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मंत्रिमंडल में फेरबदल कितना सही कितना गलत

sach ka aaina
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मंत्रिमंडल में फेरबदल कितना सही कितना गलत :—
चर्चा बड़े जोरों पर है कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी विश्व के सम्क्छ युवा भारत की तस्वीर पेश करना चाहते है और अपनी इस अति महत्वाकांक्षी सोच को मूर्ति रूप देने के लिए ही राहुल गाँधी के प्रस्ताव पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में एतिहासिक फेरबदलाव कर चुनाव से पहले अंतिम बड़ा विस्तार किया गया है ! हालांकि इस मंत्रिमंडल में हुये फेरबदल के सन्देश से विकास या युवा शक्ति सशक्तिकरण का कुछ लेना देना नहीं है बल्कि युवराज राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने , युवराज का सरकार पर दबदबा दिखाने व युवराज की मनमानियों को पूरा करने तथा युवराज को खुश करने के लिए अवश्य किया गया है ! एक ओर तो कांग्रेसी ये कहते हुये नहीं थकते कि इस बार के मंत्रीमंडल में राहुल गाँधी की छवि दिखाई देती है वही दूसरी तरफ राहुल गांधी को और अधिक अधिकार दिए जायेंगे का राग अलापते रहते हैं ! यकीनन कांग्रेस दुविधा की स्थिती में हैं ! और राहुल गाँधी की स्थिती को लेकर गुमराह है !कांग्रेस पार्टी भ्रमित है कि क्या राहुल गाँधी वास्तव में सरकार से ऊपर है ? और जिस राहुल गाँधी के एक इशारे पर सरकार में फेर बदल हो जाता है उन राहुल गाँधी को क्या वाकई और अधिकारों की जरुरत है ?
व कांग्रेस पार्टी में एस कौन सा व्यक्ति है जो राहुल गाँधी को अधिकार देगा !
इसमें कोई दोराह नहीं है कि राहुल गाँधी एक राष्ट्र भक्त व राजनैतिक रूप से सबसे ताकतवर परिवार की संतान हैं ! लेकिन ये भी सच है कि अभी तक राहुल गांधी के खाते में एक भी ऐसा काम नहीं है जो राहुल गाँधी को महापुरुष का रुतवा हासिल करवा कर उन्हें सरकार से भी बड़ा बना सके ! और सरकार में उनकी छवि दिखाई दे उनके मनमाने फैसले व दब-दबे के दर्शन अवश्य होते है ! पूरी कांग्रेस पार्टी अपने युवराज की मनमानियों को क्रांतिकारी फैसला सिद्द करने में लगी है ! और दिए जलाकर ,आतिशबाजी करके व मिठाइयाँ बांटकर दीपावली से पहले ही दीपावली का जश्न मना रही है लेकिन कुछ सवाल है जो कि हमें काले नाग के फन की भांति बार-बार डस रहे हैं ! कि आखिर क्या ये चंद युवा राहुल गांधी की मेहरबानी से जो मंत्री बनाये गये हैं ये दलगत राजनीति से उठकर सत्य व ईमानदारी की वकालत कर पायेंगे ? क्या ये मंत्री बने युवा जो सरकार राहुल गाँधी व कांग्रेस के इशारे पर गतिमान होते हैं क्या वास्तव में ये देश की तस्वीर बदल देंगे ? क्या ये चंद युवा मंत्री करोड़ों युवाओं का नेतृत्व करने में सक्छम हैं ? क्या ये चंद युवा मंत्री विज्ञान की कसौटी पर कसी गई कोई प्रमाणित बात करेंगे या फिर अपनी पार्टी के युवराज की खुशी हासिल करने की लालसा पूर्ति हेतु लच्छेदार व बेबुनियाद बातों से युवा शक्ति को वोट बैंक में बदलने का काम करेंगे !
सवाल ये भी है कि आने वाले २०१४ के चुनाव के बाद अगर सरकार किसी अन्य दल की बनती है तो एक बात तो सपष्ट है कि उस सरकार में इन युवा मंत्रियों के चेहरे नदारद रहेंगे …..तो क्या तब देश फिर से बूढ़ा हो जायेगा ! खैर इस फेर बदल से कुछ हासिल हो या ना हो परन्तु राज परिवारों के कुछ युवा लाडलों को जो अन्य दलों में हैं उन्हें अगली बार लाल बत्ती का स्वाद चखने का अवसर अवश्य प्राप्त हो जायेगा और हो सकता है कि कांग्रेस के युवराज के सिर पर भी प्रधानमंत्री का ताज आ जाये !
अगर ईमानदारी से इस पूरे घटना क्रम पर नजर डाली जाये तो कांग्रेस के इस कदम के पीछे उसकी गिद्द द्रष्टि के दर्शन अवश्य होते हैं ! राजनैतिक दल आज भी युवा शक्ति को वोट बैंक में बदलने का कैसा-कैसा घिनौना कार्य कर रहे हैं !
सच्चाई तो ये है कि इन चंद युवाओं को चुनाव से महज कुछ महापूर्व ही मंत्री बनाने थे !
सच तो ये है कि युवा ऐसे कभी शक्तिशाली नहीं होगा युवा शक्तिशाली तब होगा जब शिक्षा व बेरोजगार की कमी को दूर किया जाए पर ये सब देना सरकार के बूते से बाहर की बात है !
सुनीता दोहरे ….लखनऊ …..

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