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इस अधुनिकता की दौड़ मैं महिलाएं और उनका कैरियर…..

sach ka aaina
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इस अधुनिकता की दौड़ मैं महिलाएं और उनका कैरियर…..
Box….इस आधुनिक युग में महिलायें अक्सर अपने कैरियर को लेकर चिंतित रहती हैं. देखा जाये तो महिलाओं के लिए हर क्षेत्र में कोई न कोई विकल्प है. नीचे दिए जा रहे क्षेत्रों में से कोई भी क्षेत्र चुनकर महिलायें अपना बेहतर भविष्य बना सकतीं हैं……
(१).ज्वेलरी डिजाइन भी है एक बेहतर कैरियर…
सच तो ये है कि आज के इस युग में फैशन ने आज ग्लोबल स्तर पर लोगों के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है. फैशन और स्वयं को नया लुक देने की जो भी परिभाषांए हैं आज की पीढ़ी को रहन-सहन और पहनने-ओढ़ने के नए-नए ज्ञान देती नज़र आती हैं. और जब हम बदलते परिधानों की बात करते हैं तो पहनावे में चार चाँद लगाने वाले आर्कषक आभूषणों की चर्चा करना भी आवश्यक हो जाता है.
आज के इस दौर में हर महिला आभूषणों को पसंद करती है इसलिए आभूषणों में एक उज्ज्वल भविष्य बन सकता है. ६० प्रतिशत सालाना से भी अधिक की वृद्धि वाली लगभग ७५,००० करोड़ रुपए की भारतीय ज्वैलरी से जुड़ने का सुनहरा अवसर आपके सामने है. और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के सबसे अधिक आयात और निर्यात के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है. सोने की इस लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए देश में तमाम इंस्टिट्यूट ऐसे हैं जिनमें ज्वैलरी डिजाइनिंग और जैमोलॉजी जैसे कोर्सेज कराये जाते हैं जिनको सीखकर महिलायें अपना भविष्य बना सकती हैं. ये कोर्सेज हमें आधुनिक आभूषणों से रूबरू भी कराते रहते हैं. तथा इस कोर्स के अन्तर्गत ज्वैलरी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट से जुड़ी हर आधारभूत जानकारी दी जाती है.
ये एक ऐसा कोर्स है जो बना सकता है महिलाओं का भविष्य, जिसमें आगे वृद्धि ही वृद्धि है, देखा जाये तो आज के समय में ज्वैलरी डिजाइनिंग लड़कियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. इस क्षेत्र से जुड़े कई डिप्लोमा, सिर्टिफकेट और एडवांस डिप्लोमा कोर्सेज हैं जो महिलाओं के भविष्य को निखार सकते हैं.
कुछ ऐसे कोर्स हैं जिनके लिए कम से कम स्नातक होना आवश्यक है और कुछ कम अविध वाले कोर्स भी हैं जो सीधे बारहवीं के बाद भी किए जा सकते हैं. यदि आप कलर मैचिंग की परख रखने के साथ-साथ फैशन और लेटेस्ट स्टाइल को बखूबी समझते हैं, और आधुनिक टेक्नोलॉजी व मशीनों के बीच काम कर सकते हैं, तो ये एक बेहतर विकल्प है.
और इसी के साथ में देश के कुछ प्रमुख इंस्टिट्यूट के नाम सुझाव के रूप में दे रही हूँ जो इस क्षेत्र में आपको शिखर तक पहुंचा सकते हैं……
१. जैमोलॉजी इंस्टिट्यूट ऑफ इण्डिया, मुम्बई
२. सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुम्बई
३. जैमस्टोन्स आर्टिसन्स टे[निंग स्कूल, जयपुर
४. इण्डियन जैमोलॉजी इंस्टिट्यूट,नई दिल्ली
५. ज्वैलरी डिज़ाइन एण्ड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट, नोएडा
६. जैम एण्ड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल, जयपुर
७. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
और इसी के साथ मैं कुछ प्रमुख कोर्सेज भी आपको बताना चाहूंगी, जो आपको एक नयी राह दे सके. लड़कियां और महिलाएं इस दिशा में गहराई से सोचें. क्योंकि गहने हर स्त्री की पसंद होते हैं और अगर ये पसंद यदि एक आय श्रोत भी बन जाए तो क्या कहने….
१.जैम आइडेन्टि्फिकेशन कोर्स-3 महीने
२.डायमण्ड ग्रेडिंग कोर्स-2 महीने
३.डिग्री इन ज्वैलरी डिज़ाइन एण्ड जैमोलॉजी -3 साल
४.डिप्लोमा इन ज्वैलरी डिज़ाइन एण्ड जैमोलॉजी -2 साल
५.सिर्टिफकेट इन ज्वैलरी डिज़ाइन एण्ड जैमोलॉजी -1साल
६.शार्ट टर्म सिर्टिफकेट कोर्सेज इन जैमोलॉजी, पॉलिशिग, मैनफैक्चरिंग आदि
उपरोक्त इंस्टिट्यूट और कोर्स के अलावा भी तमाम और स्थानों से आप कई अन्य कोर्स कर सकते हैं.
इस कोर्स को करके महिलाएं एक सफल व्यवसायिका के रूप में उभर कर आ सकती हैं और इस व्य वसाय में बिना संकोच उतर कर जो महिला उद्यमी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं, वो मानती हैं कि यह एक उम्मी्द व लाभ से भरा उद्यम है.
(२). मनोविज्ञान में भी है एक बेहतर कैरियर…
देखा जाये तो आधुनिकता के इस दौर में जहां एक ओर मानव को सुख-सुविधा व सुकून प्रदान किया है, वहीं दूसरी तरफ इसने पारिवारिक कलह, तनाव, प्रतियोगिता, अवसाद और अपराध जैसी चीजों को भी पूरी तरह बढ़ावा दिया है.
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मनोविश्लेषकों, सैनिक-अर्धसैनिक बलों, अस्पताल में मनोचिकित्सकों और स्कूल-कॉलेजों आदि में भी मनोवैज्ञानिकों व मनोपरीक्षकों की आवश्यकता होती है. देखा जाये तो साइकोन्यूरोसिस, साइकोसिस, न्यूरोटिसिज्म, शिजोफ्रेनिया, हिस्टीरिया, ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर जैसी परेशानियों के चलते क्लीनिकल मनोवैज्ञानिकों की जरूरत भी लगातार बढ़ती जा रही है. और यही वजह है कि इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की प्रबल संभावनाएं हैं. किसी भी व्यक्ति के मनोभावों को जानने-समझने और उसका विश्लेषण करने जैसे काम महिलाएं बखूबी कर लेती हैं इसलिए महिलाएं इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर सकती हैं. और जहां तक वेतनमान या आय की बात है, तो एक औसत मनोविज्ञानी २०-२५ हजार रुपए से लेकर ४०-५० हजार प्रति माह तक कमा लेता है. इसके अलावा उसकी प्रति माह आय उसके अनुभव और सम्बंधित कंपनी की हैसियत पर भी निर्भर करती है.
मनोविज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति मिलनसार, सहृदयवान, शान्त, धैर्यवान, सहज और सरल, होना चाहिए. इन्हीं गुणों के आधार पर वह अवसाद या तनाव से घिरे व्यक्तिों की दिक्कतों को समझ पाएगा और उसका उपचार कर पाएगा। इन सब गुणों के द्वारा ही कोई सफल मनोविश्लेषक बन सकता है. मनोवैज्ञानिक के पास विश्लेषणात्मक मनोवृति होनी भी आवश्यक होती है. ताकि सामने वाले व्यक्ति की बात समझ सके और अपनी बात उसे समझा सके. अगर ये सभी गुण आप में मौजूद हैं और आप इसी तरह का कोई कोर्स करने की सोच रही हैं, तो ये क्षेत्र आपके लिए बेहतर है.
अब बात आती है कि कोर्स करें तो कहां से ?
दिल्ली विश्वविध्यालय सहित देश के तमाम विश्वविध्याल्यों में इस विषय में बीए, एमए और एमिफल स्तर के कोर्स चलाए जाते हैं. इसके अलावा कई विश्वविध्याल्यों में इसके विशेष कोर्स भी कराए जाते हैं. और इसी तरह इन्दिरा गांधी राष्ट्री य मुक्त विश्वविध्यालय (IGNOU) जैसे कई विश्वविध्यालयों में शॉर्ट टर्म के लिए पत्राचार पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है. एनसीईआरटी में भी एक-डेढ़ वर्ष की अवधि वाले विशेष कोर्स चलाए जाते हैं।
कुछ संस्थान विशेष शिक्षा या मानसिक दुर्बलता, बाल मार्गदर्शन और परामर्श सेवा आदि में भी अल्पकालिक डिप्लोमा कोर्स चलाते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, बेंगलुरू स्थित निमहंस और रांची के केन्द्रीय मनोविज्ञान संस्थान द्वारा भी इस विषय में कोर्स चलाए जाते हैं. चूंकि यह क्षेत्र मन व भावनाओं जैसी नाजुक चीजों से जुड़ा है इसलिए इस क्षेत्र में महिलाओं की खास भूमिका हो सकती है.
(३).विदेशी भाषा सीखना भी है एक बेहतर कैरियर….
आधुनिकता के दौर में विदेशी भाषा सीखने का चलन आजकल जोरों पर हैं अगर इसको सीखकर भविष्य बनाने की सोचें तो एमएनसी कम्पनी से लेकर होटल, लैंग्वेज एक्सपर्ट, एम्बेसी, अनुवादक, आदि के रूप में कार्यरत होकर अपना भविष्य बना सकती हैं. विदेशी भाषा के बलबूते पर भी आप अपने कैरियर को अलग मोड़ दे सकती हैं.
१२वीं के बाद विदेशी भाषा का कोर्स कर आप अपने भविष्य को बुलन्दियों पर पहुंचा सकतीं हैं. क्योंकि आजकल इस कोर्स का चलन जोरों पर है. यूं तो दिल्ली में ऐसे कई संस्थान हैं जो ये भाषाएं सिखाते हैं पिछले 5 सालों से इस कोर्स की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है. इस कोर्स के लिए १२वीं होना अनिवार्य है. प्रवेश परीक्षा से लेकर किसी में कट ऑफ लिस्ट या फिर सीधे दाखिले का भी चयन है. कई महिलाओं का का मानना है कि अगर उनकी अंग्रेजी अच्छी है तभी वे इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं लेकिन ऐसा सोचना गलत है. अगर आप हिन्दी भाषा में निपुण हैं तो भी आप विदेशी भाषा को सहजता से सीख सकते हैं. बस आपकी किसी भी एक भाषा पर अच्छी पकड़ और बातचीत का अन्दाज बेहतरीन होना चाहिए.
यूं तो जापानी, अरैबिक, चाइनीज, स्पैनिश आदि विदेशी भाषायें हैं पर अधिक चलन फ्रेंच और जर्मन भाषा सीखने का है. विदेशी भाषा सीखकर आप कभी खाली नहीं बैठ सकते. क्योंकि इसमें भविष्य के लिहाज से अपार सम्भावनाएं हैं. अलग-अलग संस्थान के लिए अलग-अलग मापदंड हैं.
जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय(जे.एन.यू)…से आप जापानी, कोरियन, चाइनीज, जर्मन आदि भाषा सीख सकते हैं. यहाँ आप प्रवेश परीक्षा और इण्टरव्यू में पास होकर प्रवेश पा सकते हैं.
भारतीय विद्या भवन, कस्तूरबा गान्धी मार्ग…से आप फ्रेंच, स्पैनिश, जैपनीज, जर्मन, अरैबिक, चाइनीज आदि भाषा सीख सकते हैं. ४ सेमस्टर कोर्स को आप यहाँ से डिप्लोमा कर सकते हैं और २ सेमस्टर का कोर्स कर यहाँ से सिर्टिफकेट कोर्स कर सकते हैं.
एमिटी यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा…से आप बैचलर से लेकर मास्टर्स और फिर विदेशी भाषा में ही एमिफल भी कर सकते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय….
आप यहाँ से विदेशी भाषा में बीए की डिग्री ले सकते हैं. यहाँ पर दाखिला कट ऑफ लिस्ट से ही होता है. १ साल का सिर्टिफकेट कोर्स, २ साल का डिप्लोमा और ३ साल का एडवांस डिप्लोमा आप यहाँ से कर सकते हैं.
(४). नर्सरी टीचर बनने में है बेहतरीन कैरियर……
आमतौर पर लोगों को लगता है कि बच्चों को सम्भालना, उन्हें पढ़ाना सिखाना आसान काम होता है. विशेष तौर पर घर से नए-नए स्कूल जाने वाले बच्चों को अगर स्कूल में उनके घर जैसा प्यार और अपनापन न मिले तो वह पलभर भी वहां नहीं टिकेंगे. लेकिन ‘नर्सरी टीचर्स’ इस काम को बखूबी निभाती हैं. वो अपने प्यार से स्कूपल में बच्चोंा को मां की कमी महसूस नहीं होने देतीं. यदि आपमें मां की ममता और संयम का गुण है तो आप इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकती हैं. प्री-नर्सरी में जाने वाला कोई बच्चा चंचल और शरारत किये बिना नहीं रह पाता तो कोई शांत रहकर दूसरों की गतिविधियों को देखता है तो कुछ बच्चे बिना शरारत किये एक पल भी नहीं रह पाते हैं. और एक कक्षा में इतने अलग-अलग मूड वाले बच्चों को एक साथ लेकर चलना शिक्षक के लिए एक चुनौती भरा कार्य होता है. बच्चों के साथ खेलना, पढ़ना, उठना बैठना जितना आसान दिखता है, उतना आसान है नहीं. बच्चे की सृजनात्मकता को समझकर उन्हें उसी आकार में ढालना बहुत जरूरी है. बच्चों की दुनिया में जाकर ही उनके बीच जगह बनानी पड़ती है. कोई उनसे जबरदस्ती कुछ नहीं करवा सकता है. उनके साथ वहीं रिश्ता जोड़कर और वही प्यार देना पड़ता है जो कि उनको घर से मिलता है. छोटे बच्चों के लिए बहुत जरूरी हैं कि उन्हें आप जो भी बोलें बहुत स्पष्ट बोलें. स्पष्टता से कही गई बातें बच्चे अच्छे से समझते हैं सबसे बड़ी बात बच्चों के साथ धैर्य रखना बहुत जरूरी है.
यदि आपमें ये सभी गुण हैं तो उठाइए अपना बायोडाटा और कीजिए अपने पास के स्कूबल से एक नए कैरियर की शुरुआत. ज्योंा-ज्योंो आपमें आत्मआविश्वा स बढ़ता जाएगा आप दूसरे स्कूनलों में अच्छीो पेमेन्ट पर जा सकेंगी और व्यवस्था हुई तो परिवार वालों के सहयोग से एक प्ले -स्कूछल भी खोल सकेंगी……
(५). अच्छा लिखें और बेहतरीन कैरियर बनाएं…..
अगर आपको लगता है कि आपके लिखे गए लेख को लोग पसंद करते हैं तो इस क्षेत्र में भी आप अपना बेहतरीन भविष्य बना सकती हैं. क्योंकि यह एक क्रिएटिव फील्ड है. इसमें कल्पनाशीलता के अलावा लगातार काम करते रहने की काबिलियत भी होना जरूरी है.
इस क्षेत्र में कदम रखने के पहले आपको स्वआंकलन करना बेहद जरुरी हैं. सबसे पहले अपने लिखे को स्वयं बार–बार पढ़ें कि आपने जो लिखा है क्या वह ठीक है या अच्छा है. जब आप इस बात पर गौर करेंगे तो गलतियाँ उभर कर सामने आएँगी और आप उनमें सुधार कर सकेंगे.
अगर आपने अच्छा लिखा है तो पहले शुरुआत छोटी पत्रिकाओं से करें फिर अन्य पत्रिकाओं के लिए भी लिखें. और अखबारों या साहित्यिक पत्रिकाओं में भी आप अपने लेख आदि भेज सकते हैं. इसके पश्चात कहानी, निबंध आदि लिख कर उसकी किताब भी प्रकाशित करवा सकते हैं.
देखा जाये तो मनोरंजन के क्षेत्र में अच्छे लेखकों की काफी मांग है. ढेर सारे चैनल्स और उन पर लगातार चलते धारावाहिकों में लेखकों को अच्छे मौके मिल रहे हैं. इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भाषा पर अधिकार और पकड़ होने के साथ-साथ रचनात्मकता का होना बेहद जरूरी है. भाषा पर आपकी पकड़ जितनी अच्छी होगी और आपका शब्द भंडार जितना समृद्ध होगा, आप अपने लेखन में उतने ही नवीन प्रयोग करने में सक्षम होने के साथ-साथ अपने भाव और विचारों को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त कर पाएंगे.
आप चाहे किसी भी भाषा में लिखना जानते हो इंटरनेट आपके लिए सबसे बेहतरीन माध्यम है. ब्लॉग के अलावा आप अपने लेखन को फेसबुक के माध्यम से भी लोगों के बीच भेज सकते हैं और उनकी तत्काल प्रतिक्रियायें भी ले सकते हैं. इंटरनेट पर ही आपके लेखन को ऐसे लोग पढ़ सकते हैं जिन्हें इस प्रकार के लेखन की जरूरत हो. लेखन के फील्ड में आप शब्दों से खेलकर एक बेहतरीन भविष्य पा सकती हैं.
(६). डाइटीशियन है एक आकर्षक कैरियर विकल्प….
इस आधुनिक युग में हमारी जीवनशैली पूर्ण रूप से बदल गई है. आज हम फास्ट ट्रेक जीवनशैली जी रहे हैं, जिसमें सबकुछ फटाफट की आदत हो गई है. तेज भागती जिंदगी में हम स्वयं के खानपान की ओर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं फास्ट और जंक फूड खाने के कारण मोटापा जैसी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. इस बिगड़ती जीवन शैली में स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है और इस कार्य में एक डाइटीशियन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. क्योंकि खानपान जीवन का अभिन्न अंग होने के साथ-साथ बच्चों से लेकर सभी आयु वर्ग के लोगों की रुचि रहती है. अगर आप इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं. तो ये आपके लिए यह आकर्षक कैरियर साबित हो सकता है.
और अगर वर्तमान में मनोरंजन के क्षेत्र की ओर नजर डालें, तो कई ऐसे चैनल्स हैं, जो केवल खानपान पर आधारित हैं. इनमें तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं, जिनमें खाद्य पदार्थों का सेहत पर असर और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने चाहिए, जिससे सेहत अच्छी रहे आदि पर आधारित होते हैं.
एक परफैक्ट डाइटीशियन का काम संतुलित आहार देने की सलाह के साथ-साथ वर्तमान में विभिन्न कॉर्पोरेट कंपनियों के केंटीन से लेकर बीमा कंपनियों में अपने ग्राहकों को सही सलाह देने के लिए डाइटीशियंस का कार्य करता है और उसकी यहाँ आवश्यकता होती है. बड़े होटल्स हों या फिर टीवी चैनल्स, सभी क्षेत्रों में खानपान का मामला आया नहीं कि विशेषज्ञ की राय ली जाती है. इतना ही नहीं फिटनेस सेंटर्स से लेकर वृद्ध लोगों को किस प्रकार के खाने की जरूरत होती है, इसके लिए भी डाइटीशियन की आवश्यकता पड़ती है.
अगर आपको इस क्षेत्र में रुचि है. तो ये क्षेत्र इतना वृहद है कि अगर आपने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थों और इससे संबंधी ज्ञान प्राप्त कर लिया, तो बड़ी एयरलाइंस से लेकर बड़े होटल्स व रिसोर्ट में भी आप अच्छे वेतन पर नौकरी प्राप्त कर सकती हैं.
आप यहां से कोर्स करके अपने कैरियर की शुरुआत कर सकती हैं..
(१) लेडी इरविन कॉलेज, नई दिल्ली
(२) यूनिवर्सिटी ऑफ होम साइंस, नई दिल्ली
(३) माउंट कार्मेल कॉलेज, बेंगलुरु
(४) ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हाइजिन एंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता
देखा जाये तो महिलाओं को अपना कैरियर बनाने के लिए किसी भी क्षेत्र में कमी नहीं है बर्शते हौसले बुलंद होने चाहिए. अगर आपमें हौसला, हिम्मत, जज्बात और कुछ कर गुजरने का साहस है तो यूँ ही रास्ते आसान होते जाएंगे और हर मंजिल आपके कदम चूमेगी. और दिल कहेगा कि……..
अपने हौसलों को जब बुलंद किया मैंने !
तो अपने किरदार को जिया मैंने !!
और भी जीने की तमन्ना हुई !
जब कोई फैसला किया मैंने !!
चल पड़े एक नई मंजिल की तरफ !
जब अपनी उमंगों को पिरोया मैंने !!
सुनीता दोहरे…….
लखनऊ ..(उत्तर-प्रदेश)

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