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हमें बना के आम और आप बन गये खास :-

sach ka aaina
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हमें बना के आम और आप बन गये खास :–

अरविन्द केजरीवाल ने 26-11-2012 को औपचारिक तौर पर अपनी आम आदमी की पार्टी की शुरुआत करते हुये कहा था कि 65 साल पहले मिली आजादी के बाद भी आज आम आदमी अपने हक को पाने के लिए जूझ रहा है इसलिए इस आम आदमी पार्टी के जरिये नेताओं ,नौकरशाहों के साथ आम आदमी की सीधी लड़ाई होगी ! ये पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम चलाते हुये ! चुनाव जीतने ,सत्ता हथियाने और किसी अन्य दल के साथ गठबंधन जैसे कार्यों को नहीं करेगी ! देश भर से आये ३०० प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद उन्होने ये भी कहा था कि उनकी पार्टी चुनाव लड़ने के लिए नहीं बल्कि राजनीति बदलने के लिए बनी है ३० सदस्यों की राष्ट्रीय समिति बनाई गई है ! जब तक राजनीति नहीं बदलेगी तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिलेगी ! आज देश के ये हालात हैं कि आम आदमी को न्याय या तो भीख में या पैसा खर्च करने पर मिलता है !
इसलिए सरकार के कामकाज और क़ानून बनाने की प्रक्रिया में आम आदमी का अधिकार होना चाहिए !
अरविन्द केजरीवाल ने भारतीय राजस्व व्यवस्था में रहते हुए देखा कि किस तरह से व्यवस्था की खामियों का लाभ उठाते हुए सरकारी नौकरशाह ,राजनेता और दलाल आम-आदमी को लूटने में लगे हुए हैं ! व्यथित होकर अंत में उन्होंने सरकारी सेवा को लात मार दी ! देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल ने व्यवस्था में खामियों के विरुद्ध जब से बिगुल बजाया है तब से वे विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के सीधे निशाने पर हैं ! देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए , जनलोकपाल को मुखर करने के लिए हर कोई सरकारी सेवा में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित ही नहीं आतंकित भी है ! अतः इन्होनें अन्ना हजारे के साथ मिलकर दिल्ली के जंतर-मंतर और रामलीला मैदान पर आंदोलन किया जिसे देश ही नहीं विदेशों में भी व्यापक तौर पर समर्थन मिला !
जब हमारी “ईएनआई न्यूज़” के एक राजनैतिक पत्रकार ने अरविंद केजरीवाल से कुछ सवाल किये ! तो सवालों के जवाब में हमें अरविन्द केजरीवाल ने अपने पुराने चिरपरिचित अंदाज में मुस्कराते हुये सहज भाव से जवाब दिए !
(१)-पत्रकार :–आपने राजनीति में आने का निर्णय क्यों लिया ?

अरविन्द केजरीवाल :— बड़े ही शांत और सरल शब्दों में उन्होनें कहा कि समय-समय पर लोगों ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध में आंदोलन किया ! लेकिन कोई भी आंदोलन ज्यादा दिन तक नहीं चल सका ! इन हालातों को देखते हुये एक तरह से यह जोखिम भरा काम था, लेकिन चाटुकार राजनीतिज्ञों पर कब तक भरोसा किया जा सकता था ! अगर आपको गंदगी साफ करनी है तो गंदगी में उतरना ही होगा, दूर से आप सिर्फ नजारा देख सकते हैं !
(२)-पत्रकार :– पिछले 65 सालों से देश आजाद है क्या आपकी “आम आदमी पार्टी ”आम आदमी को भ्रष्टाचार से मुक्त करवा पायेगी ?

अरविन्द केजरीवाल :— अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद लगा था कि देश के आम-आदमी की अपनी सरकार होगी लेकिन पिछले 65 सालों में आम-आदमी हर स्तर पर छला ही गया ! आज भी जीवन के लिए जरूरी मूलभूत सुविधायें आम-आदमी की पहुंच से बाहर है ! इसके खिलाफ स्थानीय जनता में आक्रोश फूटना शुरू हुआ और आज यह लावा के रूप में उभर की बाहर आया जिसे संभालना मुश्किल हो गया है ! अभी तक सत्ता की बागडोर देश के कुछ चुनिन्दा व्यक्तियों व परिवार के हाँथों में होने के कारण आम आदमी की पहुँच से दूर थी जिससे सत्ता का जमकर दुरूपयोग हुआ है ! तथा आम आदमी हर मुकाम पर शोषण का शिकार हुआ है “आम आदमी पार्टी ” आम आदमी की पार्टी होने के कारण निश्चित ही आम आदमी के अंदर विश्वास की भावना पैदा कर उसको राष्ट्र भक्त बनाने का काम करेगी तो यकीनन भ्रष्टाचार का पौधा जड़ से सूख जायेगा !
बहरहाल जो भी हो जब एक साथ उन्होंने भाजपा तथा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया था तो दोनों ही पार्टियां आगबबूला हो गई थी ! कारण कि भाजपा के समर्थक यह मानकर चल रहे थे कि अरविंद केजरीवाल के बदौलत इस बार सत्ता उनके हाथ में है लेकिन जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के मुखिया नितिन गडकरी को निशाना बनाकर भाजपा पर वार किया तथा दोनों ही पार्टियों को एक ही सिक्के के दो पहलू कहा तो भाजपा आपे से बाहर हो गई ! तो अरविंद केजरीवाल को विपक्षी पार्टियों का दलाल कहने लगीं !
पिछले दिनों, कानून मंत्री रहे सलमान खुर्शीद की पत्नी के ट्रस्ट द्वारा विकलांगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 71 लाख की रकम को बिना कैंप लगाए हड़प लिए जाने का मामला प्रकाश में लाए जाने के बाद तो जैसे राजनीति में भूचाल सा आ गया ! खुर्शीद ने अरविंद केजरीवाल को लगभग धमकी भरे अंदाज में कहा कि वे फर्रूखाबाद जायें तो जरूर, लेकिन लौट कर भी आयें ! इस बीच, केजरीवाल फर्रूखाबाद जाकर एक सफल रैली भी कर आए और दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने आरोपों की गंभीरता को जांच कराने और खुर्शीद को मंत्रिमंडल से हटाने के बजाए पहले के दागियों को ना सिर्फ मंत्रिमंडल में शामिल किया बल्कि खुर्शीद को और भी बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कानून मंत्री से विदेश मंत्री बना दिया ! इससे केंद्र सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति नीयत स्पष्ट तौर पर झलकती है !
खैर, हम बात कर रहे थे, अरविंद केजरीवाल के राजनीति में कूदने की तो केजरीवाल को कई मुद्दों पर अपनी बात स्पष्ट करते हुये उन्हें पारदर्शिता बरतनी होगी ! कश्मीर से लेकर अन्य मुद्दों पर जनता के सामने उन्हें अपनी पार्टी के विचारों को रखना होगा !
कुछ लोगों के कथनानुसार, अगर वे किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी पर आरोप लगाते हैं तो ऐसा करना उनकी राजनीति के लिए घातक सिद्ध होगा ! जैसा कि राजनैतिक जानकारों का मत है कि वे नवीन जिंदल और शरद पवार के भ्रष्टाचार पर अगर चुप्पी साध गए तो यह उनके लिए आत्मघाति कदम होगा और फिर वे राजनीति की अंधी गली में गुम हो जायेंगे ! केजरीवाल को अपने पार्टी फंड में मिलने वाले दान राशियों का हिसाब-किताब भी साफ और पारदर्शी रखना होगा ! अभी तो शुरुआत है , देखते हैं केजरीवाल इस देश की भ्रष्ट हो चुकी राजनीति को कितना बदल पाते हैं या वे भी अन्य राजनेताओं की तरह इस दलदल में फँस जाते हैं ! अगर बात आम जनता के विश्वास की हो तो पिछला अनुभव कॉफी कडुवा है आज के हालात में आम जनता का विश्वास जीतना और भी मुश्किल हो चुका है क्योंकि केजरीवाल भी “आम आदमी पार्टी”के संयोजक बनकर आखिर भारतीय राजनेताओं की जमात में शामिल हो ही गये हैं ! अगर केजरीवाल जी की कार्य शैली पर नजर डाली जाये तो मौजूदा राजनेताओं की नीति से अलग हटकर के केजरीवाल में कुछ भी नहीं है वही उच्च पद की लालसा और लोकतंत्र को अपने ताकतवर मत से मजबूत करने वाले मतदाताओं को शक्तिहीन ,बेबस और लाचार सिद्ध कर आम आदमी के नाम पर गुमराह करने की साजिश.
वैसे तो केजरीवाल स्वयं को भी आम आदमी कहते हैं परन्तु ऐसा तो भारतीय राजनीति के सारे खिलाड़ी भी कहते हैं इसमें नया या अलग क्या है ? अगर वास्तव में केजरीवाल को आम आदमी की टोपी में विश्वास है तो फिर टोपी के ऊपर ये पार्टी के संयोजक का ताज लगाकर क्यों आम से खास बन गये हैं ?
कहने को तो केजरीवाल कुछ भी कहें ये तो बाद में पता चलेगा कि केजरीवाल देश को क्या देते हैं ! लेकिन फिलहाल तो ये साफ़ दिखाई दे रहा कि केजरीवाल को आम आदमी की पार्टी चलाने के लिए एक करोड़ रुपये पार्टी फंड देने वाले और भी कई प्रशांत भूषणों की आवश्यकता है ये बात केजरीवाल भी भली भांति समझ चुके हैं कि पार्टी चलाने के लिए सिद्धांतों की ही नहीं बल्कि मनी,मीडिया और मांफिया की जरुरत होती है इनमें से दो का अरेंज और स्तेमाल करने का हुनर तो वह सीख चुके हैं और शायद जल्दी ही मांफिया का भी ………
सुनीता दोहरे …
लखनऊ …..

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