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मुर्गे की टांग हो वो भी शुद्ध देसी घी का तड़का लगी हुई,फिर तो मजे ही मजे हैं जेल में ……

sach ka aaina
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419360_210392679103888_229652733_nमुर्गे की टांग वो भी शुद्ध देसी घी का तड़का लगी हुई ,फिर तो मजे ही मजे हैं जेल में ……

box…..सच पूछो तो एक स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए आम-जन को चाहिए कि अपने देश के प्रति सच्ची श्रधा और इमानदारी का द्रष्टिकोण अपनाते हुए अपने मताधिकार का उचित प्रयोग करें…….

गौरतलब हो कि डीएसपी जियाउल हक के मर्डर के केस में जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने पुलिस मेंराजा भैया और उनके करीबियों, कुंडा पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, शमित सिंह, हरिओम श्रीवास्तव और गुड्डू सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. और इसी के साथ एक बार फिर से कुंडा के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया विवादों के घेरे में आ गये हैं. उनके ऊपर प्रतापगढ़ जिले के डिप्टी एसपी जियाउल हककी हत्या का आरोप लगा है जिसके तहत उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया हैऔरउनके करीबी गुड्डू सिंह और राजीव सिंह को रविवार को गिरफ्तार किया गया है.
कुंडा के डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड के बाद गरमाई सियासत और लोगों के आक्रोश को देखते हुए अखिलेश यादव ने सीबीआई जांच के आदेश तो दिए लेकिन अब तक राजा भैया से पुलिस ने कोई पुछताछ नही की. इन हालातों में उत्तर-प्रदेश की सपा सरकार परबाहुबलियों के गुंडा राज की छाप साफ तौर पर दिखाई देती है.वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि राजा भैया के खिलाफ हत्या का मुकदमादर्ज हुआ है. यहाँ मैं आपको बताना चाहूंगी कि राजा भैया के खिलाफ 45 आपराधिक मुकदमे लंबित होने के साथ-साथ हत्या, अपहरण, मारपीट जैसे कई संगीन अपराध दर्ज है. हालांकिकई मामलों में वो बरी हो चुके हैं लेकिन अभी भी कई मामलों में फैसला नहींआया है.
विदित हो कि 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखने वालेराजा भैया को उनकी सीट पर अभी तक कोई हरा नहीं सका है. लखनऊ विश्वविद्यालयसे स्नातक करने वाले रघुराज प्रताप सिंह ने पहली बार कुंडा सीट से निर्दलीयके रूप में चुनाव जीता था. उनकी जीत का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. कारण की गुंडई के बल पर जीत को हासिल करने वाले राजा भैया का आतंक कुंडा में बुरी तरह व्याप्त है.
राजा भैया हो या सपा राज के चुने हुए दागी नेता जो बनकर विश्व के सबसेबड़े लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों का उपहास उड़ाते हैं. उनके द्वारा किये हुए अपराध सपा नेताओं के दिग्गजों को दिखाई नही देते और जनता के पास भय वश इन दागियों की आरती के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है. उत्तर-प्रदेश में सत्ता की तस्वीर भले ही बदल जाए पर सत्ता पर काबिज लोग उत्तर-प्रदेश की तकदीर को बदलने नहीं देते और अगर किसी ने बदलने की कोशिश की तो राजनीति के नेट पर चलने वाला खेल ऐसे चक्रव्यूह को रचित करता है जिसमें इंसानियत के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. और इसी चक्रव्यूह के चलते साफ़ निष्पक्ष न्याय करने वाले इमानदार अफसरों की बली चढ़ा दी जाती है.
बहरहाल जो भी हो कुंडा के डीएसपी जियाउल हक की हत्या के बाद उत्तर-प्रदेश कीसियासत में एक भूचाल सा आ गया है.क्योंकि विपक्षी पार्टियां सीधे तौर पर सपा सरकार को निशाना बना रहीहै और  पक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की झड़ी सी लगी है. कुल मिलाकर सियासी माहौल बहुत गरम होगया है.
और तो और मौके का फायदा उठाते हुए बसपा सुप्रीमो ने यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग तक कर डाली. मामले से जुड़े सपा सरकार के खाद मंत्री रधुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के अपने पदसे इस्तीफ़ा देने को प्रदेश की पूर्वमुख्यमंत्री मायावती महज एक दिखावा मात्र बता रही है.उत्तर-प्रदेश में पूरी तरह से गुंडाराज है.राज्य में कानून व्यवस्था भी नहीं है.बसपा सुप्रीमों ने मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधते हुए कहा किमुलायम उत्तर-प्रदेश चलाने में सक्षम नहीं हैं. जो उत्तर-प्रदेश को नहीं संभाल सका वो देश चलाने का सपना कैसेदेख सकता है. मायावती की तीखी टिप्पणी के जवाब में सपा नेता जयाबच्चन ने कहा कि मायावती को प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बोलने का कोई हकनहीं है क्योंकि लोग उनका शासनकाल देख चुके है.

मेरे विचार…...

दिल की बात पूछिए तो मेरा मन विचलित हो जाता है कि जिस देश को नेताओं और सरकारी हुकुमरानों की बेइमानी, भ्रष्‍टाचार और अपराधिक गतिविधियों ने खोखला कर दिया हो उस देश में ऐसा जाबांज भी होगा जो फर्ज के लिये खुद को शहीद करवा कर सूली पर चढ़ जाएगा. ऐसे बहादुर योद्धा को अफसर बने तो अभी कुछ ही समय हुआ था. संस्कारों में माता-पिता से इमानदारी और फर्ज का पाठ पढ़ना सीखा था. लिहाजा इमानदारी और जोश की कमी नही थी और इसीलिए सियासत, लालचऔर बेइमानी छोड़ वोअपना फर्ज निभाने को तत्पर रहते थे. इसलिए बादशाह के अपराधी प्रवत्ति के प्यादों ने फर्ज की साँसों की डोर काट दी. इतने बेरहम हो गये ये हत्यारे कि एक राजसी सुख के लिए मानवता की बलि देकर इतनी बेरहमी से उनकी हत्‍या कर दी. सच तो ये है कि सपा के शासन में कानून के रखवाले ही सुरक्षित नहीं है तो आम जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है.
उत्तर-प्रदेश में अपराधों का ग्राफ गिरे तो कैसे ? जिन्हें सही मायने मेंजेल में होना चाहिए था जब उन्हीं को राज्य की जेलों का सर्वे-सर्वा बना दिया जाएगातो फिर ऐसे सूबे की खुशहाली का तो बंटाधार ही होना है. राजा भैया एक ऐसे शख्स हैं जिनकी खूबी है सूबे में अपराधी तत्वों और अपराध के ग्राफ को बढ़ाना. जब मन किया कि सरकारी ससुराल में रोज मुर्गा और आराम तलबी की रोटी खानी है तो लाल रंग की बौछार कर दी और चल दिए जवाई बनने.
और सबसे मजे की बात तो ये कि जो कई बार जेल में जाकर आरामतलबी के आदी हो गये हों. ऐसे में उनकी इच्छा को पूरी तरह से सम्मान देते हुए और उनके बार-बार जेल जाने
के तजुर्बे को देखते हुए अखिलेश यादव ने उन्हें राज्य की जेल का मंत्रीही बना दिया था है न कितनी समझदारी वाली बात ….यानि पहले से जेल के मंत्री हो तो जेल में अपने लिए सारी सुविधाएं जुटाओ फिर जब हथेली खुजलाये तो कत्ल करो और कुछ दिनों आराम करो जेल में जंवाई बनकर, और हाँ इसमें बुराई क्या है, मुफ्त का खाना, दस बारह चापलूस गुर्गे जो हांथ पैर दबाएँ, रोज टांग वाला मुर्गा वो भी शुद्ध देसी घी का तड़का लगा हुआ,
एक एलसीडी टीवी बड़ा सा जो उनका मनोरंजन करता हो, एक आलीशान बेड और अंग्रेजी दारु के साथ-साथ सरकारी अफसर दुम दबाकर जी हुजूरी करते हुए, तो फिर जिन्दगी का पूरा ऐश है .अब ऐसे भ्रष्ट हाकिमों से क्या उम्मीद की जा सकती है. जो खुद ही गुलामों के तलबगार हैं. देखा जाए तो हमारा देश, हमारे राज्य ऐसे नेताओं की अय्याशियों की भेंट चढ़ गया है, जिनका न तो कोई बजूद है न कोई छवि. अगर छवि है भी तो एक दागदार और घिनौनी मानसिकता वाले दहशतगर्दों दलालों की. चाहें कोई भी पार्टी हो राजा भैया हो या सपा सरकार इन सबकी गुंडई भरी सियासत कब तक लहू पीती रहेगी, आखिरकब तक हम सियासत में होने वाली गुंडागर्दी के खिलाफ बोलने वाले के लहू की छीटों को देश की धरा पर बिखरते हुए देखते रहेंगे.

डीएसपी जियाउल हक के पैर में दो गोली मारी इन सियासी खेल खेलने वालों ने. ये बात तो साफ़ समझने वाली है कि पैर में तभी गोली मारी जाती है जब किसी को तड़पा कर मारनाहो और सबक सिखाना हो. सीने में एक, सर पर कई घाव, पूरा ज़िस्म खून से तरबतर कर दिया राजा भैया की फ़ौज ने… जियाउल हक की बीवी बीडीएस की पढ़ाई कर रही हैं, सदमे से बेहाल है और बूढ़ा बाप देवरिया में अपने पुराने घर में बेसुध पड़ा है, डीएसपी जिया उल हक की पत्नी परवीनआजादनेमंगलवारकोआरोपलगायाकिउनकेपतिकीपोस्टमॉर्टमरिपोर्टमेंछेड़छाड़हुईहै.तभीउनकेशरीरमेंएकगोलीकीबातकहीजारहीहैजिससेहत्यारोंकोबचायाजासके.परवीननेकहाकिपतिकीलाशकोदेखनेकेबादमैनेयहबातकहीथी.मंगलवारशामपरवीनकेइसबयानकेबादएडीजीलॉएंडआर्डरअरुणकुमारनेबतायाकिपहलेग्रामप्रधानकीहत्याहुईथीऔरउसकेबादजियाउल हककामर्डरकियागया.मगरउन्हेंगोलीएकहीलगी.तीनडॉक्टरोंकेएकपैनलनेयहपीएमकियाथा.

देखा जाये तो परवीनआजादऔरइलाहाबादरेंजकेआईजीआलोकशर्माकेबयानआपसमेंटकरारहेहैं.आलोकशर्मानेबतायाकिउनकेमातहतडीएसपीहककोतीननहीं , बल्किएकगोलीलगीथी.पीएमरिपोर्टमेंडीएसपीकेशरीरपरएकगोलीलगनेकाजिक्रहै.पैरोंमेंकोईगोलीनहींलगी.हमउनदोगोलीकीफिरसेमौकेपरजाकरतलाशकरवाने के साथ-साथ हम भीअपनेस्तरपरयहपतालगाएंगेकिजियाउल हककोसीनेमेंगोलीकिसनेमारीथी.अब ये समझ नहीं आता कि इलाहाबादरेंजकेआईजीआलोकशर्मा को कि फर्ज के लिए अपनी जान देंने वाले का हश्र राजा भैया के गुर्गों ने इतना बुरा कियातो क्या वो किसी और को निशाना नही बनाएगा. उसकी चपेट में कोई भी हो सकता है क्योंकि रजा भैया को पता है कि अपराध करने के बाद बस कुछ दिन जेल में अय्याशी करके फिर बाहर आ जाऊंगा…

राज्य सरकार को हत्यारों की पूरी जानकारी है. तो फिर सरकार पहलेयह क्यों नही बता रही कि हत्यारे कौन हैं ? और ये हत्याएं किसने करवाई हैं .
डीएसपी जियाउल हक से पहले अथवा बाद में मारे गए सुरेश यादव की हत्या की जांच सीबीआई करे. इन दोनों को कैसे मारा गया और उनकी हत्या के पीछे वजह क्या थी ? अब सीबीआई के समक्ष जांच के दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं.जो हत्यारे को सजा दिला सकते हैं.
समाजवादीपार्टीकेगुंडेसरेआमघूमरहेहैंजिसकेपरिणामस्वरूपएकडीएसपीकीहत्याहोगई.जिनलोगोंकेखिलाफएफआईआरदर्जकीगईउन्हेंअभीतकगिरफ्तारनहींकियागयाहै.सपा सरकारमेंमंत्रीऔरहत्यामामलेमेंआरोपीरघुराजप्रतापसिंहउर्फराजाभैयानेकेवल इस्तीफादियाहैऔरमामलेमेंशामिलअन्यलोगोंकेखिलाफकोईकार्रवाईनहींकीगईहै.

मुख्यमंत्री ने बीस लाख रुपये देने की बात की है मुख्यमंत्री जी ये नही समझते कि क्या कागज़ के नोट उसके सुहाग की कमी को पूरा कर देंगे. जिसके कांधे पर उसी के नौ जवानबेटे कि लाश हो वो बूढ़ा बाप इन पैसों का क्या करेगा ? इन रुपयों को देखकर क्या उसकी आत्मा छलनी नहीं होगी. बड़ी अचम्भे की बात है कि कुछदिन पहले एक दंगे की जांच के सिलसिले में डीएसपी को फोन से धमकी मिली थीकि कुछ लोगों के नाम इस जांच से हटा लिए जाय ऐसा नहीं करने पर उन्हें जानसे मार देने की धमकी दी गई थी. धमकी से जान की परवाह न करते हुए जिया उल हक उस दिन कुंडा तफ्तीश के लिए गये थे जहां उनकी हत्या कर दी गई थी. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के बाद के खुलासे में डीएसपी को एक ही गोलीलगी थी. लेकिन सबसे ताज्जुबकी बात यह है कि पुलिस को अभी तक वह गोली नहीं मिलीहै जिससे डीएसपी जियाउल हक की हत्या की गई थी. वहीँ इस रिपोर्ट के आने के बाद डीएसपीकी हत्या की गुत्थी और उलझ गई है. मामलाभले ही सीबीआई के पास चला गया हो मगर वहां के स्थानिय लोगों का कहना है कि राजाभैया जानता है कि इस इल्जाम से कैसे बचा जा सकता है.
मेरी बात सच्ची है पर कड़वी जरुर है जो किसी को भी बुरी लग सकती हैराजा भैय्या या उसके जैसे मुख्तार और शहाबुद्दीनों जैसे दुष्टों ने न जाने कितने बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा होगा. फिर भी क्यों जगह दी अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल में इस तरह के अपराधियों को ?जेल केअन्दर रहने वाला अपराधी क्यों अखिलेश का इतना करीबी है जो उसे जेल मंत्री बना दिया जाता है, ये प्रदेश की कानून व्यवस्था सेमजाक नही तो और क्या है ?जिस राजा भैया ने मुसलमानो कोचुनावी रंजिश का सबक सिखाने के लिये अपने गुर्गों को पूरा मोहल्ला फ़ूंक देने के लिए विवश किया, उस राजा भैय्या को अपने साथ हेलिकॉप्टर की सैर कराना क्या उसकी हिम्मत को बढ़ावा देकर अपराधों के ग्राफ को बढ़ाना नही है ?
विगत दिनों की बात है ये वही आज़म खान साहब हैं जो पिछली बार मुस्लिम वोट पाने के लिए आम-जन के पास रुआसे हो कर बसपासरकार के कारनाओ का हवाला देकर कह रहे थे कि अपनी नस्ल बचानी हो तोसपा को वोट दीजिये और देखिये ना आजम खान साब मुस्लिम जनता ने आपको वोट देकर आपके भेजे हुए 224 लोगों को चुन कर सत्ता की चाभी सौंप दी थी. क्या यही हश्र होना था देश के ऊपर मर मिटने वालों का, कहाँ गयी आपकी मुस्लिमवाद की जादूगरी जो आपने धर्म की दुहाई देकर सत्ता हासिल की थी.

प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. अराजकता का माहौल चारो ओरफैला हुआ है. कुण्डा क्षेत्र में दिन दहाड़े प्रधान की हत्या तथा उसके बादसीओ की हत्या, प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुँह पर तमाचा है. और वो भी ऐसे देश भक्त की हत्या की गई जो मुस्लिम वोट्स के ठेकेदारों के कारनामों से अनजान थे. अपने फर्ज को बखूबी निभाते हुए देश का बेटा इन सियासी चालों का शिकार हो गया.

देखा जाये तो यह हिंसा उस क्षेत्र में हुई जहाँ का प्रतिनिधित्व सरकार का एक ताकतवरमंत्री करता है। प्रदेश के सपा सरकार के मंत्रियों, विधायकों तथा सांसदोंका आचरण निन्दनीय तथा अराजकतापूर्ण है. सही मायने में राजा भैया की बसपा सुप्रीमो मायावती से कभी नहीं पटी जबकि मुलायम सिंह यादव ने उनकीकाबिलियत का उन्हें पूरा ईनाम दिया. मायावती के शासन में आतंकवादी तक घोषितकर दिये गये राजा भैया को मुलायम सिंह यादव ने 2003 में सत्ता पाते ही फिर से गले लगा लिया और पोटा के तहत दर्ज सभी केस वापस ले लिये. स्थानीय स्तर पर राजा भैयाकी प्राथमिकताएं औरजरूरतें उन्हें मुसलमानों का विरोधी बनाकर रखने कोमजबूर करती रहीं. कुण्डा में जितनी बार भी धार्मिक दंगे भड़के हर बार कथिततौर राजा की सेना ने ही हिन्दुओं का बचाव किया है. ताजा प्रकरण में इसी तरहका एक दंगा ही है जिसमें मुसलमानों के घर जला दिये गये थे. अस्थान की मुस्लिम आबादी में आगजनी की यह घटना नयी समाजवादी सरकार बननेके बाद घटी थी, लिहाजा कोई बहुत हंगामा न हुआ. क्योंकि उस समय तक राजा भैया मंत्री बनाये जाचुके थे और किसकी मजाल जो राजा भैया के खिलाफ गवाही देकर राजा भैया के लोगों कीशिनाख्त करता. पर ये गुस्ताखी की डीएसपी जियाउल हक ने….

गौरतलब हो कि जब से दंगे हुए थे तबसे राजा भैया सहित उनके समर्थकों को अखर रहा था. कि डीएसपी जियाउल हक ने तैयार रोजनामचे और तस्करा में रजा भैया का नाम दर्ज किया था.

जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने जो धमकी देने की बात कही है वह धमकियां रोजनामचे मेंलिखे उसी नाम की वजह से जिया उल हक को मिलती थी कि इसकी इतनी औकात कि इसनेराजा भैया का नाम रोजनामचे या तस्करा में लिख दिया है. स्थानीय पुलिस याप्रशासन में किसी की हिम्मत नहीं है जो राजा भैया के खिलाफ कुछ कार्रवाई करसके. तब तो एकदम नहीं जब राजा भैया खुद कोतवाल बने बैठे हों. लेकिनजियाउल हक को अपनी इस गलती की सजा अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
हिन्दू मुस्लिम होने से क्या देशभक्ति कम हो जाती है हर धर्म, हर जाति के व्यक्ति में देशभक्ति की भावना अपने आप उत्पन्न होती है क्योंकि व्यक्ति जिस देश में रहता है उसे देश प्रेम हो जाता है.

अब समझने की बात ये है कि जियाउल हक का मुसलमान होना अगर उन्हें भारी पड़ गया तो इस घटना का सीधाअसर समाजवादी पार्टी की अंदरूनी सत्ता पर होना तय है. पार्टी के मुस्लिम चेहरे आजम खानखुद समाजवादी पार्टी से बहुत खुश नहीं है. प्रदेश में मुसलमानों का एकधड़ा पहले से नेताजी से नाराज चल रहा है. ऐसे में एक मुस्लिम पुलिस अधिकारीकी हत्या का राजनीतिक रंग समाजवादी पार्टी को मुसलमानों को बीच बदरंग करदे तो कोई बहुत आश्चर्य की बात नहीं.

राज्य सरकार को तो तब भी शर्म नहीं आ रही जब ड्यूटी करते हुए मौतको गले लगाने वाले जियाउल हक की पत्‍नी रो-रोकर कर अपने शौहर केकातिल का नाम ले रही है और इस सरकार के भ्रष्ट और अपराधी प्रवत्ति के नेता वहीं घिसा-पिटा जुमला पढ़कर कन्‍नीकाट रहे हैं. जिसकी दुनिया लुटी, वही अपनी दुनिया लूटने वालों का नाम बता रही है. तो फिर ये अखिलेश सरकार इतनी बहरी और अंधी क्यों है कि जो उसे सुनाई और दिखाई दे रहा है उसे देखना क्यों नही चाहती ? सपा सुप्रीमो ने देश चलाने का ख्‍वाब देख रखा है कहीं ऐसा ना हो कि उत्तर-प्रदेश में दिन-दूनी रात चौगुनी की प्रगति पर चल रहे हत्या और अपराध के तांडव और शहीद जियाउल हक की मासूम बीवी के सिसकते आंसू सपा सुप्रीमो के दिल्ली के ख्वाब को नेस्तनाबूत ना कर दें…. क्योंकि बड़े बुजुर्गों से सुना हैं कि बेवा की हाय नहीं लेनी चाहिए एक नारी जो देवी होती है, उस देवी के सीने से निकलने वालीहाय.. से तो सारे ब्रहम्मांड की शक्तियां भी डरती हैं तो फिर सरकार के ये भ्रष्ट हुक्मरान तो एक इंसान ही ठहरे..

आज मैं आपको मुसलमान शब्द का मतलब बताती हूँ…..

ये बात मैं सिर्फ उन साम्प्रदायिक लोगो को बताना चाहती हूँ जिन की नज़र में हर मुस्लमान आतंकवादी होता है, जबकि ऐसा नहीं है मुसल्लम इमान मतलब जिसका इमान हर हाल में पूरा के पूरा कायम है जिसकाइमान चट्टान की तरह मजबूत और शबनम की तरह पाक हैं,और इसकी बहुत बड़ी मिसाल है डीएसपी “ज़ियाउल हक” इस शहीद ने कोई बम नहीं लगाया बस अपने असीम हौंसले से असामाजिक तत्त्वों से लोहा ले लिया. क्योंकि जोकसम इस शहीद ने वर्दी पहनने पर ली थी उसे पूरा करने के साथ-साथ अन्याय और बर्बरता केविरुद्ध आवाज़ बुलंद करने के लिए उसने अपनी जान गवां दी. इस हिन्दुस्तान के बेटे का दिन-दहाड़े कत्ल किया जाता है. अपराधी सामने हैं पर पकडे नहीं जा रहे.उत्तर-प्रदेश पुलिस का आत्मबलसमाप्त हो चुका है, क्योंकि अपराधियों के हौसले दिन-प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं,

सच पूछो तो एक स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए आम-जन को चाहिए कि अपने देश के प्रति सच्ची श्रधा और इमानदारी का द्रष्टिकोण अपनाते हुए अपने मताधिकार का उचित प्रयोग करें. अगर हम सबको राष्ट्र के सच्चे सपूत के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो भ्रष्ट और अपराधी किस्म के नेताओं को सरकार के ढांचे से अलग करना होगा और इन अपराधियों को आजीवन कारावास दिलाना होगा ताकि बाहर आकर फिर किसी बेबस को मौत के घाट न उतार दें. और साथ ही साथ अपराधियों से भरी इस भ्रष्ट सरकार को देश हित के लिए गिराना होगा….हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि हमारी सरकार ऐसी हो जो साफ़ सुथरी छवि वाले नेताओं को शामिल करे जो देश के हितों को देखते हुए एक सार्थक भूमिका निभा सकें ताकि हम सामाजिक सदभाव बनाने मे मदद कर सकें, पीड़ित परिबार को सहानुभूती मिले, न्याय मिले और दोषी को सजा…….


शहीद डीएसपी जियाउल हक की शहादत को मेरा सलाम……..


सुनीता दोहरे…..

लोकजंग-ब्यूरो चीफ उत्तर-प्रदेश
विशेष संवाददाता ईएनआईन्यूज़ एजेंसी

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