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अहसास

sach ka aaina
sach ka aaina
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अहसास

अहसास कल शाम मुझे तेरा आ गया,
चारों तरफ एक नशा सा छा गया !
फ़ना होते रहे ढलती दीवार-ओ-दर की तरह,
बड़ी मुद्दतों के बाद तुम मिलने आ गये !!
ख़ुशबू जो तेरे अंग की गुज़री क़रीब से,
मन भी मचल गया मेरा, दिल भी मचल गया !
जज़्बात-ए- हसरतों की जो जंग छिड़ गयी,,
तन्हाई में लम्हें भी रोते गुजर गये !!
साजिश है ये वक्त की या है कोई वजह,
मुद्दतों से बिछड़े यार को पशेमां कर गये !
कुछ कहने की हसरत दिल में रह गयी,
अपने आसमां की ये शब-ए-शाम भी गई !!
मुद्दतें हुई है दिल में यार को मेहमाँ बने हुये,
सपने मैं देखा है तुझे,कई बार करीब से !
तेरी तस्वीर से तेरी आँखें भी बोलतीं हैं,
कि में तेरा हूँ, तू मुझे छीन ले रकीब से !!
आशना हैं तेरे क़दमों से वो राहें,
अब जहन से जाती नहीं तेरी तासीर,
सुनहरे पलों की याद बनकर,
यादों ने खाक परेशां मेरा गुबार किया है !
अब क्यों मदहोश हैं मेरी निगाहैं,,,
तेरी तस्वीर ने मुस्करा जो दिया है !!…..sunita dohare…….

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