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अन्ना बीमार हैं या बेबस ,साथ हैं हौसलों से उड़ान भरने वाली साहसी किरण बेदी

sach ka aaina
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Heading…. अन्ना बीमार हैं या बेबस ….
Sub heading……. हौसलों से उड़ान भरने वाली साहसी किरण बेदी….
Box……अन्ना और उनकी टीम ने जिस तरह के लोकपाल की परिकल्पना की थी, उसके तहत राजनीतिक भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती थी………..
पिछले दिनों कुछ अखबारों के अंदर के प्रष्ठों पर अन्ना के हॉस्पिटल में भर्ती होने का समाचार देखकर में हैरान रह गई और मन में एक सवाल कौंधा कि क्या ये वही अन्ना हैं जो अभी कुछ माह पूर्व अनशन से शरीर में आई कमजोरी के इलाज के लिए दिल्ली के एक जाने-माने और बेहद मंहगे सेवन स्टार स्तर के हॉस्पिटल में भर्ती हुये थे और इलाज के उपरान्त जब अन्ना को रालेगण सिद्धी लौटना था तो रातों-रात एक गुप्त दरवाजे से इस कारण से अन्ना को निकलना पड़ा क्योंकि मुख्य द्वार पर अन्ना के हजारों समर्थक अपने महान नायक के एक दर्शन और स्वास्थ्य का हाल जानने को बेबस व भयभीत खड़े थे कि अब क्या होगा ? लोग अपने इष्ट से मन ही मन लगातार अन्ना के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होने की कामना की गुहार कर रहे थे. वहीँ दूसरी तरफ प्रेस व मीडिया के सैकड़ों कर्मचारी भविष्य में अन्ना की रणनीति पर एक प्रतिक्रिया जानने और अन्ना के स्वस्थ होने का समाचार सबसे पहले देश तक पँहुचाने को बेताब खड़े थे. लेकिन समय अभाव और जनता के प्रेम के चलते होने वाली देरी से बचने के लिए अन्ना ने पीछे का दरवाजा पकड़ा और निकल गये अपने चाहने और दीदार करने वालों की पंहुँच से दूर.
परन्तु आज जब अखबार के अंदर के प्रष्ठों पर अन्ना के अस्पताल में भर्ती होने का समाचार देखा तो मेरा चौकना तो बनता ही था क्योंकि वही अन्ना हैं ,वही दिल्ली है और वही हॉस्पिटल है परन्तु न तो आज अन्ना की लाठी केजरीवाल साथ में हैं ,न हजारों समर्थक और न ही मीडिया के कैमरों के फ्लैश की चमकती लाइटें. लगता है जैसे सब कुछ बदल गया है केजरीवाल जननायक से राजनायक बन चुके हैं और अन्ना योद्धा से बीमार बन गये.
लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या अन्ना वास्तव में बीमार हैं या बेबस हैं.
अगर पिछले दिनों के अन्ना के बयानों पर नजर डाली जाए तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि अन्ना अरविन्द से न सिर्फ नाराज है बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वी के रूप में भी देखने लगे हैं. अन्ना शायद देश की 125 करोड़ जनता को इस बात का सटीक जवाब देने में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं कि राजनीति की रणभूमि पर वह केजरीवाल को दधीचि के अस्त्र प्रदान करेंगे या नहीं या अन्ना दोराहे पर खड़े हैं या फिर शायद आम जनता का रुख देख रहे हैं और आम जनता केजरीवाल के साथ तो मैं भी केजरीवाल के साथ के फार्मूले पर चल रहे हैं और लगता है कि आने वाले समय में एक दूसरे की उपयोगिता और आवश्यकता को द्रष्टि में रखते हुये इन दोनों के बीच कोई गुप्त समझौता भी संभव है अन्ना का केजरीवाल को समर्थन देने की बात पर ये कहना कि अभी कुछ कहूँगा तो हंगामा बरप जायेगा उसी गोपनीय समझौते के मिशन का कहीं एक हिस्सा तो नहीं है. अन्ना बड़ी शान से कहते हैं कि मैंने महाराष्ट्र सरकार के कई भ्रष्ट मंत्रियों को घर का रास्ता दिखाया है तो फिर केजरीवाल को लालची , सत्ता का भूखा और बेईमान कहने के उपरान्त भी क्यों अभी तक अरविन्द केजरीवाल के विरुद्द कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया ? या फिर कोई बड़ा आन्दोलन क्यों नहीं चलाया ? इन हालातों को देखते हुये तो ऐसे लगता है कि अन्ना और अरविन्द दोनों ही एक ही थैली …………..
जनता को आपसे ये उम्मीद नहीं थी. अन्ना जी आपके हाँथों में इतना महत्वपूर्ण कार्य था जिसकी आपने गरिमा को न समझते हुये अपने हाँथ खींच लिए और उसके एवज में आपकी ही पार्टी में आपसे ही नए गुर सीखने वाले अपनी अलग चौपड़ बिछाकर नए-नए तरीके से पासा फैंकने लगे.

अन्ना ने आज देश के सामने अपने बीमार होने से ज्यादा अपने बेबस होने के प्रमाण प्रस्तुत किये हैं. ! आखिर क्यों ???
अन्ना जी आपको सन्देश देना चाहूंगी कि ……
“बड़ी बोझिल सी तन्हा सी लग रही है चुप साध आपकी
कहीं बिखर न जाये , किरण बेदी की पाक-ए-कुर्बानी
जर्रा-जर्रा पुकारता तुम्हें , जरा जाग के तो देखिये
जो हुये हैं दूर आपसे , उनसे शिकायत तो कीजिये
शिकायत के बहाने ही सही , अपने लव तो खोलिए ”

अरविन्द केजरीवाल और  किरण बेदी में ३६ का आंकड़ा

विगत दिनों की बात की जाये तो अन्ना के दो अहम सिपहसलारों अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी में मतभेद खुलकर सामने आये थे अरविंद केजरीवाल का मानना था कि भ्रष्टाचार के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां बराबर की जिम्मेदार हैं, कोयला ब्लॉक आवंटन में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने मिलकर फायदा उठाया और अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने और सिस्टम का हिस्सा बनने के बाद ही सिस्टम को सुधारा जा सकता है !
वहीँ दूसरी तरफ किरण बेदी जी का कहना था कि हमें अपना फोकस सिर्फ सत्ताधारी दल पर रखना चाहिए ! हमें सिर्फ कांग्रेस का विरोध करना चाहिए ! सबसे बड़े राजनीतिक दल यानी बीजेपी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए ! और इन सबके साथ ही साथ 26 अगस्त को जब केजरीवाल और उनके साथियों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष नितिन गड़करी के घरों का भी घेराव किया था तब किरण बेदी इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनीं थी उनका साफतौर पर ये कहना था कि नितिन गड़करी के घर के घेराव करने के फैसले के वो खिलाफ हैं ! किरण बेदी का विरोध करने वाले यहां तक मानते थे और मानते हैं कि किरण बेदी 2013 में होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हो सकती हैं ! लेकिन अन्ना की टीम में शामिल अन्ना की अहम सहयोगी किरण बेदी केजरीवाल से मतभेद के बाद कई बार सार्वजनिक तौर पर साफ़-साफ़ शब्दों में ये कह चुकी हैं कि वो चुनावी राजनीति का हिस्सा नहीं बनेंगी और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने का कोई सवाल नहीं उठता.

हौंसले का अद्भुत परिचय देती हैं किरण बेदी …

लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आम जनता के मन में ये सवाल उठा है कि आखिर वो चाहती क्या हैं ? काफी सोचने पर एक जवाब मुखर कर सामने आता है कि देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी, जो देश की राजधानी दिल्ली की पहली महिला पुलिस कमिश्नर बनते-बनते रह गई थी, क्या वो देश की पहली लोकपाल नहीं बन सकतीं हैं !
यहाँ पर जनता को मैं अपने विचारों से अवगत कराना चाहूंगी कि वो इस देश में चहुमुंखी विकास कर एक नई क्रांति ला सकती हैं. क्योंकि उनमें क़ाबलियत है उनके होंसलों में उड़ान है वो देश को एक सुखद और सुनहरा भविष्य दे सकतीं हैं. क्योंकि वो निष्पक्ष कार्यप्रणाली को अपनाती है. किरण बेदी कहती हैं कि सोशल मीडिया एक नया माध्यम है, जिसके जरिए हम अपने विचार लोगों तक पहुंचा सकते हैं. यह पेपरलेस है. इस नए सिस्टम के लिए पॉलिसी बननी चाहिए, लोगों को जागरुक किया जाना चाहिए. इसकी बहुत जरूरत है. अगर भ्रष्टाचार मिटाना है तो उसकी जड़ तक जाना जरूरी है. उनके विचार जीतने निर्मल हैं उतने ही बफादार भी.
देश की पहली महिला आईपीएस से लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता अधिकारी होने तक किरण बेदी ने एक लंबा और साफ़-सुथरा सफर तय किया है. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के साथ हाथ मिलाया. समाज में बदलाव  के लिए प्रतिबद्ध किरण बेदी ने वास्तविक आपसी विवादों पर बने रियलिटी टीवी शो “आप की कचहरी” में एंकर की भूमिका भी अदा की. यही नहीं तिहाड़ जेल में कैदियों की हालत में सुधार लाने के लिए भी उन्होंने कई सकारात्मक परिवर्तन किए. किरण बेदी को सरकारी सेवा के लिए के 1994 में रमन मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. किरण बेदी की जितनी भी तारीफ की जाये उतनी ही कम है. इस भारत देश में ऐसी महान नारी का होना अपने आप में एक गर्व की बात है …………………

आपको व आपके महान कार्यों को मेरा सलाम …..

“तेरी ख़ामोशियों में तैरती हैं तेरी मासूम आवाज़ें
तेरे सीने में रंग देश भक्ति का,खिलते मैंने देखा है
जाएगा बदल सब कुछ, सुनहरी धूप चटखेगी
रख हौंसला तेरी आँखों में भारत को,चमकते मैंने देखा है
तुझे मालूम है जनता की दुआएँ साथ तेरे हैं
कठिन सफ़र की मुश्क़िलों को, हाथ मलते सबने देखा है”
सुनीता दोहरे ….लखनऊ …

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