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अंधे बैठे छाप रहे, बहरों की तकदीर, ढोल के अन्दर पोल है, जाने सभी फकीर..

sach ka aaina
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अंधे बैठे छाप रहे, बहरों की तकदीर, ढोल के अन्दर पोल है, जाने सभी फकीर..

बॉक्स….वास्तव में सत्य तो ये है जो जनता को समझना होगा कि ये राजनीति के चाल बाजों का सत्ता को हथियाने का महज एक हथियार है और भारत बन्द विरोध प्रदर्शन कम बल्कि शक्ति प्रदर्शन अधिक है. आज के युग में भ्रष्टाचार से मुक्त भारत की कल्पना करना ठीक वैसा है  जैसे बिना तेल के चिराग को प्रज्वलित करना………

दो दिन के भारत बंद के पहले दिन कई राज्यों में ट्रांसपोर्ट यूनियन और बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने भी इस बंद का समर्थन किया. ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों की ओर से इस दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बंद के पहले दिन बुधवार को उत्तर-प्रदेश में भी इसका व्यापक असर देखा गया है. बैंकिंग और परिवहन सेवाएं पूरी तरह ठप हैं, जिसके तहत लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा रहा है. लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद जैसे शहरों में चलनी वाली महागनर बसों का भी परिचालन पूरी तरह से ठप पड़ा है, लोगों को दफ्तर जाने के लिए आटो रिक्शा लेना पड़ रहा है, जो बसों की हड़ताल के कारण दोगुना किराया वसूल रहे हैं.हालांकि आवश्यक सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है. उत्तर-प्रदेश में आधी रात के बाद राज्य परिवहन निगम की बसों के पहिये थम गए. प्रदेश भर की करीब 10 हजार रोडवेज बसें विभिन्न बस अड्डों में खड़ी हुई है जिससे यात्रियों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है.साथ-साथ बैंक और बिजली, सिंचाई, बीमा, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, टेलीफोन और डाक विभाग के दफ्तरों में भी कामकाज बंद रहे.
लखनऊ में विधानसभा के बाहर विभिन्न सरकारी विभागों के हड़ताली कर्मचारियों ने और उत्तर-प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के नेता अजय सिंह नेमोर्चा निकालकर प्रदर्शन करते हुए कहा कि हमारी मांग है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए, न्यूनतम वेतन दस हजार रुपये के साथ-साथ सातवें वेतन आयोग का गठन भी किया जाए और इसके साथ श्रम कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए.
बैंक कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण सुबह से लगभग सभी सरकारी बैकों के दफ्तरों में ताले लटक रहे हैं. बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध जताया है.अगले 48 घंटे बैकिंग सेवाएं पूरी तरह ठप रहेंगी और कोई कामकाज नहीं होगा. प्रदेश की करीब चार हजार सरकारी बैंकों की शाखाएं हड़ताल से प्रभावित हैं. हड़ताल समर्थकों ने लखनऊ के हजरतगंत स्थित आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंकों को जबरन बंद करवाया है.

जरा दिमाग से सोचिये ऐसे बंद का क्या औचित्य है….
अब सोचने की बात तो ये है कि भले ही भारत बंद किन्हीं मांगों को लेकर हुआ हो इसकी बजह से कुछ जगहों पर बंद ने हिंसक रूप ले लिया है. दिल्ली से सटे नोएडा में हड़तालियों ने जमकर हंगामा किया है. नोएडा के फेज 2 इलाके में सी टू के समर्थकों ने प्रदर्शन के दौरान सरकारी दफ्तरों, फैक्ट्रीयों में तोड़-फोड़ की इतना ही नहीं, उन्होंने बसों, ट्रकों यहां तक कि एंबुलेंस को भी आग के हवाले कर दिया. आगजनी की ये घटना नोएडा सेक्टर 82 और 83 में हुई. इस घटना में 15 लोगों के घायल होने की भी खबर मिली है. इस तरह की देश में कई घटनाएं हुई हैं…………..
सच्चाई तो ये है कि हम वैसे भी आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहे है. ये सब जानते हैं कि पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, आदि सभी जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे है अब इन हालातों में आमजनता का आक्रोशित होना तो तय है. सत्ता के लालच में इन भ्रष्ट नेताओं का भारत बंद में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना और अपनी कुटिल नीतियों के द्वारा भारत बंद कराने का बस एकमात्र उद्देश्य जनता के सामने जनहितैषी होने का दिखावा करना मात्र है.अगर सही मायने में ये राजनीतिक चालें नहीं चल रहे होते और जनता के सच्चे हितैषी होते तो आज देश में भ्रष्टाचार, आम आदमी की मज़बूरी, देश से गरीबी और मंहगाई का नामों-निशाँ मिट गया होता. इन भ्रष्ट नेताओं ने विदेशों में काला धन जमा करके देश को गरीब और देश की जनता को असहाय कर दिया है.
देखा जाये तो भारत बंद का आयोजन देश की जनता के हित में कतई नहीं आता.
ये सब २०१४ के लोकसभा चुनाव
में केन्द्र सरकार का तख्ता पलट करना है. यह सबराजनीतिक चालें हैं जो राजनैतिक दलों के भविष्य के हित मे संजोई जा रहीं हैं. सभी दल अपनीअपनी इच्छाओं को भुनाने में लगे हैं वर्ना इस तरह से जनता को बंधक बना कर अपना उल्लू सीधा करने का क्या औचित्य है?इस संकट की घड़ी में इन भ्रष्ट नेताओं का राजनैतिक रोटियां सेकना क्या उचित है ? कल के बंद में सम्मिलित होने वाली सभी पार्टियाँ क्या अपनी नैतिकता का गला घोंट चुकी है  ?  क्या इन मीठी बातों से और झूठे आश्वासन देकर वोट बैंक बनाने वाले नेताओं को उन गरीबों की आहें नहीं सुनाई देती जो रोज की कमाई से अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. इन गरीबों का एक दिन का काम बंद होने से इनका कितना अहित होता है.पूरे देश मेंचाय-नाश्ते की दुकान चलाने वाले, गली नुक्कड़ पर सब्जी की दूकान और छोटे-मोटे कारोबारी ये वो लोग हैं जो रोज कमाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं.
अब देखिये एक बात तो में आप लोगों से कहना भूल ही गई कि जबअमीरों की कारों में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल डीजल और अमीरों के घरों में जलने वाले गैस सिलेंडर के दामों में बढोत्तरी हुयी तो सभी दल एक जुट होकर आवाज उठाने लगे और उनकी सुनी भी गयी पर उन गरीबों का क्या जिसके घर का चूल्हा कैरोसिन से जलता है जिसकी कालाबाजारी और कोटे में कटौती के कारण गरीबों को केरोसिन नहीं मिल रहा परन्तु उसके लिए किसीने आवाज़ नहीं उठाई. और आज चले हैं भारत बंद करके आम-जनता की नजर में हीरो बनने.
देखा जाए तो एक दिन दुकान न खुलने से भले ही बड़े व्यापारियों को कुछ भी फर्क न पड़ता हो किन्तु इन छोटे दुकानदारों को लेने के देने पड़ जाते हैं. डंके की चोट पर लिख रही हूँ कि सभी की सभी पार्टियाँ भ्रष्ट है. कुर्सी, धन, शोहरत और एकछत्र राज का लालच इनके दिमाग का संतुलन बिगाड़ देता है. गरीबों की आहें नहीं सुनाई देतीं इन भ्रष्ट नेताओं को ….अगर कोई इनके खिलाफ आवाज उठाता है , तो उसका मुंह बंद कर दिया जाता है. हर पार्टी का सदस्य एक दूसरे की काट और बुराई करने में कोई संकोच नहीं करता. क्योंकि इनके हिसाब से इनकी नीतियां कभी गलत नहीं होती है. एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाकर जनता के विस्वास को छलते हैं  और अपनी सरकार बनने पर मौज करते हैं. वास्तव में सत्य तो ये है जो जनता को समझना होगा कि ये राजनीति के चाल बाजों का सत्ता को हथियाने का महज एक हथियार है और भारत बन्द विरोध प्रदर्शन कम बल्कि शक्ति प्रदर्शन अधिक है. आज के युग में भ्रष्टाचार से मुक्त भारत की कल्पना करना
ठीक वैसा है  जैसे बिना तेल के चिराग को प्रज्वलित करना………

हो रहा नैतिक पतन, घोटालों के बीच !
बैठे हैं शातिर यहाँ, दोनों आँखें भींच !!

देख हकीकत देश की, सोचूं बारम्बार !
मन के मैले हो गए, बड़े-बड़े किरदार !!

अंधे बैठे छाप रहे, बहरों की तकदीर !
ढोल के अन्दर पोल है, जाने सभी फकीर !!

ढुलक रही सरकार है, बिन पैंदी की तकदीर !
बड़ो-बड़ों का बिक गया, बीच बाज़ार जमीर !!

सकूं मिलता है मुझे, उस परम शक्ति के बीच !
हाँथ पसारे सब खड़े, जहां मिले शांति की भीख !!……

सुनीता दोहरे ……
{लोकजंग-ब्यूरो} चीफ उत्तर-प्रदेश
विशेष संवाददाता ”ईएनआई” न्यूज़ एजेंसी…

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