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.कांग्रेस का समाजवादी प्रेम…..

sach ka aaina
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…….कांग्रेस का समाजवादी प्रेम…..
बॉक्स…… एक तो कांग्रेस व मुलायम के प्रेम सम्बन्ध पुराने होने के कारण दोनों ही एक दूसरे की अन्दर तक की बात भली-भांति जानते हैं कि किसे कब कितना कौन सा बटन दबाना है जिससे प्रेम की बगिया महक उठे….

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का ये प्रेम प्रसंग कोई आज का नहीं है बल्कि बहुत पुराना है. स्वर्गीय राजीव गांधी ने जब देश की बागडोर संभाली और उत्तर-प्रदेश की राजनीति को जातिवाद व बदले की राजनीति में तब्दील होते देखा तभी उनकी नजरें मुलायम सिंह के चार हुई और “अजब प्रेम की गजब कहानी” का उदय हुआ. मुलायम सिंह यादव उत्तर-प्रदेश की राजनीति में दवदबा भी स्वर्गीय राजीव गाँधी के प्रेम के चलते ही बना पाए हालांकि कांग्रेसियों व सपाई कार्यकर्ताओं में सदैव ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है. स्वर्गीय राजीव गाँधी के मुलायम समर्थन के मुद्दे पर भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने खूब छाती पीटी परन्तु पार्टी प्रमुख ने समाजवादी प्रेम के वशीभूत होकर अपने कार्यकर्ताओं की सारी दलीलें व् दुहाईयों को दरकिनार कर दिया.
लेकिन ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस का ये समाजवादी प्रेम एकतरफा हो. मुलायम सिंह ने भी अनेक आड़े वक्त में कांग्रेस के हांथ में हांथ देकर अपने प्रेम का सार्वजनिक रूप से एहसास भी कराया व हमेशा बफादार साथी होने का हक भी अदा किया और दोनों ही पार्टी आम मतदाताओं की आँखों में धूल झोंककर एक सफल सहभागी की जिन्दगी बसर कर रहे हैं. सपा व कांग्रेस ने हमेशा ही आम मतदाता को भ्रमित करने का काम किया है व एक दूसरे को खुद का धुरविरोधी बताने का स्वांग रचकर वोट हासिल करने का काम किया है. उत्तर-प्रदेश में जो मतदाता कभी कांग्रेस को सत्ता में बनाये रखने का काम करते थे जिन्हें कांग्रेस अपने उपभोग की बस्तु व बपौती समझती थी वही मतदाता सपा और बसपा की जातिवाद व बदले की भावना की राजनीति में उलझ कर इन दोनों (सपा,बसपा) के लिए सत्ता तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य कर रहा है. उत्तर-प्रदेश में विकास का मुद्दा गौड़ हो चुका है. जाति व बदले की राजनीति चरम पर है. इन दोनों ही दलों ने राज्य में बैमनुष्यता की ऐसी फसल बो दी है जिसकी फसल कई पीढ़ी व राज्य को बर्बाद कर देगी. राज्य में मतदाता विकास के हक के लिए नहीं बल्कि जाति, बदला व डर के कारण अपने मताधिकार का उपयोग कर रहा है. हमारी सरकार आने पर “सबक सिखा देंगे” राज्य का प्रमुख नारा बन चुका है और बदले की राजनीति मुख्य मुद्दा.
राज्य में कांग्रेस हाशिये पर है और अपने वजूद को बचाए रखने की जंग लड़ रही है और कांग्रेस की मजबूरी है कि वे किसी एक सपा या बसपा के साथ अपने प्रेम सम्बन्ध स्थापित रखे वरना देश को प्रधानमंत्री देने वाले राज्य से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में खाता खुलवाने के भी लाले पड़ जांएगे. कांग्रेस के सामने विकल्प के रूप में मायावती व मुलायम सिंह यादव हैं. मायावती बेहद महत्वकांक्षी व सफलता के मद में चूर महिला है सत्ता की सफलता ने माया को बेलगाम व बेबाक बना दिया है. किसी के रहमों करम पर रहना माया के लिए गुजरे जमाने की बात हैं. दलित समाज का सिर्फ हांथी को पहचानना माया को और भी अहंकारी बना देता है. माया ने हमेशा ही कांग्रेस विचारधारा को कोसने का काम किया है और कांग्रेस भी सोनिया मैडम के समक्ष किसी अन्य मैडम का खड़ा होना बर्दाश्त नहीं कर पाती है कारण चाहें डर हो या मैडम की चापलूसी ये तो कांग्रेस ही बेहतर जाने. ऐसे में कांग्रेस के सामने एकमात्र विकल्प के रूप में केवल और केवल मुलायम सिंह ही शेष रह जाते हैं और फिर एक तो कांग्रेस व मुलायम के प्रेम सम्बन्ध पुराने होने के कारण दोनों ही एक दूसरे की अन्दर तक की बात भली-भांति जानते हैं कि किसे कब कितना कौन सा बटन दबाना है जिससे प्रेम की बगिया महक उठे. दूसरा भले ही राज्य में माया बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही है लेकिन मुलायम का कद आज राज्य की सीमायें लांघ कर राष्ट्रीय-स्तर तक पहुँच बना चुका है. राष्ट्रीय राजनीति की चर्चा मुलायम सिंह के नाम को सम्मलित किये बगैर अधूरी होती है. सपा की प्रबंधकीय समिति बेहद अक्रामक व दबंग होने के कारण पार्टी की जीवन रेखा व भाग्य रेखा चलाने वाले कार्यकर्ताओं को हमेशा सक्रीय व निर्भीक बनाये रखती है जो पार्टी को चुनावी रण में सफलता दिलाने में अहम् भूमिका का निर्वाह करती है और अपने विरोधियों को भी डराने के काम बखूबी अंजाम देते हैं.
मुलायम सिंह की पुत्र वधू व राज्य के मुख्यमंत्री की धर्म पत्नी डिम्पल सिंह ने जब कन्नौज लोकसभा सीट पर पर्चा भरा तो कांग्रेस की बांछे खिल उठी की चलो लोकसभा में हमारे जन विरोधी फैसलों पर ताली बजाने के लिए एक और सदस्य अ रहा है वो भी हमारे प्रेमी परिवार से. और कांग्रेस ने भी लोकतंत्र के ऊपर तमाचा मारते हुए बहू के विरोध में समाजवादी प्रेम के चलते अपना प्रत्याशी न उतार कर बेहद शर्मनाक पूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया. कांग्रेस ने अपने समाजवादी प्रेम के चलते ही सीबीआई को बहू से दूर रहने की हिदायत दी और सीबीआई ने भी आदेश का पूरी तरह पालन करते हुए आय से अधिक संपत्ति के मामले में बहू को क्लीन चिट देकर कांग्रेस के समाजवादी प्रेम की लाज रखी.
हम सभी जानते हैं कि प्रेम अँधा होता है कांग्रेस भी समाजवादी पार्टी से अंधा प्रेम करती है यही कारण है कि केंद्र की सत्ता पर कांग्रेस काबिज हो और प्रेमी परिवार की बहू कचहरी के चक्कर लगाये ये तो फिर कांग्रेस के लिए बड़ी ही दुखद पूर्ण स्थिति होगी. आखिर कांग्रेस को स्वर्गीय राजीव गाँधी के समाजवादी प्रेम को भी बचाकर रखना है और २०१४ का चुनाव भी सर पर है तो भला किस मुंह से मुलायम से समर्थन मांगेंगे और किस के दम पर केंद्र की सत्ता पर काबिज होंगे. समय-समय पर कांग्रेस का समाजवादी प्रेम उजागर होता रहता है जहाँ एक ओर भाजपा शासित राज्य वित्तीय सहायता की एक-एक कौड़ी के लिए केन्द्रीय सरकार के आगे हांथ फैलाए खड़े रहते हैं वहीँ दूसरी तरफ मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बेटे पर केन्द्रीय सरकार की दरियादिली किसी से छुपी नहीं है. इसका जीवांत उदाहरण अभी देखने को मिला जब केन्द्रीय सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री के मात्र एक पत्र पर ५००० किलो मीटर की लम्बाई की सड़क के विस्तार हेतु मांगी गई वित्तीय मदद पर सैद्दांतिक सहमति प्रदान की गई. इस पूरे घटना क्रम में सबसे दिलचस्प ये रहा कि मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय सरकार को जो वित्तीय मदद की मांग का पत्र लिखा था उसमें ये भी लिखा था कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उत्तर-प्रदेश की पिछली बसपा सरकार को उक्त मदद नहीं दी थी और केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री की बात पर एतराज दर्ज कराने की अपेक्षा वित्तीय मदद पर सहमति जता कर बसपा से अपने सौतेले पन व सपा से अपने समाजवादी प्रेम को एक बार फिर उजागर कर दिया है.
सुनीता दोहरे …
लखनऊ ….

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