Menu
blogid : 12009 postid : 20

मन की अनुभूतियां

sach ka aaina
sach ka aaina
  • 221 Posts
  • 935 Comments

मन की अनुभूतियां

सच में हमारे मन की अनुभूतियां,
समुन्दर की लहरों की तरह हैं ! उठतीं गिरती !
अनगिनत सीढियां चढ़ने के बाद है ! मंजिल मिलती !
में सूरज की तेज आभा में,अनवरत हूँ लिखती !
झुलस जाती हैं भावनायें,तब शब्द हूँ बिखेरती !
फिर भी ना जाने क्यों,ये अन्धकार सा जीवन है !
बदलते हालातों में एक किरण है दिखती !
कच्चे अनुभवों की डोर से, हैं बंधती !
एक दिन ये मिट्टी ही खा जायेगी,
मेरे जीवन की उपलब्धियां !
फिर भी मन मेरा हार नहीं मानता,
हमें आशा ही है दिखती !
में अपने लेखन के सारे स्रोत ढूढ़कर,
खुद को महसूस हूँ करती !
मैं अनवरत दुखों को सहकर भी,
अपनी कविताओं को हूँ संजोती !
जीवन संचारित है पर मन का भ्रम है !
एक तलवार के ना होने से भी,
मैं अपनी कलम से हरदम अपना बचाव हूँ करती !…. sunita dohare…..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply