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शिवसेना चीफ बाल ठाकरे का शाही जलवा

sach ka aaina
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शिवसेना चीफ बाल ठाकरे का शाही जलवा :–
हिन्दुत्व की बकालत करने वाले बाला साहेब ठाकरे के जीवन पर नजर डालें तो बाला साहेब ठाकरे ने बतौर आजीविका अपना जीवन बम्बई के प्रसिद्ध समाचारपत्र फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के रूप में प्रारम्भ किया ! कार्टूनिस्ट के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले बाला साहेब ठाकरे हिंदू गुरुओं की तरह गले में रूद्राक्ष की माला धारण करते थे और बाद में उन्होंने दाढ़ी भी बढ़ा ली थी.कुछ समय बाद उन्होंने फ्री प्रेस जर्नल की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और 1960 में अपने भाई के साथ एक कार्टून साप्ताहिक मार्मिक की शुरुआत की ! महाराष्ट्र में मराठी भाषी लोगों को संगठित करने के लिये संयुक्त मराठी चालवाला (आन्दोलन) में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ-साथ बम्बई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने में 1950 के दशक में काफी काम किया !
उनका जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में श्री केशव सीताराम ठाकरे के यहाँ हुआ था । बालासाहेब का विवाह मीना ठाकरे से संपन्न हुआ था । उनसे उनके तीन बेटे हुए – बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे ।
बाला साहेब ठाकरे एक लेखक व प्रगतिशील सामाजिक कार्यकर्ता थे जो जातिप्रथा के धुर विरोधी थे I उन्होनें मराठी मानुष के हितों के लिए महाराष्ट्र में 19 जून 1966 को शिवसेना नामक एक कट्टर हिन्दूराष्ट्र वादी संगठन (राजनैतिक दल) की स्थापना की थी ! समय बदला 1989 के दौर में मुख्य पत्र सामना की शुरुआत की गई ! और अपनी मेहनत के चलते उन्होंने शिव सेना को सत्ता की सीढ़ियों पर पहुँचा ही दिया !
सन 1995 में बाल ठाकरे की पत्नी को दिल का दौरा पड़ा जिससे उनका निधन हो गया ! उनकी पत्नी कार्यकर्ताओं के बीच में मीनाताई और माँ साहेब के नाम से लोकप्रिय थीं ! सन 1996 में बाल ठाकरे के ज्येष्ट पुत्र बिन्दुमाधव का निधन हो गया !
अपनी मेहनत और सच्चाई के बलबूते देखते- देखते बाला साहेब ठाकरे शौहरत की सीढ़ियों को चूमने लगे ! 1995 में भाजपा-शिवसेना के गठबन्धन ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई ! जबकि 2005 में उनके बेटे उद्धव ठाकरे को अतिरिक्त महत्व दिये जाने से नाराज होकर उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने के पश्चात 2006 में अपनी नई पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ बना ली !
बाल ठाकरे अपने सत्यता से पूर्ण , उत्तेजित और झकझोर देने वाले बयानों के लिये जाने जाते थे और इसके कारण उनके खिलाफ सैकड़ों की संख्या में मुकदमे भी दर्ज किये गये थे ! उन दिनों दाउद के कारण पूरे बॉलीवुड का काम बन्द हो रहा था इसकी गुहार लेकर बॉलीवुड की कई प्रमुख हस्तियाँ बाला साहेब ठाकरे के निवास `मातुश्री` मिलने गयीं थीं जिसमें सलीम खान परिवार भी शामिल था । बाला साहेब ठाकरे ने बॉलीवुड के कई लोगो को दाउद इब्राहिम के आतंक से बचाया था। क्योंकि दाउद इब्राहिम को पुलिस का कोई खौफ नहीं था लेकिन बाल ठाकरे का खौफ था।
इसी तरह जब आतंकवादियों ने कश्मीरी पण्डितों की बेरहमी से न्रशंस हत्या कर दी थी उस समय सारा देश चुप साध कर बैठा था तब बाला साहब ही थे जो उनकी मदद के लिये खुलकर सामने आये। सुनते हैं कि बाला साहेब ठाकरे ने लाखों कश्मीरी पण्डितों की शिक्षा का खर्च भी उठाया था।
1999 में बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि हम सभी मुस्लिमों के विरोधी नहीं हैं ! हम सिर्फ पाकिस्तान परस्त , जिहादी और देशद्रोही मुस्लिमों के ही विरोधी हैं ! सुना है कि 1993 के दंगों में जब मुसलमानों ने मुंबई के सभी हिन्दुओं को मारने की कसम खाई थी ! तब बाला साहेब ने कई दबंग और गुण्डे मुसलमानों को सजा के तौर पर मौत के घाट उतरवा दिया था इस वजह से पूरे देश का मुस्लिम समुदाय उनका विरोधी हो गया !
बाला साहेब ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं को शाहरुख खान की कारगुजारियां पसन्द नहीं आती थी क्योंकि शाहरुख खान ने दुबई में एक स्टेज शो करके पकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को धन मुहैय्या करवाया था ! देखा जाये तो शाहरुख खान अभी भी अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों के राडार पर है !
इसी तरह का एक मामला और बाला साहेब ठाकरे के समक्ष आया जो कि सिनेमा जगत की महान हस्ती से जुड़ा हुआ था अमिताभ बच्चन को नेहरू-गान्धी परिवार ने बोफोर्स घोटाले में फँसा दिया था ! जिससे हताश होकर अमिताभ बच्चन जी बाल ठाकरे जी से मदद मांगने गये थे तब बाल ठाकरे जी ने अमिताभ से पूछा – ” क्या आप दोषी हैं ?” बच्चन ने उत्तर दिया – “नहीं।” तब बाला साहेब ने उनसे कहा था –कि “आप एक अभिनेता हैं जाइये अपना काम कीजिये ! आपको कुछ नहीं होगा।” और अपने वादे पर खरे उतरते हुये उन्होंने अमिताभ बच्चन को जेल जाने से बचाया था इसलिये अमिताभ बच्चन बाला साहेब की तबियत बिगड़ने पर सबसे पहले मातुश्री उन्हें देखने गये !
दाउद इब्राहिम और छोटा शकील के दौर में पुलिस अधिकारी तक मदद के लिये बाला साहेब के पास ही जाते थे ! अपने दबंग प्रभाव के चलते बाला साहेब ने दाउद और छोटा शकील को भारत से पाकिस्तान भागने पर मजबूर कर दिया था और किसी में यह दम भी नहीं था !
पार्टी मुखपत्र सामना में प्रथम पृष्ठ पर जारी एक अपील में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की उनके बयान के लिए जमकर खिंचाई की थी. शिंदे ने कहा था कि अतीत को भूल जाइए और पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलिए. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस ब्यान से नाराज बाला साहेब ठाकरे ने अभी कुछ ही दिनों पूर्व पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित क्रिकेट मैच हरगिज न होने दिया जाए ! बाल साहेब ठाकरे अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर थे !
14 फरवरी 2006 को वैलेंटाइन डे पर शिवसैनिकों ने नाला सोपारा में एक महिला पर हाथ उठाया था जिस बात को लेकर बाल ठाकरे ने इसकी खुलकर भर्त्सना की और शिवसैनिकों की ओर से खुद माफ़ी माँगी थी ! इतना ही नहीं उन्होंने मुख्य पत्र सामना में लिखा था कि – “मैंने शिवसैनिकों को कहा है कि किसी भी स्थिति में महिलाओं को हानि नहीं होनी चाहिये ! माहिलाओं को मारना कायरता का प्रतीक है !”
जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे ठाकरे ने अपनी खास शैली की राजनीति से कभी संकोच नहीं किया ! वे अपने मृत्यु के चार दिन पहले तक अपने राष्ट्र के स्वाभिमान के लिये गरजते रहे ! बाला साहेब ठाकरे को उनके निरन्तर खराब हो रहे स्वास्थ्य के चलते साँस लेने में कठिनाई के कारण 25 जुलाई 2012 को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया था ! 14 नवम्बर 2012 को जारी बुलेटिन के अनुसार जब उन्होंने खाना पीना भी त्याग दिया तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिलाकर उनके निवास पर ले आया गया था और घर पर ही सारी चिकित्सकीय सुविधायें जुटाकर डाक्टरों की देखरेख में केवल प्राणवायु (ऑक्सीजन) के सहारे जिन्दा रखने का प्रयास किया गया था ! उनके चिन्ताजनक स्वास्थ्य की खबर मिलते ही उनके समर्थकों व प्रियजनों ने उनके मातुश्री आवास पर पहुँचना प्रारम्भ कर दिया था तमाम प्रयासों, दवाओं व दुआओं के वावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका था और अखिरकार उनकी आत्मा ने 17 नवम्बर 2012 शनिवार दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर बांद्रा स्थित अपने घर ‘मातोश्री’ में अंतिम सांस ली थी ! चिकित्सकों के अनुसार उनकी मृत्यु हृदय-गति के बन्द हो जाने से हुई थी ! ठाकरे की निधन की खबर मिलते ही शिव सैनिकों में शोक की लहर दौड़ गई थी जिसने सुना सन्न रह गया था कई शिव सैनिक मातोश्री के बाहर फूट-फूटकर रोते देखे गए थे ! शिव सैनिक बड़ी तादाद में मातोश्री के बाहर जमा हो गये थे ! बाल साहेब ठाकरे की शव यात्रा में एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू ह्रदय सम्राट बाला साहेब की अंतिम यात्रा में हुजूम 26 लाख से ऊपर लोग सम्मिलिति हुए थे जिनमें नेता, अभिनेता, व्यवसायी वर्ग के अलावा हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई – सभी समुदायों के लोग बहुतायत मात्रा में थे ! विशाल जन शैलाब उमड़ा था अंतिम यात्रा में सम्मिलित होने के लिए चाहे बिहारी चाहे मराठी पूरे देश के नेताओ की मिला के शव यात्रा में इतनी भीड़ नहीं थी जितनी कि बाला साहेब ठाकरे की अंतिम यात्रा में थी ! अंतिम संस्कार में बाला साहब ठाकरे का जलवा और उनके प्रशंसको का जमावड़ा .देखते ही बनता था इतना शांत हुजूम ना कभी देखा होगा ना सुना होगा ! ये रिश्वत देकर बुलाई गयी भीड़ नहीं थी ये सब प्रेम-भाव से आये थे ! अपने शहंशाह को अंतिम विदाई देने ! सबके ह्रदय की चीत्कार दिल में एक कसक जगा रही थी कौन नहीं नम आंखे किये हुये था ! महाराष्ट्र , मुंबई ही नहीं उत्तर भारत , बिहार सम्पूर्ण भारत बाला साहब ठाकरे की अचल विरह वेदना से ग़मगीन होकर इस तरह से आहत था कि जैसे…. पवन, अनल, जल, प्रकृति , नभ, थल सब करुना क्रन्दन में गमगीन प्रतीत हो रहे थे ये धरा , आकाश और प्रकृति भी मूक दर्शक बनी हुई थी ! ……
जैसे सारी कायनात कह रही हो कि शेर चिर निंद्रा में आज सो गया ! महामानव के महा युग का अंत हो गया ! पर दूसरी तरफ बाला साहेब ठाकरे का मुखमण्डल इतना शांत और सौम्य था कि जैसे कह रहे हो कि……लाख तूफानों का दौर आये, रौशनी छुप नहीं सकती !
मैं वापस आऊंगा एक दिन ,सुबह के सूरज की तरह !!

बाला साहेब की अब तक की सबसे एतिहासिक अंतिम यात्रा थी …….
शिवाजी मैदान पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गयी थी !
इस अवसर पर नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, लालकृष्ण आडवानी, अरुण जेटली , प्रफुल्ल पटेल , मेनका गांधी और शरद पवार के अतिरिक्त अनिल अंबानी , अमिताभ बच्चन भी मौजूद थे !
भारत के प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन सिंह ने उनकी मृत्यु पर भेजे शोक-सन्देश में कहा – “महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहेब ठाकरे का योगदान अतुलनीय था ! उसे भुलाया नहीं जा सकता।” लोक सभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट किया था ! …….सुनीता दोहरे …लखनऊ …

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