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गरीबी

sach ka aaina
sach ka aaina
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गरीबी

गरीबी को भाग्य कहूँ,या भुखमरी कहूँ !
भूख को मजबूरी कहूँ ,या लाचारी कहूँ !
मेरे भावोद्गार कहते हैं,इसे खुदा की ना इन्साफी कहूँ !
घपले को घोटाला कहूँ या,जनता की लाचारी कहूँ !
या फिर देश के नेताओं की मक्कारी कहूँ !
बीमार को दवा दूँ ,या फिर खाली पेट दुआओं में रहूँ !
मेरे भावोद्गार कहते हैं,कि इसे ना इलाज बीमारी कहूँ !
भ्रष्ट को, भ्रष्टाचारी कहूँ, या फिर इसे देश की लाचारी कहूँ !
मेरे भावोद्गार कहते हैं, इसे नेताओं की रिश्वतखोरी कहूँ !
दिया कहूँ, या चिराग कहूँ,य फिर दिया तले अंधेरा कहूँ !
मेरे भावोद्गार कहते हैं, इसे मंहगाई की मार कहूँ !
नेताओं के वादों को ,वादा कहूँ या सपना कहूँ !
मेरे भावोद्गार कहते हैं, इसे नेताओं की फितरत कहूँ !….sunita dohare….

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