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मोदी की राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली है धमाकेदार एंट्री…

sach ka aaina
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images (8)मोदी की राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली है धमाकेदार एंट्री…..
बॉक्स…. कुछ लोगों का मत है कि भाजपा कुछ प्रदेशों की पार्टी बनकर रह गयी है. सम्पूर्ण भारत में उसकी कोई पकड़ नहीं है. गुजरात मैं दंगे-फसाद कराकर मोदी कभी भी भारतीय जनमानस का दिल नहीं जीत सकते………
गुजरात के शेर को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करने से भाजपा भले ही हिचकिचा रही है लेकिन उनकी राष्ट्रीय राजनीति में ‘बड़ी भूमिका’ के साथ-साथ भाजपा के हित को मद्देनजर रखते हुए पार्टी ने एक-एक करके चालें शुरू कर दी हैं. पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह का ये कहना कि मोदी भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और अगले आम चुनाव में उनके ऊपर सबसे अहम जिम्मेदारी होगी. और मार्च में पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया जाएगा कि भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कब घोषित होगा. हालांकि, राजनाथ ने मोदी को पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा बताकर इशारों-इशारों में बहुत कुछ बयां कर दिया है. विशेष सूत्रों के अनुसार मार्च में मोदी को इलेक्शन कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर धमाकेदार एंट्री कराई जाएगी…..
अभी पिछले दिनों की बात है जब गुजरात का शेर अपनी गद्दी पर चौथी बार बैठने के बाद पहली बार अपनी गुफा से बाहर दिल्ली की सैर करने आया तो बीजेपी मुख्यालय में और बीजेपी के आला नेताओं की मौजूदगी में इस कदर जोरदार स्वागत हुआ मानो मोदी के सर पर दिल्ली के तख़्त की ताजपोशी हो रही हो. हद तो तब हो गयी जब पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के भाषण को भी बार-बार मोदी-पीएम, मोदी-पीएम के नारों ने रोका. उस समय इस पीएम नारे से विभूषित मोदी खुशी से गदगद नजर आ रहे थे.
बीजेपी मुख्यालय में पहली बार हुए मुख्यमंत्री के स्वागत के जूनून को देखकर ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ पार्टी सदस्य खुश नही है उनकी पीएम पद की दावेदारी पर पार्टी में जहां कुछ नेता खुश नजर आ रहे थे वहीँ कुछ के सीने पर नश्तर चल रहे थे.
जब कार्यकर्ताओं ने मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने के नारे लगाए. तब मोदी ने गरजते हुए सीधे पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में नेतृत्व का अभाव है और यूपीए के पास विकास का कोई रोडमैप नहीं है.
अब सोचने का विषय है कि भाजपा पार्टी के दिग्गज नेताओं में मोदी का नाम शुमार होने के बावजूद क्या मोदी प्रधानमन्त्री के पद के असल दावेदार हैं ?
अब ये तो साफ़ जाहिर है कि इलेक्शन कमिटी के हेड बनने के बाद मोदी बीजेपी की हर राजनीतिक कमिटी का हिस्सा होंगे. और सबसे खास बात तो ये है कि टिकट बांटने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी. सुनने में तो ये भी आ रहा है कि मार्च में इलेक्शन कैंपेन कमिटी का हेड नियुक्त किए जाने के बाद मोदी प्रदेश में किसी विश्वास पात्र को उपमुख्यमंत्री बनाकर स्वयं को राष्ट्रीय राजनीति में व्यस्त कर लेंगे. बहरहाल जो भी हो मोदी के मंत्रिमंडल में मोदी के करीबी राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल, वित्त मंत्री नितिन पटेल, और ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल की चांदी ही चांदी है क्योंकि उप मुख्यमंत्री पद के लिए इनमें से कोई एक चुना जाएगा और फ्री होने के बाद मोदी अपनी दिली इच्छा को पूरा करने के लिए अगले लोकसभा चुनाव में उत्तर-प्रदेश की किसी सीट से हांथ अजमा सकते हैं. क्योंकि मोदी के उत्तर-प्रदेश की किसी भी सीट से लड़ने से करीब दर्जन भर सीटों पर पार्टी को फायदा हो सकता है. कुछ समय पहले मोदी के द्वारा पार्टी की प्रदेश इकाई के सचिव राजेश पटेल के जरिए उत्तर-प्रदेश के कई शहरों का सर्वे करवाने के बाद मोदी यूपी से चुनाव लड़ सकते हैं. पर सीट को लेकर अभी कोई संकेत नहीं प्राप्त हुआ है.
अब इन हालातों में कांग्रेस के पास भी मोदी के टक्कर का कोई नेता नहीं है और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए सीधे मुकाबले में मोदी से राहुल गांधी की कोई बराबरी नही……..
कुछ लोगों का मत पक्ष में ……..
मैंने करीब २० दिन के अन्दर में उत्तर-प्रदेश के कई शहरों की आम जनता से मोदी के प्रधानमत्री पद के दावेदार को लेकर बात की जो लोगों ने कहा मैं वो आपके सामने पेश कर रही हूँ कुछ लोगों ने मोदी को उत्तम दर्जे का शासक बताया. कुछ ने कहा कि मोदी ने अपने वादे के अनुसार प्रदेश की अंदरूनी आर्थिक समस्याओं पर और जनता की खुशहाली के स्तर को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है. नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय राजनीतिज्ञों ने तो अपना आदर्श स्वीकार कर लिया है. और अब उनके विरोधी चाहे उनके बारे में कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई तो यह है कि ब्रिटेन से लेकर अमेरिकी संसद तक उनकी स्वीकार्यता और समर्थन के पक्ष में दिनों-दिन बढ़ोत्तरी हो रही हैं. कुछ लोगों ने कहा कि देखा नही मैडम आपने, मोदी की तारीफ विदेशी भी करते हैं वो कहते नही थकते कि देश के आर्थिक मामले में भी गुजरात ही है जो भारत देश की रीढ़ की हड्डी होने के साथ-साथ गुजरात भारतीय राजनीति का मुख्य घटक बनकर उभरा है. और अब कांग्रेस सरकार बेहिसाब रूपया बटोरने और परिवारवाद का पर्याय बनकर रह गई है, तो मोदी एक ऐसे दीप-स्तंभ बनकर उभरे है, कि उनके दामन पर अन्य पार्टियों के नेताओं की तरह कोई दाग-धब्बे नहीं है.
इलाहाबाद कुम्भ के मेले में कुछ साधुओं से मेरे पूछने पर जवाब मिला कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मोदी को देखने वालों की संख्या दिनो-दिन बढ़ती ही जा रही है और उनमें से हमारी साधुओं की ये टोली भी है. अब सोचने की बात है कि मोदी को इस कुर्सी पर देखने के लिए हर तबके का आदमी बेचैन है. और अप्रत्याशित रूप से साधु-संत भी उनके पक्ष में लामबंद हो रहें है. उत्तर-प्रदेश से करीब ७० फीसदी लोग नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. यानि कुल मिलाकर मोदी, राहुल पर भारी पड़े हैं.
कुछ का मत विपक्ष में….
कुछ लोगों का मत है कि भाजपा कुछ प्रदेशों की पार्टी बनकर रह गयी है. सम्पूर्ण भारत में उसकी कोई पकड़ नहीं है. क्योंकि इनके नेता आपसी मनमुटाव के कारण एक दूसरे से खफा रहते हैं. भाजपा के नेता भ्रष्टाचार में उसी तरीके से लिप्त हैं जिस तरह से कांग्रेस, और अन्य पार्टियों के. गुजरात मैं दंगे-फसाद कराकर मोदी कभी भी भारतीय जनमानस का दिल नहीं जीत सकते. गुजरात दंगों के दाग से मोदी का मुक्त होना असंभव है.
कुछ ने कहा प्रजा को अपने शासक से ये पूछने का अधिकार है कि आपने आज तक गुजरात राज्य के मुसलमानों के साथ न्याय क्यों नहीं किया ? गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका उकसाने वाली क्यों थी ? उस समय कहाँ थे मोदी जब दरिंदों की अगुवाई कर रहे थे बीजेपी और तमाम हिंदुवादी संगठनों के कुछ नेता ? क्या इन दंगों को देश को भूल जाना चाहिए ? तो फिर मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर देश क्यो फिर एक और विभाजन की विभिषिका का शिलालेख लिखे ? इस दुनिया की साम्राज्यवादी ताकतों के प्रतिनिधि यूरोपियन यूनियन या अमरीका चाहे जितनी भी कोशिश कर ले पर नरेन्द्र मोदी कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बना पायेंगे.
एक व्यक्ति तो रो पड़ा और बोला मैडम उस समय दंगाइयों ने औरतों, बूढ़ों और बच्चों तक को नहीं बख्शा था. जगह-जगह मुसलमानों के खिलाफ भड़की हिंसा में कुछ द्रश्य हमारे मानस पटल पर इस तरह जम कर रह गये हैं कि जरा सा कुरेदने पर वहाँ के तमाम दृश्य रील की तरह हमारी आँखों के सामने घूमने लगते हैं. दिल जार-जार रोता है उन मनहूस दिनों को याद करके…..
दिमाग में ये प्रश्न बार उठता है कि आखिर एक प्रान्त का मुख्यमंत्री देश में इतना लोकप्रिय कैसे हो गया ? मोदी की छवि इस स्वतंत्र भारत के इतिहास में कहीं भी देखने को नहीं मिलती. और खासकर इन हालातों में जब देश के सभी नेताओं की विश्वसनीयता का ग्राफ गिरा हो, तो लगता है कि आखिर अचानक ऐसा क्या मोदी ने खेल खेला कि पूरा देश उनकी ओर आशा-भरी निगाहों से देख रहा है. उत्तर-प्रदेश के ७० फ़ीसदी आम आदमी को कहीं न कहीं ये विस्वास हो चला है कि यदि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो देश की काया पलट जायेगी देश में रामराज्य आ सकता है. लोगों का मोदी के प्रति अटूट विस्वास ही मोदी को उस मंजिल तक पहुचायेगा जिस तरह के देश की जनता ने कल्पना की है उस देश के सुखद भविष्य के लिए जनता टकटकी लगाए मोदी की ओर निहार रही है…

सुनीता दोहरे…..
लोकजंग-ब्यूरो चीफ उत्तर-प्रदेश
विशेष संवाददाता ”ईएनआई” न्यूज़ एजेंसी

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