के बीडीओ पर समाजवादी पार्टी नेता भरत सिंह ने सिर्फ इसलिए गोली चलाई क्योंकि बीडीओ ने भरत सिंह पर चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की रिपोर्ट दर्ज की थी.  इसके अलावा इलाहाबाद के प्रतापगढ़ में एसपी विधायक महेश नारायण सिंह, नागेन्द्र सिंह ने दो अलग अलग दरोगाओं को धमकी दी।
लेकिन अब तक इन मामलो में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. ये कैसा शासन है ये कैसा प्रजातंत्र है जहां एक ओर समाजवादी पार्टी सुप्रीमों को केंद्र की सत्ता के सिंहासन पर बैठाने के सपने देख रही है वहीँ दूसरी तरफ अखिलेश सरकार के मंत्रियों से लेकर आम कार्यकर्ता तक प्रदेश में दबंगई और आंतंक का प्रदर्शन करते हुए लूट खसोट में लगे हुए हैं…….
सुनीता दोहरे…….

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