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इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई 20 की मौत और आजम खां को मजाक सूझ रहा….
बॉक्स…. लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने में असफल रेलवे प्रशासन की लापरवाही से कई मासूम यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई. बहुत यात्री घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है……
उत्तर-प्रदेश इलाहाबाद में महाकुंभ के मौके पर संगम में डुबकी लगाने हजारों की संख्या में आये यात्री अपने-अपने गंतव्यों पर जाने के लिए बड़ी संख्या में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंच रहे थे. रविवार को मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए महाकुंभ में करोड़ों की भीड़ उमड़ी थी. जंक्शन रेलवे स्टेशन पर भी सुबह से लाखों की भीड़ थी. रात में ट्रेन पकड़ने के चक्कर में भीड़ का रेला जंक्शन पहुंचने लगा था. प्लेटफार्मों पर पैर रखने की जगह भी नहीं बची थी. प्लेटफार्म नंबर चार और छह पर पहुंचने के लिए फुटओवर ब्रिज से नीचे यात्रियों को उतारा जा रहा था. क्योंकि अधिकारियों ने प्लेटफार्म 6 को सील कर दिया था.
स्टेशन पर एक ट्रेन के आने की घोषणा होते ही अचानक से यात्री प्लेटफार्म की ओर उमड़ने लगे. शाम करीब साढ़े छह बजे भीड़ में धक्का-मुक्की हुई और सीढ़ी पर भगदड़ मच गई. भीड़ बेकाबू हुई तो रेलवे पुलिस ने आपा खो दिया. लाठी लेकर खड़े जवान भीड़ को पीटकर नियंत्रित करने लगे. जिससे लोग कूदते-फांदते भागने की कोशिस में जो जहाँ था वहीँ से चिल्लाते हुए एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने लगा. कोई सीढ़ी से कूद पड़ा तो कोई अपने आपको संभाल नहीं पाया और पब्लिक के कदमों तले रौंदा गया. कुछ ही मिनट में प्लेटफार्म नंबर छह पर लाशें ही लाशें दिखाई देने लगीं. 17 महिलाओं की लाश ओवर ब्रिज के नीचे पड़ी थी जबकि एक बच्ची समेत सात लोगों की लाश सीढ़ियों के ऊपर पड़ी थी.
इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद भी तीन घंटे बाद रात सवा नौ बजे डीआरएम और अन्य अफसर पहुंचे तो यात्रियों का गुस्सा भड़क उठा. राजधानी समेत कई ट्रेनों को भीड़ ने रोक लिया. ट्रेनों में तोड़फोड़ भी की गई. देर रात तक प्लेटफार्म पर अफरातफरी का आलम रहा.
सच्चाई ये है कि जिन सीढ़ियों, फुटओवर ब्रिज और प्लेटफॉर्म पर भगदड़ मची थी वहां उस वक्त करीब 4000 लोग मौजूद थे. और प्रशासन आँखें मूंदे खड़ा था. महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान का महापर्व यहां आए दर्जनों लोगों के लिए काल बन गया……….
सुबह-सुबह भी महाकुंभ मेले में मची भगदड़ में चार जानें जाने के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया और नतीजा यह कि शाम को इलाहाबाद रेलवे जंक्शन का प्लेटफॉर्म नंबर छह बड़े हादसे का गवाह बना.
भगदड़ के समय स्टेशन पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे जो महाकुंभ से पवित्र स्नान करके लौट रहे थे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और शीर्ष स्तर के सूत्रों ने बताया कि भगदड़ में 20 लोगों की मौत हो गई. यह भगदड़ शाम करीब साढ़े छह और सात बजे के बीच में मची. उस वक्त प्लेटफार्म नंबर पांच और छह पर बड़ी संख्या में लोग जमा थे.
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस की ओर से लाठी चार्ज की गई, हालांकि मंडल रेलवे प्रबंधक हरिंदर राव ने इससे इनकार किया है. शुरुआती खबरों में कहा गया कि एक फुटब्रिज की रैलिंग के टूटने के बाद भगदड़ मची, लेकिन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
बंसल ने कहा कि प्लेटफार्मों पर बहुत अधिक भीड़ होने से भगदड़ मची. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्टेशन के उस स्थान पर करीब चार हजार लोग मौजूद थे जहां भगदड़ मची.
वहीं कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने 22 लाशें ख़ुद देखी हैं. घटनास्थल पर बच्चों और महिलाओं की चप्पलें और दूसरे सामान बिखरे हुए पड़े थे. घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक प्रत्यक्षदर्शी ने लोकजंग के पत्रकार को बताया कि उनके साथ दो महिलाएं थीं और उन दोनों की ही हादसे में मौत हो गई है.
सच यह है कि सिर्फ रेलवे के अधिकारियों, इलाहाबाद प्रशासन और पुलिस की गैर-जिम्मेदारी के कारण दर्जनों जानें गईं. अव्यवस्था का शिकार रेलवे जंक्शन उन पुलिसवालों के हवाले था जो श्रद्धावान भक्त जनों से लाठी की हनक से बात कर रहे थे. और सबसे शर्मनाक बात तो ये है कि जब हादसा हो गया तब रेलवे के जिन अधिकारियों पर जिम्मेदारी थी वे मौके से भाग गए. जख्मी महिलाएं प्लेटफार्म पर पड़ी तड़पती रहीं और तीन घंटे तक मदद नहीं पहुंची. कुछ पहले ही अपनी साँसे खो चुके थे. छह लोग तो देखते-देखते एक-एक कर प्लेटफार्म पर तड़प कर मर गए. महिलाएं और बच्चे चीखते रहे, लेकिन रेलवे प्रशासन हादसा होते ही भाग चुका था जिन घायलों के साथ और लोग थे वे खुद उन्हें उठाकर अस्पताल भागे, लेकिन जो जख्मी अपने घरवालों से अलग हुए वे प्लेटफॉर्म पर ही तड़प-तड़फ कर मर गए. अगर उन्हें समय से उपचार मिल जाता, या उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो वे बच सकते थे. इलाहाबाद प्रशासन, पुलिस और रेलवे अधिकारियों की संवेदनहीनता को मानवता कभी माफ नहीं कर सकेगी. साढ़े छह बजे हुए हादसे के बाद रात साढ़े नौ बजे लाशों को उठाने का इंतजाम हुआ. माकूल इंतजाम न होने से नाराज लोगों ने स्टेशन पर जमकर नारेबाजी की.
लाश को ले जाते परिजन चारो तरफ रोते-बिलखते नजर आ रहे थे. श्रद्धालुओं की शिकायत थी कि रेलवे ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए कुछ खास इंतजाम नहीं किए थे. पुलिस वाले भी यात्रियों से बदसलूकी कर रहे थे. तबाही का ऐसा मंज़र देखने को मिला कि रूह कांप जाएं. देखा जाये तो इलाहाबाद के हादसे के लिए सरकार के साथ-साथ इलाहाबाद स्टेशन की कमजोर व्यवस्थाओं के लिए रेलवे मंत्रालय पूरी तरह दोषी है.
नगर विकास मंत्री आजम खां ने आनन फानन में प्रेस कांफ्रेस बुलाकर कहा कि इलाहाबाद महाकुंभ मेला परिसर में भगदड़ या किसी के मरने की सरकारी स्तर से कोई पुष्टि नहीं हुई है. एक हादसे के दौरान दो लोगों के नाले में गिरकर मरने की जानकारी मिली है. जांच कराई जा रही है कि हादसा कैसे हुआ.
नगर विकास मंत्री आजम खां की अक्ल पर मुझे कभी-कभी बहुत तरस आता है बिना सोचे समझे किसी भी तरह का ब्यान देना वो अपनी शान समझते हैं. आजम खां का कहना कि (मेला परिसर में भगदड़ की बात को पुष्ट किए बिना चैनलों ने इस तेजी से फैला दिया जैसे अफवाहें फैलाई जाती हैं. यह जिम्मेदार भूमिका नहीं है. राज्य सरकार की ओर से कुंभ के लिए सर्वोत्तम इंतजाम किए गए हैं)..
आजम खान जी अगर मीडिया गलत है तो वो तस्वीरें गलत नही हो सकती जो मीडिया ने अपने चैनलों पर दिखाई है. आप मीडिया को बदनाम कर रहे हैं. अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से पुख्ता इंतजाम किये गये होते तो इस तरह के हादसे कभी नहीं होते. और जो हुए है उन्हें आप झुठलाने की कोशिश कर रहे हैं.
आजम खान जी सुबूत मैं देती हूँ आपको अपनी रिपोर्ट के साथ ( एक तस्वीर संगम तट की जहाँ रविवार की सुबह भगदड़ मचने से 2 लोगों की मौत हो गई थी ) ……
आजम खान जी आपकी मानवता कहा गयी. इसी जनता के वोटो से आप इस पदवी पर हैं और उसी जनता के दर्द की आवाज को दबाने का हक आपको किसने दिया. आपसे तो अच्छे हम पत्रकार हैं जो जनता के दर्द की आवाज बनते हैं. और आप जनता की आवाज होकर भी हम पत्रकारों की आवाज उठाने को झूठा करार दे रहे हैं. आप अपने उल-जलूल बयानों को यूँ सरेआम मत करिए वरना जनता की नजरों से उतरते आपको देर ना लगेगी…….
“पीएम” और उत्तर-प्रदेश राज्य के “सीएम” ने किया मुआवजे का ऐलान….
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शोक जताया और रेलवे से जरूरी कदम उठाने को कहा. पीएम ने मुआवजे का भी ऐलान किया. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख और घायलों को एक लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है. रेल मंत्री पवन बंसल ने कहा कि मृतकों के परिजनों को पीएम फंड से मुआवजा दिया जाएगा……..
अब सवाल ये उठता है कि क्या प्रशासन द्वारा दिया हुआ मुआवजा उन बेगुनाहों की जान की भरपाई कर पायेगा. अगर रेलवे प्रशासन, केंद्र सरकार और राज्य सरकार समय से पहले पुख्ता इंतजाम कर देती तो ये हादसा होने से रोका जा सकता था..
सुनीता दोहरे…..
{लोकजंग-ब्यूरो} चीफ उत्तर-प्रदेश…
विशेष संवाददाता ” ईएनआईन्यूज़ ”
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