भारत की ह्रदयस्थली में “शिव” की छवि बरकरार ? ……...
बॉक्स…… गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं या नहीं लेकिन एक बात तो तय है कि भारत की ह्रदयस्थली (मध्य-प्रदेश) चुनावी रण में अपने विरोधियों को मात देने के लिए अपने योध्दा “शिव” को जन्म दे चुकी है…….
देखा जाये तो जिस प्रकार गुजरात का मतलब मोदी है, उसी प्रकार मध्य-प्रदेश का गौरव शिवराज सिंह चौहान हैं. एक दशक पहले जब भाजपा की सरकार यहां आयी, तब कई क्षेत्र खस्ताहाल और अपनी बेबसी पर रो रहे थे, लेकिन आज चौतरफा विकास की लहरें हिंडोले खा रही हैं. कहने की बात नहीं ये सच है कि जिस प्रदेश का गांव राजधानी से जुड़ जाये, वह राज्य सबसे तेजी से विकास करता है. मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां के दूर-दराज के गांव सड़कों से कनेक्ट कर दिये गये. पूरे राज्य में करीब 80 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें बनवायी गईं. यह सफलता मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, जिसे शिवराज सरकार ने शुरू किया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जिसे एनडीए ने शुरू किया और यूपीए ने आगे बढ़ाया, की वजह से संभव हुआ. और अब इस योजना के अंतर्गत लगभग सभी गांव सड़क से जुड़ चुके हैं. अगर इतिहास पर नजर डाली जाए तो कभी मध्य-प्रदेश का चंबल डकेतों का पसंदीदा और सबसे सुरक्षित स्थान हुआ करता था लेकिन आज का मध्य-प्रदेश इस काले दाग को पूरी तरह से अपने दामन से हटा चुका है. इसके साथ-साथ अगर पर्यटन के विकास की बात की जाए तो लम्बे समय से गैर कांग्रेसी सरकार होने के कारण केन्द्रीय सरकार द्वारा वह आर्थिक सहायता प्राप्त नही हो पा रही है. जो पर्यटन विकास के कार्य को व्यवस्थित ढंग से उक्त कार्य को आगे बढ़ा सके. जब हम मध्य-प्रदेश की भौगोलिक स्थिति पर द्रष्टि डालते हैं तो यह स्पष्ट नजर आता है कि ये राज्य एक पठारी राज्य है. इसलिए सीमा पर बनने वाले बांधों का डूब क्षेत्र इस राज्य में आता है और पानी का लाभ नीचे और मैदानी इलाकों वाले पड़ोसी राज्यों को मिलता है.’ सरदार सरोवर बांध के मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ है- सिंचाई का सारा लाभ गुजरात को मिला है और हजारों हेक्टेयर जमीन की डूब मध्य-प्रदेश के हिस्से में आई है. हकीकत यह भी है कि मप्र के सामने दर्जनों मौके आए जब गुजरात के लाभ के आगे राज्य और उसके बांशिदों के हक प्रभावित हुए लेकिन मध्य-प्रदेश के मुकाबले गुजरात की राजनीतिक लॉबी केंद्र के निर्णयों पर भारी पड़ती रही. वैसे एक बात तो और मानने वाली है कि अगर देश में तेजी से विकास कर रहे राज्यों की बात आये, तो गुजरात और मध्य- प्रदेश दोनों का नाम सबसे ऊपर दिखाई देता है. गुजरात के विकास की बुलंदी से हर कोई परिचित है, लेकिन मुझे लगता है कि मध्य-प्रदेश को भी हलके में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये राज्य भले ही कछुए की चाल चल रहा हो पर जीत अंत में निरंतर कार्य करने वाले की ही होती है. अगर पीछे पलट कर देखा जाए तो मध्य-प्रदेश ने पिछले 10 साल में कई क्षेत्रों में ऊंचाईयां प्राप्तकरने के बावजूद मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक ही नहीं, आधी सरकार के लिए भी आगामी विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाला है. यही कारण है कि संगठन व सत्ता की ओर से विधायकों के साथ मंत्रियों को भी समय रहते हालात काबू में करने की हिदायतें दी जा रही हैं. मंत्रियों के खिलाफ असंतोष पार्टी की ओर से पिछले दिनों कराए गए आंतरिक आकलन से जाहिर होता है. कि राज्य सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कुल 33 मंत्री हैं, जिनमें से 18 मंत्रियों से उनके क्षेत्र के मतदाता खुश नहीं हैं, लिहाजा उनके लिए आगामी चुनाव आसान नहीं होगा. अब देखने की बात है कि राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से भाजपा की 152 सीटें है. पार्टी ने आगामी चुनाव के मद्देनजर जो आकलन कराया है, उसके मुताबिक 60 सीटों पर तो जीत तय है, लेकिन 90 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पार्टी की जीत आसान नहीं मुश्किल तो भी है, और इन्हें जीतने के लिए भरपूर जोर लगाने के साथ-साथ ही उम्मीदवारों में बदलाव तक लाने की जरूरत होगी. पार्टी सूत्रों के अनुसार 70 विधायकों के अतिरिक्त 18 मंत्रियों के पिछले चार वर्षो के कामकाज को लेकर रिपोर्ट बेहद खराब है. सच तो ये है कि ये धूमिल छवि में वित्त मंत्री राघव, जलसंसाधन मंत्री जयंत मलैया, चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा, उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई, जेल मंत्री जगदीश देवड़ा, स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस, कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल, उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल, श्रम मंत्री जगन्नाथ सिंह, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री हरिशंकर खटीक, सामान्य प्रशासन मंत्री कन्हैया लाल अग्रवाल, ग्रामीण विकास व पंचायत राज्य मंत्री देवी सिंह सरयाम, पर्यटन मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, परिवहन राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, वन राज्य मंत्री जय सिंह मरावी और शहरी विकास राज्य मंत्री मनोहर उंटवाल शामिल हैं. “भाजपा” राज्य के आंतरिक आकलन में जहां आधी सरकार के दोबारा आसानी से चुनाव न जीतने की आशंका जताई गई है, वहीं इन मंत्रियों की कार्यशैली पर भी तरह-तरह के सवाल उठाए गए हैं. आकलन रिपोर्ट के कारण ही राज्य सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सुरक्षित सीट की तलाश में हैं और आगामी विधानसभा चुनाव महू की बजाय दूसरे स्थान से लड़ने का मन बना रहे हैं. वहीं चौहान सरकार में मंत्री रह चुके तुकोजी राव पंवार का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण भाजपा उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारने का मन बना रही है. संगठन ने बीते दिनों भोपाल में विधायकों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इशारों ही इशारों में विधायकों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए साफ कर दिया था कि अभी सात-आठ माह का वक्त है और विधायक अपनी स्थिति सुधार लें. मुख्यमंत्री शिवराज ने भी एक-एक विधायक से खुलकर चर्चा की है. इन विधायकों से उनके क्षेत्र के विकास के साथ-साथ विधायकों की स्थिति पर भी सवाल किए गए थे. हार की कगार पर खड़े विधायकों को सख्त लहजे में हिदायत देने के साथ-साथ संगठन और सत्ता की ओर से विधायकों और मंत्रियों को भी हिदायतें दी गई हैं ताकि वे आने वाले समय में अपने क्षेत्र में रहकर जनता की भावना के मुताबिक काम करें. लेकिन ये संभव नहीं क्योंकि मध्य-प्रदेश भी भारत का हिस्सा है और पूरा भारत भ्रष्ट्राचार से लिप्त है. तो किसको कोई क्या कह सकता है. फिर भी क्या आपको नहीं लगता कि भ्रस्टाचार के मामले में मध्य-प्रदेश गुजरात से बहुत आगे है देखा जाये तो चपरासी से लेकर अधिकारी तक करोड़पति निकलते है. जिसको देखो वही बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है. अब भाजपा से मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही ले लीजिये. बीजेपी में बेहतरीन मुख्यमंत्रियों के बीच पहले स्थान के लिए नरेंद्र मोदी के साथ होड़ में लगे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि उनका राज्य चीन से मुकाबला करे. शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के 33वें स्थापना दिवस समारोह में मोदी स्टाइल में तरक्की का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल मध्य प्रदेश पूरे देश में ग्रोथ रेट के मामले में पहले पायदान पर है. शिवराज कहते हैं कि ‘हम 10.2 पर्सेंट ग्रोथ रेट की रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं जो कि पूरे देश में किसी भी राज्य से ज्यादा है. यहां तक कि राष्ट्रीय ग्रोथ रेट महज 6 पर्सेंट ही है. मैं चाहता हूं कि मध्य प्रदेश विकास के मामले में चीन से मुकाबला करे. शिवराज सिंह चौहान भी इस बार चुनाव में मोदी की तरह 3डी तकनीक का उपयोग करेंगे. ये तो समय की मुठ्ठी में कैद है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं या नहीं लेकिन एक बात तो तय है कि भारत की ह्रदयस्थली (मध्य-प्रदेश) चुनावी रण में अपने विरोधियों को मात देने के लिए अपने योध्दा “शिव” को जन्म दे चुकी है…….
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